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'शारीरिक व मानसिक शोषण से मेंटल ट्रामा का खतरा'

हाल के दिनों में मी टू के मामले सुर्खियों में रहे। इसके मद्देनजर एम्स में सोमवार देर शाम आयोजित सम्मेलन में डॉक्टरों ने मी टू पर चर्चा की। इस दौरान महिला रेजिडेंट डॉक्टरों ने आपबीती सुनाई। चर्चा के दौरान यह बात सामने आई कि महिलाओं को शिक्षण संस्थानों से लेकर कार्यस्थलों तक शोषण का शिकार होना पड़ता है। इसलिए कॉलेजों के अलावा स्कूलों में भी उत्पीड़न कमेटी बनाने की मांग की गई।

By JagranEdited By: Published: Mon, 19 Nov 2018 10:42 PM (IST)Updated: Mon, 19 Nov 2018 10:42 PM (IST)
'शारीरिक व मानसिक शोषण 
से मेंटल ट्रामा का खतरा'
'शारीरिक व मानसिक शोषण से मेंटल ट्रामा का खतरा'

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : हाल के दिनों में मी टू के मामले सुर्खियों में रहे। इसके मद्देनजर एम्स में सोमवार देर शाम आयोजित सम्मेलन में डॉक्टरों ने मी टू पर चर्चा की। इस दौरान महिला रेजिडेंट डॉक्टरों ने आपबीती सुनाई। चर्चा के दौरान यह बात सामने आई कि महिलाओं को शिक्षण संस्थानों से लेकर कार्यस्थलों तक शोषण का शिकार होना पड़ता है। इसलिए कॉलेजों के अलावा स्कूलों में भी उत्पीड़न कमेटी बनाने की मांग की गई।

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सम्मेलन में शामिल सुप्रीम कोर्ट की वकील करुणा नंदी ने कहा कि ऐसे मामलों से निपटने के लिए कानून में व्यवस्था है, उसे और मजबूत करने की जरूरत है। क्योंकि लड़कियों का पीछा करने वालों के खिलाफ शिकायत करने के बावजूद उन्हें जमानत मिल जाती है। इसके अलावा सभी संस्थानों में कमेटी होनी चाहिए। ऐसे मामलों के जल्द निपटारे और कार्रवाई के लिए ट्रिब्यूनल बनाया जाना चाहिए। वहीं एम्स के मनोचिकित्सक और छात्र वेलनेस सेंटर के प्रभारी डॉ. प्रताप शरण ने कहा कि शारीरिक व मानसिक शोषण से मेंटल ट्रामा का खतरा रहता है। इसमें अवसाद होने के कारण खुदकशी करने की आशंका बढ़ जाती है। उन्होंने कहा कि कई बार दूसरे को परेशान करने वाला व्यक्ति भी मानसिक रूप से बीमार हो सकता है। इस तथ्य को भी नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। ऐसा संभव है कि इलाज के बाद उसकी आदतें बदल जाए।

इस सम्मेलन का आयोजन एम्स के रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन ने किया। एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. हरजीत भट्टी ने भी स्कूल टाइम के दौरान एक लड़के द्वारा लड़कियों को परेशान करने की घटना बताई। उन्होंने कहा कि यदि किसी भी रेजिडेंट डॉक्टर या छात्र के साथ शारीरिक या मानसिक शोषण होता है तो वे खुलकर बोलें, उसे दबाएं नहीं। मामलों को दबाने से समस्या का हल नहीं होगा। इस दौरान दो महिला रेजिडेंट डॉक्टरों ने बताया कि किस तरह उन्हें शोषण से गुजरना पड़ा था। एक ने कहा कि स्कूल टाइम में गणित का ट्यूशन पढ़ाने वाला शिक्षक ही परेशान करता था। वह गलत तरीके से छूने की कोशिश करता था। इस कारण वह डर गई थीं और इस बारे में माता-पिता को भी नहीं बता पा रही थीं। उन्हें ऐसा लगता था कि इस बारे मे बताने पर माता-पिता वे इस बात को किस रूप में लेंगे।


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