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सीवीसी ने भ्रष्टाचार के मामले में सीएस से मांगी स्टेटस रिपोर्ट

केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) ने भ्रष्टाचार के एक मामले में दिल्ली के मुख्यसचिव (सीएस) विजय देव को पत्र लिखकर स्टेट्स रिपोर्ट मांगी है। सीसीवी ने कहा है कि दिल्ली बिल्डिग एंड कंसट्रक्शन वर्कर्स वेलफेयर बोर्ड के पूर्व सचिव पर लगे आरापो से संबंधित मामले में कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं की गई है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 18 Mar 2019 10:25 PM (IST)Updated: Mon, 18 Mar 2019 10:25 PM (IST)
सीवीसी ने भ्रष्टाचार के मामले में सीएस से मांगी स्टेटस रिपोर्ट

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) ने भ्रष्टाचार के एक मामले में दिल्ली के मुख्य सचिव (सीएस) विजय देव को पत्र लिखकर स्टेटस रिपोर्ट मांगी है। सीवीसी ने कहा कि 'दिल्ली बिल्डिग एंड कंस्ट्रक्शन वर्कर्स वेलफेयर बोर्ड' के पूर्व सचिव पर लगे आरोपों से संबंधित मामले में कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं की गई है। यह मामला श्रम विभाग के भवन के नवीनीकरण से संबंधित है, जो वित्तीय अनियमितता का मामला है। मामले में विस्तृत स्टेटस रिपोर्ट पंद्रह दिन के अंदर दी जाए।

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सीवीसी ने पत्र में नाराजगी जताते हुए कहा कि 1.5 करोड़ रुपये के मामले को सीबीआइ के पास भेजने का प्रावधान है, लेकिन इस मामले को जांच के लिए एंटी करप्शन ब्रांच (एसीबी) को दिया गया है। पूर्व के पत्र में स्पष्ट कर दिया गया है कि किसी भी विभाग में कोई भी अधिकारी यदि 25 लाख रुपये से ज्यादा की राशि का गबन करता है तो जांच सीबीआइ से कराई जाती है। अगर किसी मामले में 25 लाख से कम राशि का गबन है व सीबीआइ मामले को जांच करने से अस्वीकार करती है तभी इसकी जांच दिल्ली पुलिस से कराई जानी चाहिए। श्रम विभाग के पूर्व अतिरिक्त सचिव पर वित्तीय अनियमितता का मामला है। नियम के अनुसार अगर मामला घूस लेने, भ्रष्टाचार या धोखाधड़ी से संबंधित है तो जांच सीबीआइ से ही कराई जानी चाहिए। ये अधिकारी जल्द रिटायर होंगे, इसलिए सीवीसी ने विस्तृत स्टेटस रिपोर्ट पंद्रह दिनों के भीतर भेजने कहा है। सीवीसी ने पत्र की प्रतिलिपि गृह मंत्रालय के संयुक्त सचिव को भी भेजी है। यह है मामला

ऑल इंडिया जनरल मजदूर ट्रेड यूनियन के महासचिव प्रमोद कुमार राजपूत ने सीवीसी से शिकायत की थी। उनका आरोप है कि मजदूरों के कल्याण पर खर्च होने वाली राशि में से 200 करोड़ की राशि बिल्डिग कंस्ट्रक्शन वर्कर्स बोर्ड ने इमारत के नवीनीकरण पर खर्च कर दी। यह राशि केवल मजदूरों के कल्याण पर ही खर्च हो सकती थी। उन्होंने कुछ अन्य आरोप भी लगाए हैं।


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