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ऑस्ट्रेलिया से जल्द ही एएसआइ को मिलेंगी तीन मूर्तियां

भारत से चुराकर विदेश में करोड़ों में बेच दिए गए पुरावशेष (मूर्तियों) को वापस लाने की कड़ी में अगले कुछ दिनों में 3 मूर्तियां भारतीय पुरात्तव सर्वेक्षण (एएसआइ) को वापस मिलेंगी।

By JagranEdited By: Published: Tue, 02 Jun 2020 07:01 PM (IST)Updated: Wed, 03 Jun 2020 01:35 AM (IST)
ऑस्ट्रेलिया से जल्द ही एएसआइ को मिलेंगी तीन मूर्तियां
ऑस्ट्रेलिया से जल्द ही एएसआइ को मिलेंगी तीन मूर्तियां

वीके शुक्ला, नई दिल्ली : भारत से चुराकर विदेश में करोड़ों में बेच दिए गए पुरावशेष (मूर्तियों) को वापस लाने की कड़ी में अगले कुछ दिनों में तीन मूर्तियां भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) को वापस मिलेंगी। चार जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके ऑस्ट्रेलियाई समकक्ष स्कॉट मॉरिसन के बीच एक वर्चुअल बैठक में इन्हें भारत को सौंपा जा सकता है। ये मूर्तियां ऑस्ट्रेलिया की नेशनल गैलरी से कुछ माह पहले दिल्ली आ चुकी हैं। इन मूर्तियों में दो तमिलनाडु के वीरांगल्लूर से चुराई गई थीं जो दो द्वारपाल की मूर्तियां हैं। एक मूर्ति राजस्थान या मध्यप्रदेश से चुराई गई नागराज की मूर्ति है।

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एएसआइ के अधिकारियों के अनुसार तीनों मूर्तियों को भारत लाने की प्रक्रिया अक्टूबर-नवंबर में शुरू की गई थी। आस्ट्रेलियाई सरकार स्वेच्छा से इन्हें वापस कर रही है। ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने पहले इस वर्ष जनवरी के शुरुआत में मॉरिसन की आधिकारिक भारत यात्रा के दौरान सांस्कृतिक महत्व के इन तीन पुरावशेषों को वापस करने की योजना बनाई थी, लेकिन ऑस्ट्रेलिया के जंगलों में आग लग जाने के कारण यह कार्यक्रम नहीं हो सका और फिर कोरोना संक्रमण के चलते देर हुई है। एएसआइ के अधिकारी ने कहा कि अब चार जून को दोनों प्रधानमंत्रियों की बैठक में इन्हें भारत को सौंपा जा सकता है। उसके बाद, हम दो द्वारपालों की मूर्तियों को तमिलनाडु भेजेंगे, जहां इनकी चोरी का मामला दर्ज है। जबकि नागराज को लाल किले के एक संग्रहालय को सौंपा जाएगा।

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7 वीं शताब्दी से लेकर 10वीं शताब्दी की हैं मूर्तियां द्वारपाल की मूर्तियां पत्थर की हैं और 9वीं-10वीं शताब्दी की हैं। इन्हें तस्कर सुभाष कपूर द्वारा तमिलनाडु के वीरांगल्लूर से 1995 में चोरी कर विदेश में बेचा गया था। इसके चोरी होने की सूचना होने के कारण इन्हें खोजा जा सका। दूसरी मूर्ति नागराज की है जो राजस्थान या मध्यप्रदेश से चोरी की गई थी। यह मूर्ति 7वीं से आठवीं शताब्दी की है। इसे साल 2006 में ऑस्ट्रेलिया की नेशनल गैलरी ने न्यूयॉर्क से खरीदा था। इस मूर्ति के बारे में कोई एफआइआर दर्ज नहीं है। इसके चलते यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि इसे इन दोनों राज्यों में से किस राज्य के किस मंदिर से कब चोरी किया गया था। हालांकि इसकी निर्माण शैली से माना जा रहा है कि इसे राजस्थान या मध्य प्रदेश के किसी मंदिर से चोरी किया गया था। इससे पहले भी आस्ट्रेलिया 6 पुरावशेष लौटा चुका है

तीन साल पहले ऑस्ट्रेलिया ने तीन पुरावशेष लौटाए थे, जिनमें तमिलनाडु में कुड्डालोर जिले के एक शिव मंदिर से चोरी हुई देवी प्रतिमिरा की मूर्ति भी शामिल है। 2014 में भी तत्कालीन ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री टोनी एबॉट ने राज्य के मंदिरों से चोरी हुई नटराज और अ‌र्द्धनारीश्वर की दो मूर्तियों को वापस कर दिया था।


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