एचसीक्यू लेने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे एम्स के डॉक्टर
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) ने भले ही स्?वास्?थ्?य कर्मियों के अलावा कोरोना की रोकथाम व सर्विलांस में जुटे पुलिस कर्मियों इत्?यादि को भी हाईड्रॉक्?सी क्?लोरोक्?वीन (एचसीक्?यू) प्रोफाइलेक्?सिस (बचाव के लिए ली जाने वाली दवा) लेने का निर्देश पिछले दिनों जारी किया लेकिन डॉक्?टर ही इस पर ज्?यादा भरोसा नहीं जता पा रहे हैं। इसलिए चिकित्?सा संस्?थानों द्वारा यह दवा उपलब्?ध कराए जाने के बावजूद भी सभी डॉक्?टर व स्?वास्?थ्?य कर्मी यह दवा लेने की हिम्?मत नहीं जुटा पाए। दवा के संभावित दुष्?परिणाम की उन्?हें चिता सता रही है। एम्?स के रेजिडेंट डॉक्?टर तो आइसीएमार के दिशा निर्देश पर भी सवाल खडे कर रहे हैं।
रणविजय सिंह, नई दिल्ली
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) ने एम्स सहित अन्य अस्पतालों के डॉक्टरों व कर्मचारियों को हाईड्रोक्सी क्लोरोक्वीन (एचसीक्यू) प्रोफाइलेक्सिस दवा लेने के निर्देश दिए हैं। ताकि कोरोना से बचाव हो सके। चिकित्सा संस्थानों द्वारा यह दवा मुहैया भी कराई जा रही है। लेकिन, एम्स सहित अन्य अस्पतालों के डॉक्टर इसके दुष्परिणाम को लेकर चिंतित हैं और दवा लेने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं। यही नहीं एम्स के रेजिडेंट डॉक्टर तो आइसीएमआर के दिशा-निर्देश पर भी सवाल उठा रहे हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने पिछले दिनों कोरोना के मरीजों के इलाज में इस दवा के ट्रायल पर अस्थायी रोक लगाई है। इससे दवा के इस्तेमाल को लेकर विवाद बढ़ गया है। बहरहाल, एम्स ने कोरोना से बचाव के लिए सभी रेजिडेंट डॉक्टरों, नर्सिंग कर्मचारी व क्लीनिकल कार्य से जुड़े कर्मचारियों को यह दवा उपलब्ध कराई है। डॉक्टर बताते हैं कि कोविड वार्ड में ड्यूटी करने वाले कई डॉक्टरों व नर्सिंग कर्मचारियों ने दवा की निर्धारित खुराक भी ली है, लेकिन कई डॉक्टरों ने दवा नहीं खाई। एक डॉक्टर ने कहा कि उन्हें भी दवा मिली थी, लेकिन नहीं खाई। यही नहीं कोविड वार्ड में जिनकी ड्यूटी नहीं लगी है, उनमें से ज्यादातर ने यह दवा नहीं ली है। संस्थान में 95 से ज्यादा कर्मचारी संक्रमित मिल चुके हैं।
एचसीक्यू दवा का इस्तेमाल मलेरिया के इलाज में होता है। हाल ही में आइसीएमआर ने जो नए दिशा निर्देश जारी किए हैं। उसमें कहा गया है कि एम्स सहित कई अस्पतालों में स्वास्थ्य कर्मियों को यह दवा प्रोफाइलेक्सिस के रूप में दी गई। जिसमें यह देखा गया कि जिन कर्मचारियों ने यह दवा ली थी उनमें से कम लोगों को कोरोना का संक्रमण हुआ। जिन कर्मचारियों ने दवा नहीं ली थी उनमें संक्रमण अधिक देखा गया। साथ ही 15 साल से कम उम्र के बच्चों व दिल के मरीजों को यह दवा लेने से मना भी किया गया है।
एम्स रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन के सचिव डॉ श्रीनिवास राजकुमार ने कहा कि एचसीक्यू दवा देने का फैसला गलत है। लांसेट में भी नया शोध पत्र प्रकाशित हुआ है। इसमें यह बताया गया है कि इसका खास फायदा नहीं है। आइसीएमआर ने सभी स्वास्थ्य कर्मियों के लिए देशभर में इसे लागू किया है। लेकिन, हो सकता है कि अब वह अपना फैसला वापस ले ले। क्योंकि डब्ल्यूएचओ ने भी ट्रायल रोक दिया है। एम्स में कोविड वार्ड में काम करने वाले ज्यादातर कर्मचारी यह दवा ले रहे थे, बहुत से लोगों ने नहीं भी ली है। आरडीए के पूर्व अध्यक्ष डॉ. अमरिदर सिंह मल्ही ने कहा कि उन्होंने यह दवा लेना शुरू किया था, लेकिन बीच में बंद कर दिया। क्योंकि अभी यह तय नहीं है कि ये कितना फायदेमंद है। वहीं सफदरजंग अस्पताल के रेजिडेंट डॉक्टर भी कहते हैं कि इस दवा से दुष्परिणाम की बात समाने आई है। खासतौर पर जिन्हें आंख की परेशानी व दिल की बीमारी है।