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उल्टा पड़ने लगा LG हाउस पर धरना देने का फैसला, जानें- कैसे अपने ही बुने जाल में फंसे केजरीवाल

भाजपा व कांग्रेस भी आम आदमी पार्टी और केजरीवाल की खिंचाई करने में लगे हैं। आलम यह है कि केजरीवाल अब इस धरने को चाहकर भी खत्म नहीं कर पा रहे हैं।

By JP YadavEdited By: Published: Fri, 15 Jun 2018 07:49 AM (IST)Updated: Fri, 15 Jun 2018 10:05 AM (IST)
उल्टा पड़ने लगा LG हाउस पर धरना देने का फैसला, जानें- कैसे अपने ही बुने जाल में फंसे केजरीवाल
उल्टा पड़ने लगा LG हाउस पर धरना देने का फैसला, जानें- कैसे अपने ही बुने जाल में फंसे केजरीवाल

नई दिल्ली (संजीव गुप्ता)। जनता की हमदर्दी पाने को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने राजनिवास में धरना देने की योजना तो बनाई, लेकिन अब अपने बुने जाल में खुद ही फंसते जा रहे हैं। जनता की हमदर्दी तो मिल नहीं रही, उल्टा संदेश जा रहा है सो अलग। वह जो मांग कर रहे हैं, वो भी पूरी नहीं हो सकती। उधर, भाजपा व कांग्रेस भी आप एवं केजरीवाल की खिंचाई करने में लगे हैं। आलम यह है कि केजरीवाल अब इस धरने को चाहकर भी खत्म नहीं कर पा रहे हैं।

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दरअसल, एलजी अनिल बैजल को घेरने का दांव केजरीवाल को खुद ही उल्टा पड़ गया है। राजनीतिक जानकार बता रहे हैं कि यह सब हाई वोल्टेज राजनीतिक ड्रामे से अधिक कुछ साबित नहीं हो पाएगा। राजनिवास ने दो टूक शब्दों में स्पष्ट कर दिया है कि जब अधिकारी हड़ताल पर हैं ही नहीं तो खत्म क्या कराएं। इसी तरह राशन की डोर स्टेप डिलीवरी वाली फाइल भी एलजी के पास नहीं बल्कि तीन माह से खाद्य आपूर्ति मंत्री इमरान हुसैन के ही पास है।

जानकारी के मुताबिक, सीएम को उम्मीद थी कि जैसे वह मोहल्ला क्लीनिक के मामले में राजनिवास पर दबाव बनाने में कामयाब हो गए थे, शायद इस बार भी वही दांव चल जाए। लेकिन, ऐसा कुछ नहीं हो पाया। न तो अन्य विधायकों को राजनिवास तक ही पहुंचने दिया जा रहा है और न अपने निर्णय से एलजी ही टस से मस हो रहे हैं। इससे भी बड़ी बात यह कि केंद्र ने भी इस पचड़े में पड़ने से इन्कार कर दिया है।

गृह सचिव व गृह मंत्री दोनों ने ही एलजी को यह स्पष्ट कर दिया है कि अधिकारियों को विश्वास में लेने के लिए सीएम को खुद ही पहल करनी होगी। जिस तरह से नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता सहित विपक्ष के नेताओं ने दिल्ली सचिवालय में मुख्यमंत्री कार्यालय के बाहर धरना शुरू किया है, वह भी आप के लिए गले की फांस बन रहा है। उधर कांग्रेस भी सत्ता से बाहर होने के बावजूद आप की कलई खोलने में लगी है। यहां तक कि गुरुवार से एलजी और उनके सचिवालय के अधिकारियों ने भी अपना कामकाज निपटाना शुरू कर दिया। और तो और आप के कुछ नेता भी केजरीवाल के इस निर्णय से खुश नहीं हैं। सूत्र बताते हैं कि उन्हें जल्द ही यह धरना खत्म करना पड़ेगा, वह भी बेनतीजा।

गृहमंत्री से मिले उपराज्यपाल

उपराज्यपाल अनिल बैजल ने बृहस्पतिवार को गृहमंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की। इस मुलाकात के दौरान उन्होंने दिल्ली में सियासी ड्रामे व मुख्यमंत्री केजरीवाल व उनके मंत्रियों द्वारा धरना दिए जाने से उत्पन्न स्थिति से गृहमंत्री को अवगत कराया। गृह मंत्रलय दिल्ली की स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं पर बताया जा रहा है कि केंद्र सरकार इस मामले में हस्तक्षेप नहीं करेगी।

वहीं, दिल्ली प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय माकन का कहना है कि दिल्लीवासी खूब समझ रहे हैं कि इस समय दिल्ली में प्रमुख समस्याएं क्या हैं और सीएम कौन से मुद्दों को उठाए घूम रहे हैं। पूरी दिल्ली खतरनाक वायु प्रदूषण की चपेट में है और केजरीवाल सहित उनके सहयोगी मंत्री राजनिवास के एसी प्रतीक्षालय में सोफे पर आराम फरमा रहे हैं।

काम नहीं आया कैंडल मार्च

राजनिवास में सीएम केजरीवाल के धरना को जनआंदोलन में बदलने का आप का प्रयास परवान नहीं चढ़ पा रहा है। केजरीवाल के धरना के चौथे दिन आप द्वारा राजघाट पर कैंडल मार्च के जरिये दिल्ली वालों को गोलबंद करने की कोशिश बुरी तरह पिट गई। आंदोलन में बमुश्किल कुछ सौ लोग जुटे। उसमें भी आधे से अधिक पार्टी के सांसद, विधायक, पार्षद व उनके समर्थक ही शामिल रहे। वैसे, आप ने कैंडल मार्च को सफल बनाने के लिए पार्टी के जनप्रतिनिधियों व पदाधिकारियों को भी भीड़ जुटाने को कहा था। यह स्थिति तब रही जब माकपा का भी साथ मिला। माकपा नेता वृंदा करात भी कैंडल मार्च में शामिल हुईं।

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