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सीओपीडी मरीजों को ज्यादा आराम ले जाती है मौत के करीब

-शारीरिक सक्रियता व नियमित पैदल चलना है फायदेमंद -प्रदूषण के कारण डॉक्टर मरीजों को ब

By JagranEdited By: Published: Tue, 20 Nov 2018 10:16 PM (IST)Updated: Tue, 20 Nov 2018 10:16 PM (IST)
सीओपीडी मरीजों को ज्यादा आराम ले जाती है मौत के करीब
सीओपीडी मरीजों को ज्यादा आराम ले जाती है मौत के करीब

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली :

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सांस फूलने की पुरानी बीमारी से पीड़ित मरीज घर में सिमट कर रह जाते हैं। इस तरह की बीमारी से पीड़ित बुजुर्ग को परिजन भी आराम करने की सलाह देते हैं। पर डॉक्टर कहते हैं कि क्रोनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) की बीमारी से पीड़ित मरीज को जरूरत से ज्यादा आराम देना उनकी सेहत पर भारी पड़ सकती है। लंबे समय तक बेड पर पड़े रहने से बीमारी बढ़ती है। इस वजह से उनकी मांसपेशियां और कमजोर होती जाती हैं। इस तरह ज्यादा आराम उन्हें जल्द मौत के करीब ले सकती है। जबकि शारीरिक सक्रियता और पैदल चलना फायदेमंद साबित हो सकता है।

21 नवंबर को विश्व सीओपीडी दिवस मनाया जाएगा। इसका मकसद इस बीमारी के प्रति लोगों को जागरूक करना है। इसके मद्देनजर दिल्ली में आयोजित प्रेसवार्ता में नोएडा स्थित मेट्रो हॉस्पिटल के डॉ. दीपक तलवार ने कहा कि विदेशों में जो लोग ऑक्सीजन पर होते हैं वो भी गोल्फ खेलने जाते हैं। मॉल में घूमते हैं और अपना सारा काम करते हैं। जिससे उनकी मासपेशिया सक्रिय रहती हैं। उन्होंने कहा कि घुटने की सर्जरी के बाद भी डॉक्टर 24 घटे में मरीज को अपने पैरों पर चला देते हैं, लेकिन सीओपीडी की बीमारी में जरूरत से ज्यादा आराम देना मेडिकल की दृष्टि से सही नहीं है।

इन दिनों प्रदूषण अधिक है। नवंबर से फरवरी तक ऐसी स्थिति रहती है। यही वजह है कि इस अवधि में ओपीडी में 30 फीसद तक मरीज बढ़ जाते हैं। जबकि दो से तीन गुना मरीज भर्ती किए जाते हैं। 10 भर्ती मरीजों में से एक की मौत हो जाती है। वहीं आइसीयू में भर्ती दस में से चार मरीजों की मौत हो जाती है। इसलिए यह बीमारी खतरनाक है।

उन्होंने कहा कि प्रतिदिन 4500 से कदम से कम चलना नुकसानदायक साबित हो सकता है और मरीज की औसत उम्र पांच साल कम हो सकती है। कई अध्ययनों में यह देखा गया है कि दो घंटे साइकिल चलाने या तेज गति से चलने से बीमारी 50 फीसद तक कम हो सकती है। यह सीओपीडी के इलाज का दवा रहित बेहतर तरीका है। इसलिए सीओपीडी के मरीजों को सप्ताह में कम से कम चार दिन 30-30 मिनट (सप्ताह में कम से कम दो घंटे) तक शारीरिक सक्रियता सुनिश्चित करना चाहिए। दिक्कत यह है कि सर्दी के मौसम व प्रदूषण में सांस के मरीजों को घर से बाहर नहीं निकलने की सलाह दी जाती है।

डॉक्टर दे रहे होम टेली-रिहैबिलिटेशन की सुविधा

प्रदूषण के मद्देनजर अस्पताल सांस के मरीजों को होम टेली-रिहैबिलिटेशन की सुविधा दे रहे हैं। डॉ. तलवार ने कहा कि विशेषज्ञ मरीजों को बताते हैं कि वे इन दिनों किस तरह घर के अंदर खुद को सक्रीय रख सकते हैं।

पल्मोनरी रिहैबिलिटेश भी असरदार

डॉ. तलवार ने कहा कि सीओपीडी के मरीजों के लिए पल्मोनरी रिहैबिलिटेशन असरदार है। इसके तहत मरीजों को सप्ताह में तीन दिन अस्पताल बुलाकर 45 मिनट व्यायाम कराया जाता है। आठ साल के अनुभव के आधार पर यह देखा गया है कि रिहैबिलिटेशन से मौत के मामले काफी कम हो सकते हैं।


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