योग से परहेज
इस बार भी अंतररराष्ट्रीय योग दिवस पर दिल्ली सरकार की योग से दूरी चिंताजनक है। मुख्यमंत्री ही नही
इस बार भी अंतररराष्ट्रीय योग दिवस पर दिल्ली सरकार की योग से दूरी चिंताजनक है। मुख्यमंत्री ही नहीं, आम आदमी पार्टी सरकार का कोई मंत्री या विधायक भी योग से संबंधित किसी कार्यक्रम में शरीक नहीं हुआ। जबकि योग के कार्यक्रम कमोबेश हर कॉलोनी में आयोजित किए गए और इनमें जनता जोर शोर से शरीक हुई। लेकिन, आप के जन प्रतिनिधि इनसे दूर रहे। दिल्ली सरकार की यह सोच न तो स्वस्थ लोकतंत्र की परिचायक है और न ही स्वस्थ राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता की। इसे किसी भी तौर पर सरकार का तर्कसंगत निर्णय नहीं कहा जा सकता है। जनता भी इसे सही करार नहीं दे रही है।
बेशक अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाए जाने की पहल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की, लेकिन सच यह भी है कि योग भारतीय संस्कृति का बहुत ही पुराना एवं अभिन्न अंग है। पहले ऋषि मुनियों ने योग साधना की और बाद में जन सामान्य ने इसका अनुपालन किया। योग को वैकल्पिक और प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति से भी जोड़कर देखा जाता है। बहुत से असाध्य रोग योग से दुरुस्त होते देखे गए हैं। योग का प्रभाव ही है कि आज विश्व भर में इसे स्वीकार किया जा रहा है। विदेशी भी बहुत मनोयोग से योग करते देखे जा सकते हैं। कहने का अभिप्राय यही है कि अगर कोई अच्छी व्यवस्था या शुरुआत हो तो उसका महज विरोध के लिए विरोध नहीं किया जाना चाहिए। स्वस्थ राजनीति तो यह होनी चाहिए कि अच्छी शुरुआत को अच्छे भाव से ही स्वीकार किया जाए। विचारणीय पहलू यह भी है कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल यूं तो प्राकृतिक चिकित्सा पसंद करते हैं। समय-समय पर इसके लिए बेंगलुरु भी जाते रहते हैं, बावजूद इसके योग का समर्थन न करना कहीं न कहीं उनका दोहरा मानदंड है। आम आदमी पार्टी सरकार को योग के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाना चाहिए। साथ ही सरकार को भविष्य में दिल्ली के शिक्षण संस्थानों में ऐसे आयोजनों को बढ़ावा देना चाहिए।