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गुल ने लगाई थी 'गुलिस्तां' में आग

त्तर-पूर्वी जिले में दंगे की जांच जैसे-जैसे अपनी मंजिल की तरफ बढ़ रही है वैसे-वैसे ही साजिश करने वालों के चेहरे बेनकाब हो रहे हैं। इस कड़ी में नया नाम पिंजरा तोड़ संगठन की सदस्य गुलिफ्सा खातून उर्फ गुल का सामने आया है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 03 Jul 2020 12:11 AM (IST)Updated: Fri, 03 Jul 2020 03:37 AM (IST)
गुल ने लगाई थी 'गुलिस्तां' में आग
गुल ने लगाई थी 'गुलिस्तां' में आग

राकेश कुमार सिंह, नई दिल्ली

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उत्तर-पूर्वी जिले में दंगे की जांच जैसे-जैसे अपनी मंजिल की तरफ बढ़ रही है, वैसे-वैसे ही साजिश करने वालों के चेहरे बेनकाब हो रहे हैं। इस कड़ी में नया नाम पिंजरा तोड़ संगठन की सदस्य गुलिफ्सा खातून उर्फ गुल का सामने आया है। वह पूर्वी दिल्ली के गुलिस्तां (हर समुदाय के लोगों के मिलकर रहने का स्थान) में सीएए के विरोध के नाम पर आग लगाने का काम काफी पहले से कर रही थी। दंगे के दौरान जिन 21 स्थानों पर सबसे ज्यादा आग भड़की वहां की सीसीटीवी फुटेज में वह अक्सर लोगों को भड़काते हुए देखी गई है।

जाफराबाद निवासी गुलिफ्सा खातून को दंगे की साजिश के आरोप में यूएपीए के तहत गिरफ्तार किया गया था। स्पेशल सेल ने कड़कड़डूमा कोर्ट में उसके खिलाफ प्रारंभिक जांच रिपोर्ट पेश कर दी है। इसमें कहा है कि सफूरा जरगर, देवांगना कलिता और नताशा नरवाल की तरह ही गुलिफ्सा को भी मुस्लिम महिलाओं को जुटाने और दंगे के लिए भड़काने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। इसके अलावा जाफराबाद के आसपास किराए पर मुस्लिम महिलाओं को घर दिलाने की भी जिम्मेदारी भी उसे ही सौंपी गई थी। इसके बाद उसने बड़ी संख्या में महिलाओं को घर किराए पर दिलवाए। दरअसल, उमर खालिद ने कम चर्चित होने की वजह से गुलिफ्सा को ही दंगे का पूरा नेतृत्व करने के लिए कहा था। उसे जाफराबाद और सीलमपुर इलाके में 21 जगह पर महिलाओं को जुटाने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। इन स्थानों पर लोगों को उकसाने के साथ ही वह सोशल मीडिया पर भी बेहद सक्रियता के साथ युवाओं को गुमराह करने में जुटी हुई थी। उमर के साथ कई बार की थी बैठक

पिंजरा तोड़ संगठन की अन्य सदस्यों की तरह ही गुलिफ्सा ने भी दंगे से पहले कई बार उमर खालिक के साथ बैठक की थी। इनमें ट्रंप के भारत दौरे के समय दिल्ली को दंगे की आग में झोंकने की रणनीति बनाई जा रही थी। जामिया के छात्र नेताओं और पिंजरा तोड़ संगठन की जाफराबाद और सीलमपुर में दंगा शुरू कराने में अहम भूमिका थी। जाफराबाद में प्रदर्शन का कर रही थी नेतृत्व

दंगे की आग जाफरबाद मेट्रो स्टेशन के पास भी खूब भड़की थी। यहां चल रहे प्रदर्शन का 22 फरवरी को नेतृत्व गुलिफ्सा ही कर रही थी। यही नहीं जिन 21 जगह पर लोगों को गुमराह करने का आरोप है, उन सभी जगह सीसीटीवी फुटेज में गुलिस्ता की पहचान की गई है। वह यह जाफराबाद इलाके में गुल नाम से मशहूर है। इसके भाई ने हाई कोर्ट में जमानत के लिए अर्जी लगाई थी, जिसे कोर्ट ने रद कर दिया है। दंगा भड़काने के मामले में ही वह तिहाड़ जेल में बंद है, उसके खिलाफ पुलिस जल्द ही आरोप पत्र दायर करेगी।


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