विवादों में रहे डीसी का तबादला, अब आदेश वापस कराने में जुटे नेता
लंबे समय से विवादों में रहे पूर्वी दिल्ली नगर निगम के निगम उपायुक्त अतीक अहमद को निगम से पद मुक्त कर दिया गया है। केंद्रीय दूर संचार विभाग से प्रतिनियुक्ति पर आए आइटीएस कैडर के अधिकारी अहमद को उनके मूल कैडर में भेजने के आदेश जारी कर दिए गए हैं। हालांकि पूर्वी निगम के कुछ नेता
जागरण संवाददाता, पूर्वी दिल्ली: लंबे समय से विवादों में रहे पूर्वी दिल्ली नगर निगम के उपायुक्त (डीसी) अतीक अहमद को निगम से पदमुक्त कर दिया गया है। केंद्रीय दूरसंचार विभाग से प्रतिनियुक्ति पर आए आइटीएस कैडर के अधिकारी अहमद को उनके मूल कैडर में भेजने का आदेश जारी कर दिया गया है। हालांकि, पूर्वी निगम के कुछ नेता अब भी इस आदेश को वापस कराने का प्रयास कर रहे हैं। इस पर अंतिम फैसला बुधवार को नियुक्ति, पदोन्नति, अनुशासनात्मक एवं संबद्ध मामले की समिति में होगा। विशेष बात यह है कि इस समिति की चेयरमैन गुंजन गुप्ता हैं, जिन्होंने अतीक अहमद के खिलाफ वाट्सएप पर अश्लील फोटो भेजने का आनंद विहार थाने में मामला दर्ज करवाया था।
अतीक अहमद पांच साल की प्रतिनियुक्त पर पूर्वी निगम में आए थे। बाद में प्रतिनियुक्ति अवधि एक वर्ष बढ़ा दी गई। पिछले कुछ समय से इस अवधि को फिर एक साल और बढ़ाने की कोशिश चल रही थी, लेकिन नियुक्ति व प्रतिनियुक्ति समिति ने अवधि बढ़ाने पर रोक लगा दी और सदन ने भी इस पर मुहर लगा दी। विरोध के बाद कुछ माह पहले अहमद को जोन उपायुक्त से हटाकर मुख्यालय में कई विभाग सौंप दिए गए। प्रतिनियुक्ति अवधि बढ़ाने को लेकर निगम के कुछ नेताओं से लेकर अधिकारियों तक पर भी दबाव था, लेकिन बुधवार को होने वाली प्रतिनियुक्ति समिति की बैठक से ठीक एक दिन पहले अहमद को रिलीव करने का आदेश जारी कर दिया गया।
निगम सूत्रों के मुताबिक, अहमद को निगम में ही रखा जाए, इसके लिए कई नेताओं ने मंगलवार को आयुक्त व अन्य अधिकारियों से मुलाकात की। कई स्तर की बैठक हुई, जिसमें सुझाव दिया गया कि अगर प्रतिनियुक्त समिति में अहमद की प्रतिनियुक्ति अवधि को बढ़ाने का प्रस्ताव लाया जाए तो उन्हें मूल कैडर में भेजने से रोका जा सकता है। अब बुधवार को ही इस पर फैसला होगा। इन विवादों से रहा नाता
- पिछले वर्ष आधिकारिक वाट्सएप ग्रुप पर अतीक अहमद ने अश्लील तस्वीर डाल दी थी और पार्षद गुंजन गुप्ता ने आनंद विहार थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। इस मसले पर पक्ष-विपक्ष के पार्षद साथ थे।
- गाजीपुर में अवैध रूप से बनाए जा रहे धार्मिक भवन को लेकर भी अहमद विवादों में आए थे।
- कबाड़ी की दुकानों को शह देने और इलाका विशेष में अवैध निर्माण को बढ़ावा देने के भी आरोप थे।
-व्यवहार को लेकर भी अधिकतर पार्षद अहमद के खिलाफ रहे हैं।