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स्वदेशी राखी से चीन को लगेगी 4 हजार करोड़ रुपये की चपत

चीन भले ही वैश्विक स्तर पर अपनी फजीहत कराने के बाद बॉर्डर पर तनाव घटाने की कोशिश में है। लेकिन उसे लेकर देशवासियों में आक्रोश कम नहीं हुआ है। चीनी सामानों के बहिष्कार का अभियान जोर पकड़ रहा है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 13 Jul 2020 08:15 PM (IST)Updated: Mon, 13 Jul 2020 08:15 PM (IST)
स्वदेशी राखी से चीन को लगेगी 4 हजार करोड़ रुपये की चपत
स्वदेशी राखी से चीन को लगेगी 4 हजार करोड़ रुपये की चपत

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली : चीन भले ही वैश्विक स्तर पर अपनी फजीहत कराने के बाद बॉर्डर पर तनाव घटाने की कोशिश में है। लेकिन, उसे लेकर देशवासियों में आक्रोश कम नहीं हुआ है। चीनी सामानों के बहिष्कार का अभियान जोर पकड़ रहा है। इस बीच कारोबारी संगठन कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स ( कैट) ने दावा किया है कि इस बार स्वदेशी राखी के माध्यम से रक्षाबंधन का पर्व मनाने की तैयारी से चीन को तकरीबन चार हजार करोड़ की चपत लगनी तय है।

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कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा कि एक अनुमान के अनुसार देश में लगभग 6 हजार करोड़ का राखियों का व्यापार होता है, जिसमें अकेले चीन की हिस्सेदारी लगभग 4 हजार करोड़ रुपये की होती है। बनी राखियों के साथ चीन से राखी बनाने का सामान- फोम, कागज की पन्नी, राखी धागा, मोती, बूंदे व राखी के ऊपर लगने वाले सजावटी सामान आयात होते हैं।

खंडेलवाल ने कहा कि चीनी वस्तुओं के बहिष्कार के अभियान के चलते इस वर्ष कोई भी चीनी सामान राखी में उपयोग में नहीं होगा, जिसके कारण चीन को लगभग 4 हजार करोड़ के व्यापार की चपत लगना तय है। उन्होंने बताया कि कैट ने पहल कर दिल्ली, नागपुर, भोपाल, ग्वालियर, सूरत, कानपुर, तिनसुकिया, रायपुर, भुवनेश्वर, कोल्हापुर व जम्मू समेत अन्य शहरों में राखियां बनवाने का काम शुरू कर दिया है।


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