Move to Jagran APP

Delhi News: भाजपा पर सत्ता में रहते MCD में कूड़ा के नाम पर 84 करोड़ के घोटाले का आरोप, LG से जांच की मांग

Delhi News आप ने एलजी से मामले की जांच की मांग की है कि यह सारा पैसा किसकी जेब में गया है।इस मुद्दे पर शनिवार को आप की दो प्रेसवार्ता हुईं।पहली प्रेसवार्ता आप की ओर से नगर निगम प्रभारी दुर्गेश पाठक ने की।

By V K ShuklaEdited By: Pradeep Kumar ChauhanPublished: Sun, 25 Sep 2022 12:54 AM (IST)Updated: Sun, 25 Sep 2022 12:54 AM (IST)
Delhi News: इसमें सीधा-सीधा 84 करोड़ का घोटाला हुआ है।

 नई दिल्ली[वी. के. शुक्ला]। आम आदमी पार्टी (आप) ने भाजपा शासित एमसीडी पर कूड़े के नाम पर 84 करोड़ का घोटाला करने का आरोप लगाया है।आप ने एलजी से मामले की जांच की मांग की है कि यह सारा पैसा किसकी जेब में गया है।इस मुद्दे पर शनिवार को आप की दो प्रेसवार्ता हुईं।पहली प्रेसवार्ता आप की ओर से नगर निगम प्रभारी दुर्गेश पाठक ने की।

loksabha election banner

उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा ने कूड़ा उठाने के लिए फरवरी 2020 में एक कंपनी को 3250 रुपये प्रति मीट्रिक टन का टेंडर दिया मगर बाद में वही टेंडर दूसरी कंपनी को सिर्फ 400 रुपये प्रति मीट्रिक टन में दे दिया।एमसीडी ने दावा किया है कि पहली कंपनी तीन लाख मीट्रिक टन कूड़ा प्रोसेस करने का बिल लगा चुकी है, इस अनुसार लगभग 100 करोड़ का घोटाला हुआ है।

वहीं एक अन्य प्रेसवार्ता में तीनों नगर निगमों में नेता प्रतिपक्ष रहे प्रेम चौहान, विकास गोयल और मनोज त्यागी ने कहा कि जब 400 रुपये प्रति मीट्रिक टन में टेंडर संभव था तो भाजपा ने पहले 3250 रुपये प्रति मीट्रिक टन में टेंडर क्यों दिया? भाजपा प्रति टन 2850 रुपये ज्यादा पैसा भर रही थी, इसमें सीधा-सीधा 84 करोड़ का घोटाला हुआ है।

उन्होंने कहा कि सभी जानते हैं कि लैंडफिल से कूड़े को साफ करने के लिए भाजपा ने ट्रामल मशीने लगाई थीं।भाजपा पहले ही उसमें करोड़ों का घोटाला कर चुकी है।आज यह एक और घोटाले का मामला सामने आया है।कूड़े को प्रोसेस करने के लिए कूड़े को किसी अन्य स्थान पर ले जाया जाता है।इसका टेंडर एक कंपनी को 2020 में 3250 रुपये प्रति मीट्रिक टन कूड़े का दिया गया था। 

उधर, भाजपा प्रवक्ता प्रवीण शंकर कपूर ने कहा कि विधायक दुर्गेश पाठक सहित अन्य आम आदमी पार्टी (आप) के नेता नगर निगम को लेकर झूठ फैला रहे हैं। उत्तरी नगर निगम के कार्यकाल में भलस्वा लैंडफिल साइट से मिट्टी हटाने में अनियमितता का आरोप निराधार है।

पाठक के अनुसार दो वर्ष पूर्व लैंडफिल साइट से मिट्टी हटाने के लिए 32 सौ रुपये प्रति मीट्रिक टन के हिसाब से भुगतान किया जाता था। अब मात्र चार सौ रुपये प्रति मीट्रिक टन के भुगतान किया जा रहा है। आप विधायक को यह जानकारी होनी चाहिए यह भुगतान लैंडफिल साइट की दूरी के हिसाब से दिया जाता है।

पहले ज्यादा दूरी पर मिट्टी ले जाया जाता था और अब दूरी कम हो गई है। प्रत्येक ट्रक पर जीपीएस इसलिए लगाए गए थे जिससे कि मिट्टी डालने में किसी तरह की गड़बड़ी न हो। ट्रक में जीपीएस नहीं लगाने वाले ठेकेदार के खिलाफ नगर निगम ने कार्रवाई की थी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.