दिल्ली सरकार अपने बजट का हिसाब दे: आदेश गुप्ता
भाजपा ने आरोप लगाया है कि दिल्ली सरकार संवेदनशीलता और मानवता को ताक पर रखकर नगर निगमों को दबाने में लगी हुई है। निगमों के बकाए फंड को देने में आनाकानी कर रही है। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने कहा कि दिल्ली सरकार का 60 हजार करोड़ रुपये का बजट है। मुख्यमंत्री अरविद केजरीवाल को बताना चाहिए कि बजट का पैसा अभी तक दिल्लीवासियों के हितों में कहां और कितना खर्च हुआ? क्या पिछले 6 वर्षों में एक भी नया कॉलेज स्कूल सड़क हाईवे बनाया गया?
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : भाजपा ने आरोप लगाया है कि दिल्ली सरकार नगर निगमों को दबाने में लगी हुई है। निगमों के बकाये फंड को देने में आनाकानी कर रही है। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने कहा कि दिल्ली सरकार का 60 हजार करोड़ रुपये का बजट है। मुख्यमंत्री अरविद केजरीवाल को बताना चाहिए कि बजट का पैसा अभी तक दिल्लीवासियों के हितों में कहां और कितना खर्च हुआ? क्या पिछले 6 वर्षों में एक भी नया कॉलेज, स्कूल, सड़क, हाईवे बनाया गया?
प्रदेश कार्यालय में मीडिया से बात करते हुए आदेश गुप्ता ने कहा कि दिल्ली सरकार को नगर निगमों को 13,500 करोड़ रुपये देने हैं। यह राशि तीसरे और चौथे दिल्ली वित्त आयोग द्वारा निगमों के लिए स्वीकृत है। निगमों के लिए शीला दीक्षित सरकार के समय ग्लोबल शेयर 17.6 फीसद का था, उसे भी अरविद केजरीवाल सरकार ने घटाकर दस फीसद कर दिया। इस दस फीसद राशि में से भी आधे से ज्यादा कटौती कर दी गई है।
उन्होंने कहा कि नियम के अनुसार नगर निगम की आर्थिक स्थिति कमजोर होने पर वित्तीय सहायता करना दिल्ली सरकार की जिम्मेदारी है, जिससे वह भाग रही है। निगम कर्मचारियों के काम का श्रेय दिल्ली सरकार ले रही है, लेकिन उन्हें वेतन नहीं दे रही है। उन्होंने कहा कि दिल्ली में कानून व्यवस्था पर केंद्र सरकार खर्च करती है। दिल्ली में मेट्रो, सड़क, हाईवे पर बड़ा हिस्सा केंद्र सरकार खर्च करती है। इसी तरह से दिल्ली विकास प्राधिकरण की सोसायटी, पार्क, दिल्ली के प्रमुख अस्पतालो, विकास योजनाओं पर भी केंद्र सरकार खर्च करती है। यहां तक कि दिल्ली के मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री और उनके तमाम मंत्रियों की सुरक्षा पर भी सारा पैसा केंद्र सरकार ही खर्च करती है। इसके विपरीत दिल्ली सरकार नगर निगमों के साथ राजनीतिक द्वेष की भावना से काम कर रही है। सरकार को राजनीति करने के बजाय कोरोना से लड़ने वाले डॉक्टरो, नर्सो, अन्य स्वास्थ्य कर्मियों, सफाई कर्मचारी, डोमेस्टिक ब्रीडिग चेकर्स (डीबीसी) करने वालों को तुरंत वेतन देना चाहिए।
उन्होंने कहा कि नगर निगमों को परेशान कर दिल्ली सरकार निगमों के स्कूलों, अस्पतालों एवं अन्य विभागों पर निर्भर रहने वाले गरीबों को भी परेशानी कर रही है। दिल्लीवासी इस बात से भी परेशान हैं कि उन्हें भारी भरकम बिजली बिल भेजे जा रहे हैं। 50 हजार उपभोक्ताओं के यहां अभी तक बिजली के मीटर नहीं लगे हैं। मीटर लगाने के बदले उनसे रिश्वत मांगी जा रही है।