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जेल में पत्नी से मिलने पर बीच में रखी जाती थी 20 फीट की टेबल :प्रो. विजय कुमार मल्होत्रा

राहुल चौहान दक्षिणी दिल्ली देश में 45 वर्ष पूर्व लगाए गए आपातकाल के दौरान हजारों लोगों को मीसा क

By JagranEdited By: Published: Tue, 23 Jun 2020 08:17 PM (IST)Updated: Tue, 23 Jun 2020 08:31 PM (IST)
जेल में पत्नी से मिलने पर बीच में रखी जाती थी 20 फीट की टेबल :प्रो. विजय कुमार मल्होत्रा
जेल में पत्नी से मिलने पर बीच में रखी जाती थी 20 फीट की टेबल :प्रो. विजय कुमार मल्होत्रा

राहुल चौहान, दक्षिणी दिल्ली

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देश में 45 वर्ष पूर्व लगाए गए आपातकाल के दौरान हजारों लोगों को मीसा कानून के तहत जेल में डाल दिया गया था। इनमें ज्यादातर तत्कालीन जनसंघ (मौजूदा भाजपा) और समाजवादी नेता शामिल थे। इन्हें 19 माह तक तत्कालीन इंदिरा गाधी सरकार ने जेल में बंद रखा था। इनमें अलग-अलग राज्यों की जेल में बंद रहे वरिष्ठ भाजपा नेता प्रो. विजय कुमार मल्होत्रा भी शामिल थे। दक्षिणी दिल्ली लोकसभा सीट से दो बार सासद रहे मल्होत्रा ने बातचीत में बताया कि मुझे आपातकाल के पहले दिन ही मसूरी से गिरफ्तार किया गया था। वहा से दिल्ली लाकर तिहाड़ जेल भेज दिया गया। फिर यहा से अंबाला जेल। मल्होत्रा आगे बताते हैं कि बाद में मुझे रीढ़ की हड्डी में दर्द की शिकायत पर चंडीगढ़ स्थित पीजीआइ के जेल वार्ड में रखा गया। जिस कमरे में मुझे रखा गया था उसमें मुझसे पहले जयप्रकाश नारायण जी बंद थे। उस कमरे की खिड़कियों और रोशनदान को सील कर दिया गया था। कमरे में कहीं से भी रोशनी नहीं आ सकती थी। जाते ही मैंने देखा कि कमरे तक पहुंचने के लिए तीन सुरक्षा घेरों को पार करना पड़ता था। डॉक्टर, नर्स, भोजन पहुंचाने वालों, सफाई कर्मचारियों व सुरक्षाकíमयों तक के साथ हमेशा इंटेलिजेंस के लोग रहते थे। किसी भी प्रकार की बातचीत की अनुमति नहीं थी। जब मेरी पत्नी मुझसे मिलने जेल में जाती थीं तो हमारे बीच में 20 फीट लंबी टेबल रखकर मुलाकात कराई जाती थी। इस दौरान भी इंटेलिजेंस के तीन-चार लोग मौजूद रहते थे। मैं पत्नी के हाथों अटल जी को पत्र भेजता था और पत्र में अक्सर यह लिखता था कि हम लोग जेल में बंद हैं। इसलिए आप (अटल जी) सरकार से कोई समझौता मत करना। अंबाला जेल का सहायक सुपरिटेंडेंट एक कागज देने के लिए जब मुझसे मिलने आया तो उसने कहा खुलजा सिम-सिम और दरवाजे खुलते चले गए और वह वहा पहुंचा। एक माह तक न मैंने सूरज देखा, न चाद और न आकाश। जेल में मुझे पता चला कि यहा बंद रहने के दौरान आपातकाल के खिलाफ जयप्रकाश जी ने भूख हड़ताल कर दी थी। उनको रिहा करने से पूर्व सरकार ने उनकी मृत्यु हो जाने की स्थिति में देश भर में संभावित आक्रोश का मुकाबला करने के लिए पूरे प्रबंध कर लिए थे। चंडीगढ़ पीजीआइ के जेल वार्ड में रहते हुए मैंने दो बार हाईकोर्ट में याचिका डाली और कहा कि मुझे कोई बीमारी नहीं है। अत: मुझे काल कोठरी से निकाला जाए। हाईकोर्ट ने पहले आदेश दिया कि मुझे प्रतिदिन एक घटा बाहर घुमाया जाए और बाद में चंडीगढ़ जेल में भेज दिया गया। बाद में मुझे चंडीगढ़ जेल से हिसार जेल में स्थानातरित कर दिया गया। पूरे 19 महीने बाद जब सरकार ने सभी बंदियों को छोड़ा तब मेरी रिहाई हुई।


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