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छठ पर्व के सार्वजनिक आयोजन पर संकट के बादल

पूर्वांचल के त्योहार छठ पर्व के सार्वजनिक आयोजन पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। इस बात की संभावना बहुत कम है कि इस बार सरकारी तौर पर दिल्ली में इस पर्व का आयोजन हो। दिल्ली सरकार इस बारे में अभी केंद्र सरकार के दिशा निर्देशों का इंतजार कर रही है। मगर सूत्रों का कहना है कि दिल्ली में बढ़ रहे कोरोना के मरीजों को देखते दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण बिल्कुल इस त्योहार से सार्वजनिक आयोजनों के पक्ष में नहीं है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 31 Oct 2020 08:00 PM (IST)Updated: Sat, 31 Oct 2020 08:00 PM (IST)
छठ पर्व के सार्वजनिक 
आयोजन पर संकट के बादल
छठ पर्व के सार्वजनिक आयोजन पर संकट के बादल

वी के शुक्ला, नई दिल्ली

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छठ पर्व के सार्वजनिक आयोजन पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। दिल्ली सरकार इस बारे में अभी केंद्र सरकार के दिशा निर्देशों का इंतजार कर रही है। सूत्रों का कहना है कि दिल्ली में बढ़ रहे कोरोना के मरीजों को देखते हुए दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण इस त्योहार के सार्वजनिक आयोजन के पक्ष में नहीं है।

यह ऐसा त्योहार है, जिसमें एक ही समय पर श्रद्धालु एक जगह जुटते हैं, ऐसे में बड़ी समस्या शारीरिक दूरी के नियम के पालन की है।

दिल्ली में पिछले कुछ सालों से छठ पर्व मनाने का चलन बहुत बढ़ा है। दिल्ली में पूर्वाचल के लोग एनसीआर क्षेत्र में रह रहे अपने सगे संबंधियों के साथ मिलकर पर्व मनाते हैं। दिल्ली के सभी घाटों पर भीड़ जुटती है। यमुना के किनारे के हाथी घाट, वजीराबाद घाट व भलस्वा आदि में होने वाले आयोजनों में लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। आइटीओ पर आयोजन के समय शाम को भयंकर जाम लगता है। दिल्ली सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी कहते हैं कि अभी समय शेष है। छठ पूजा समितियों से इस बारे में फिर से बात की जाएगी।

ये सुविधाएं देती है सरकार

दिल्ली में 1104 घाट हैं। दिल्ली सरकार की तीर्थ यात्रा विकास समिति के चेयरमैन कमल बंसल कहते हैं कि छठ घाटों पर दिल्ली सरकार की ओर से पर्व मनाने के लिए हर संभव सुविधाएं दी जाती हैं। सरकार श्रद्धालुओं को पूजा करने के लिए खड़े होने के लिहाज से घाट पर पानी उपलब्ध कराती है। टेंट लगवाती है। यमुना के किनारे होने वाले आयोजन स्थलों तक पहुंचने के लिए रास्ते ठीक किए जाते हैं। आयोजन स्थलों पर श्रद्धालुओं को कपड़े बदलने के लिए अस्थायी रूम बनाए जाते हैं। व्यवस्था बनाए रखने के लिए सिविल डिफेंस के लोग बड़ी संख्या में लगाए जाते हैं। पिछले कुछ सालों से सरकार इस पर्व पर पूर्वाचल के कलाकार भी पूजा समितियों को उपलब्ध करा रही है। बिजली के खर्च के अलावा सभी खर्च सरकार उठाती है।


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