तीर्थ धाम में बदला राष्ट्रीय स्मृति स्थल
अटल जी अब नहीं रहे। लोगों की संवेदनाओं का ज्वार उमड़ रहा है।
नेमिष हेमंत, नई दिल्ली
अटल जी अब नहीं रहे। लोगों की संवेदनाओं का ज्वार उमड़ रहा है। जैसे कोई अपना चला गया हो। यह निकटता और अपनापन लोगों को राष्ट्रीय स्मृति स्थल तक खींच ले आ रहा है, जहां एक दिन पहले ही भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी पंचतत्व में विलीन हुए थे। जो उनके घर, भाजपा मुख्यालय या अंतिम यात्रा मार्ग पर उनको भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित नहीं कर पाए, वे राष्ट्रीय स्मृति स्थल चले आ रहे हैं। यह तीर्थ स्थल में तब्दील हो गया है। हालांकि, सुरक्षा कारणों से स्मृति स्थल के उस स्थान को, जहां अटल जी के शरीर को मुखाग्नि दी गई थी, उसे बैरिकेडिंग से घेर दिया गया है और चारों ओर सुरक्षाकर्मी तैनात हैं। क्योंकि, अस्थियां वहीं है, जिसे रविवार की सुबह चुना जाएगा। सुरक्षा व्यवस्था में भाजपा कार्यकर्ताओं की भी तैनाती की गई है।
ऐसे में लोगों को वहां तक जाने नहीं दिया जा रहा है, लोग दूर से ही अटल को प्रणाम कर रहे हैं। शनिवार को दिनभर आम लोगों के आने-जाने का सिलसिला जारी रहा। कोई पूरे परिवार के साथ पहुंच रहा था तो कोई अकेले। लखनऊ से आए नवीन कुमार ने कहा कि वह अटल जी को बहुत प्यार करते हैं, वह उनके अंतिम दर्शन नहीं कर पाए थे। इसलिए वे यहां आए हैं। उत्तम नगर से बच्चों के साथ पहुंचे देवेंद्र ने कहा कि बच्चों को इसलिए साथ लाए हैं ताकि वह भी वाजपेयी से खुद को जोड़ सकें और उनके विचारों को जीवन में अपना सकें। वैसे, बारिश को लेकर चिंतित वहां मौजूद एक भाजपा नेता ने बताया कि चिता स्थल के ऊपर टीन शेड डालने के लिए केंद्रीय लोक निर्माण विभाग से आग्रह किया गया है। रविवार की सुबह अटल जी के परिवार के सदस्यों और अन्य करीबी लोगों की मौजूदगी में अस्थि चुना जाएगा।