Delhi: ओखला में जल्द बनेगा एशिया का सबसे बड़ा एसटीपी, 124 एमजीडी की होगी क्षमता
Delhi News जून के अंत तक ओखला कोंडली और रिठाला में सीवरेज शोधन संयंत्र बनाने का लक्ष्य है। ओखला में पहले से जल बोर्ड के छह एसटीपी हैं जिनमें से ओखला फेज एक फेज दो फेज तीन व फेज चार का नवीनीकरण कर अत्याधुनिक एसटीपी बनाया जा रहा है।
नई दिल्ली, राज्य ब्यूरो। यमुना एक्शन प्लान तीन के तहत ओखला, कोंडली व रिठाला में तीन सीवरेज शोधन संयंत्रों (एसटीपी) के निर्माण में करीब छह माह की देरी हो चुकी है, लेकिन इन तीनों संयंत्रों के निर्माण का काम 81 से 90.28 प्रतिशत पूरा हो चुका है। इसके मद्देनजर इस माह के अंत तक इन तीनों संयंत्रों का निर्माण पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।
अब तक जितना काम हुआ है, उसे देखते हुए इस माह निर्माण पूरा होना थोड़ा मुश्किल है, लेकिन जल्द ही यह परियोजनाएं पूरी हो जाएंगी। खास बात यह है कि ओखला में निर्माणाधीन एसटीपी एशिया का सबसे बड़ा एसटीपी होगा।
इन तीनों संयंत्रों के शुरू होने पर दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण कमेटी (डीपीसीसी) के मौजूदा मानक के अनुरूप सीवरेज के शोधित पानी की गुणवत्ता सुनिश्चित हो सकेगी। इसलिए यमुना सफाई के लिए यह परियोजना बेहद महत्वपूर्ण साबित होंगी।
ओखला में पहले से हैं जल बोर्ड के 6 एसटीपी
ओखला में पहले से जल बोर्ड के छह एसटीपी हैं, जिनमें से ओखला फेज एक, फेज दो, फेज तीन व फेज चार का नवीनीकरण कर अत्याधुनिक एसटीपी बनाया जा रहा है। इसका कारण यह है कि पुराने संयंत्र से सीवरेज का शोधन मानक के अनुरूप नहीं हो पा रहा था। इसके मद्देनजर जुलाई 2019 में केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र शेखावत व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मिलकर इसके नवनिर्माण की नींव रखी थी।
यमुना एक्शन प्लान तीन के तहत इस परियोजना के लिए 665.78 करोड़ रुपये स्वीकृत हैं। इसके निर्माण पर कुल लागत का 85 प्रतिशत हिस्सा केंद्र और 15 प्रतिशत हिस्सा दिल्ली सरकार उपलब्ध करा रही है और जल बोर्ड निर्माण करा रहा है।
इस संयंत्र की शोधन क्षमता 124 एमजीडी होगी, पिछले वर्ष दिसंबर तक यह परियोजना पूरी होनी थी, लेकिन अब तक 81 प्रतिशत ही काम पूरा हो चुका है।
संयंत्र के निर्माण में अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है। इसलिए इससे सीवरेज के शोधित पानी में बायोलाजिकल आक्सीजन डिमांड व टोटल सस्पेंडेड सालिड का स्तर 10 मिलीग्राम प्रति लीटर तक रह जाएगा और फास्फोरस का शोधन भी हो सकेगा। खास बात यह है कि शोधन के दौरान निकलने वाले स्लज को सौर ऊर्जा से सुखाया जाएगा।
कोंडली फेज दो एसटीपी व रिठाला फेज एक एसटीपी का काम भी दिसंबर में ही पूरा होना था। 25 एमजीडी क्षमता वाले कोंडली फेज दो एसटीपी का काम 90.28 प्रतिशत व 40 एमजीडी क्षमता के रिठाला फेज एक एसटीपी का निर्माण 86.5 प्रतिशत पूरा हो चुका है।