दिल्ली सरकार ने प्रदूषण कम करने के लिए नहीं उठाया यह कदम...पढ़ें खबर
ऑड-इवन को लेकर भले ही दिल्ली सरकार अपनी वाहवाही में जुटी हो लेकिन हकीकत यह है कि प्रदूषण को रोकने के लिए एक अहम फैसला सरकार ने लागू ही नहीं किया।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। दिल्ली सरकार वायु प्रदूषण रोकने के नाम पर भले ही आड-इवन को लेकर अपनी पीठ थपथपा रही हो लेकिन हकीकत यह है कि राजधानी में प्रदूषण को रोकने के लिए एक अहम फैसले को उसने लागू नहीं किया है। दिल्ली में जगह-जगह कचरा जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए उसे सात हजार सफाई कर्मियों को प्रशिक्षित करना था लेकिन महीनों बीतने के बाद भी उसने यह काम नहीं किया है।
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सूत्रों ने कहा कि मंगलवार को दिल्ली के प्रदूषण पर पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर की अध्यक्षता में हुई एनसीआर राज्यों के पर्यावरण मंत्रियों की पांचवीं बैठक में यह मामला सामने आया। जावड़ेकर ने दिल्ली सरकार के प्रतिनिधियों से कहा कि दूसरी बैठक में यह तय हुआ था कि दिल्ली में बायोमास यानी कचरा जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए 7,000 सफाईकर्मियों को प्रशिक्षित किया जाएगा लेकिन, अब तक नतीजा सिफर ही रहा है।
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जावड़ेकर ने कहा कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड बॉयोमास जलाने की घटनाओं की शिकायत के लिए हेल्पलाइन शुरु की है। बीते तीन महीनों में इस पर 84 शिकायतें आ चुकी हैं। जावड़ेकर ने कहा कि वायु प्रदूषण मुख्यत: धूल, उद्योगों से उत्सर्जन और बॉयोमास जलाने तथा वाहनों से होता है। उन्होंने कहा कि खेतों में पराली जलाने के मामलों में 30 प्रतिशत की कमी आयी है। उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा और पंजाब ने पराली जलाने पर रोक भी लगा दी है। जावड़ेकर ने कहा कि अवैध ईंट भट्टों से होने वाले वायु प्रदूषण को भी कम किया जाना चाहिए।
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दिल्ली में वायु प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए केंद्र सरकार की प्रतिबद्धता जताते हुए जावड़ेकर ने राज्यों से कंस्ट्रक्शन वेस्ट यानी निर्माण के दौरान निकलने वाले मलबा से संबंधित नियमों को तेजी से लागू करने का आग्रह भी किया। संसद भवन परिसर में हुई इस बैठक में उत्तर प्रदेश की ओर से मंत्री अभिषेक मिश्रा और दिल्ली के पर्यावरण मंत्री इमरान सहित हरियाणा और राजस्थान के मंत्री और शीर्ष अधिकारी भी शामिल हुए।