एम्स के 13 रेजिडेंट डॉक्टर परीक्षा में फेल
एम्स सहित तमाम सरकारी अस्पतालों में मरीजों के इलाज का दारोमदार रेजिडेंट डॉक्टरों पर ही होता है। फिर भी यह जानकर हैरानी होगी कि फाइनल अकादमिक परीक्षा में एम्स के 13 रेजिडेंट डॉक्टर फेल हो गए। जिसमें नौ स्नाताकोत्तर व चार सुपर स्पेशियलिटी के वरिष्ठ रेजिडेंट डॉक्टर शामिल हैं। इनमें से आठ डॉक्टर प्रयोगिक परीक्षा में असफल हुए हैं।
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : फाइनल अकादमिक परीक्षा में एम्स के 13 रेजिडेंट डॉक्टर फेल हो गए। इसमें नौ स्नातक और चार सुपर स्पेशियलिटी के वरिष्ठ रेजिडेंट डॉक्टर शामिल हैं। इनमें से आठ डॉक्टर प्रयोगिक परीक्षा में असफल हुए हैं। वहीं संस्थान के डॉक्टर परीक्षा में रेजिडेंट डॉक्टरों को अंक देने के तौर तरीकों पर सवाल खड़े कर रहे हैं।
एम्स द्वारा कराई गई परीक्षा में कुल 197 रेजिडेंट डॉक्टर शामिल हुए थे। इसमें एमडी (डॉक्टर ऑफ मेडिसिन) व एमएस (डॉक्टर ऑफ सर्जरी) कोर्स मिलाकर स्नातकोत्तर के 120 व सुपर स्पेशियलिटी के 77 डॉक्टर शामिल हैं। स्नातकोत्तर में एनेस्थीसिया विभाग के दो, कम्युनिटी मेडिसिन के एक, जेरियाट्रिक मेडिसिन के दो, न्यूक्लियर मेडिसिन के दो और ऑर्थोपेडिक के दो रेजिडेंट डॉक्टर फेल हो गए। खास बात यह कि न्यूक्लियर मेडिसिन में दो ही रेजिडेंट डॉक्टर परीक्षा में शामिल हुए। वहीं सुपर स्पेशियलिटी में तीन विभागों के चार रेजिडेंट डॉक्टर फेल हुए हैं।
स्नातकोत्तर व सुपर स्पेशियलिटी का कोर्स तीन साल का होता है। रेजीडेंट डॉक्टर के रूप में सेवाएं देने के लिए इन लोगों को वेतन भुगतान भी किया जाता है। डॉक्टर कहते हैं कि परीक्षा में फेल होने पर कई दूसरे संस्थानों में तीन माह बाद दोबारा परीक्षा देने का मौका मिलता है, जबकि एम्स में छह माह बाद दोबारा परीक्षा में शामिल होने का मौका मिलता है। तब तक वे एम्स में बतौर रेजिडेंट डॉक्टर काम भी नहीं कर सकते हैं। डॉक्टर सवाल खड़े करते हुए कहते हैं कि रेजिडेंट डॉक्टर घंटो मरीजों का इलाज करते हैं। फिर भी उनका परीक्षा में फेल होना, खासतौर पर प्रयोगिक परीक्षा व शोध में पास नहीं होना संस्थान पर सवाल खड़े करता है।