कैंसर के इलाज में बाधा बन रहा कोरोना संक्रमण
जागरण संवाददाता बाहरी दिल्ली कोरोना संक्रमण के कारण लोग अस्पताल जाने से बच रहे हैं।
जागरण संवाददाता, बाहरी दिल्ली :
कोरोना संक्रमण के कारण लोग अस्पताल जाने से बच रहे हैं। इसका सीधा असर उनके स्वास्थ्य पर पड़ रहा है। लॉकडाउन से पहले जहां स्तन कैंसर के 70 फीसद मामले पहले स्टेज आ रहे थे, वहीं अब लॉकडाउन समाप्त होने के बाद 50 फीसद मामले एडवांस स्टेज में आ रहे हैं। रोहिणी स्थित राजीव गांधी कैंसर इंस्टीट्यूट एंड रिसर्च सेंटर (आरजीसीआइआरसी) के चिकित्सकों का कहना है कि कोरोना संक्रमण के कारण मरीज अस्पताल जाने से बच रहे हैं। जब मरीज गंभीर हालत में पहुंच जाता है तब जाकर कैंसर की जांच हो पाती है।
आरजीसीआइआरसी के सीनियर कंसल्टेंट एवं चीफ ऑफ ब्रेस्ट सर्विसेज डॉ. राजीव कुमार ने बताया कि कोरोना संक्रमण के कारण कैंसर के एडवांस्ड स्टेज में पहुंचने का खतरा और बढ़ गया है। पहले स्तन कैंसर के 70 फीसद मामले शुरुआती स्टेज पर पता चल रहे थे, लेकिन लॉकडाउन के बाद से लोगों ने जांच बंद कर दी है । इससे 50 प्रतिशत मामले एडवांस्ड स्टेज के आ रहे हैं।
आरजीसीआइआरसी के वरिष्ठ कंसल्टेंट एवं रेडिएशन ओंकोलॉजी यूनिट के हेड डॉ. कुंदन सिंह चुफल ने बताया कि हाइपोफ्रैक्शनेटेड रेडियोथेरेपी जैसी तकनीक ने स्तन कैंसर के इलाज के समय को घटाया है। 10 साल पहले तक पांच से 10 प्रतिशत मामलों में ही स्तन को सुरक्षित रख पाना संभव था, जिससे महिलाओं के आत्मविश्वास को चोट पहुंचती थी। फिलहाल, बढ़ती जागरूकता से लोग स्तन कैंसर की शुरू में ही जांच करा रहे हैं। इसका नतीजा यह है कि 40 से 50 प्रतिशत मामलों में स्तन को पूरी तरह सुरक्षित रखना संभव हो पाता है। अगर कैंसर को शुरुआती दौर में ही पता लगा लिया जाए तो सभी मामलों में स्तनों को सुरक्षित रखा जा सकता है।
लोगों में जानकारी की है कमी :
आरजीसीआइआरसी के ब्रेस्ट एवं सार्कोमा सर्विसेज के चीफ डॉ. डीसी डोवल का कहना है कि स्तन कैंसर को लेकर लोगों में जानकारी की कमी है। अक्सर लोग दूसरे मरीजों के अनुभव का अनुसरण करते हैं, लेकिन उन्हें समझना चाहिए कि हर स्तन कैंसर अपने आप में दूसरे से अलग होता है। इसलिए कैंसर का इलाज, कारण और परिणाम भी अलग होते हैं।