विधानसभा चुनाव में हीरो, लोकसभा में जीरो
विधानसभा चुनाव 2015 में जो आम आदमी पार्टी हीरो बनकर दिल्ली की जनता के सामने आई थी यह पार्टी इस लोकसभा चुनाव में जीरो हो गई है। आम आदमी पार्टी इस चुनाव में पांच सीटों पर तीसरे स्थान पर पहुंच गई है। इसे आम आदमी पार्टी के गिरते जनाधार से भी जोड़ कर देखा जा रहा है। 2015 के चुनाव के बाद आप एक भी चुनाव नहीं जीत सकी है।
वीके शुक्ला, नई दिल्ली
विधानसभा चुनाव 2015 में जो आम आदमी पार्टी (आप) हीरो बनकर दिल्ली की जनता के सामने आई थी, वह इस लोकसभा चुनाव में जीरो हो गई है। वह इस चुनाव में पांच सीटों पर तीसरे स्थान पर पहुंच गई है। इसे आप के गिरते जनाधार से भी जोड़कर देखा जा रहा है। वर्ष 2015 के चुनाव के बाद आप एक भी चुनाव नहीं जीत सकी है।
आम आदमी पार्टी को इस लोकसभा चुनाव में मिले वोटों का आकलन करें तो उसका एक भी प्रत्याशी जीत दर्ज नहीं कर सका है। कोई भी प्रत्याशी 30 फीसद तक वोट नहीं प्राप्त कर सका है। यहां तक कि तीन प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई है। आप के ये तीन प्रत्याशी नई दिल्ली सीट से बृजेश गोयल, चांदनी चौक से पंकज गुप्ता और उत्तरी पूर्वी दिल्ली सीट से दिलीप पांडेय हैं। उन्हें 16.6 फीसद वोट भी नहीं मिले हैं। केवल चार प्रत्याशी ही ऐसे हैं जो अपनी जमानत बचा पाए हैं। इनमें पूर्वी दिल्ली सीट से आतिशी, दक्षिणी दिल्ली से राघव चड्ढा, पश्चिमी दिल्ली से बलबीर सिंह जाखड़ और उत्तरी पश्चिमी दिल्ली सीट से गुग्गन सिंह शामिल हैं। राघव चड्ढा ने आप के सभी प्रत्याशियों से अधिक करीब 26 फीसद वोट प्राप्त किए हैं, जबकि गुग्गन सिंह को 21 फीसद वोट मिले हैं। आप के प्रत्याशी पांच सीटों पर कांग्रेस से भी पीछे चले गए हैं। यानी वह पांच सीटों पर तीसरे नंबर पर खिसक गई है। आप केवल दक्षिणी दिल्ली और उत्तरी पश्चिमी दिल्ली सीट पर कांग्रेस से आगे रही है। यह स्थिति तब है जब आप ने इस चुनाव को जीतने के लिए पूरी ताकत लगा दी। आप के छह प्रत्याशियों ने लगभग आठ माह पहले से अपने-अपने क्षेत्रों में चुनाव प्रचार किया। पूरा संगठन चुनाव प्रचार में लगा रहा। दिल्ली सरकार भी चुनाव के दौरान सड़कों पर उतरी। मुख्यमंत्री अरविद केजरीवाल ने हर लोकसभा सीट पर जनसभा की और रोड शो किए। चुनाव प्रचार के लिए आप ने कोई कसर नहीं छोड़ी। इसके बाद भी वह इस लोकसभा चुनाव में जीरो साबित हुई। यह वही पार्टी है, जिसने 2015 में हुए दिल्ली विधानसभा चुनाव में 70 में से 67 सीटें प्राप्त की थीं। अरविद केजरीवाल के नाम पर ऐसे प्रत्याशी भी चुनाव जीत गए थे जिन्होंने राजनीति का ककहरा भी नहीं पढ़ा था। हालांकि 2015 के विधानसभा चुनाव के बाद से दिल्ली में आप का ग्राफ गिरा है। कारण जो भी रहे हों, लेकिन आप 2015 वाला जनसमर्थन नहीं दोहरा सकी है। आप दिल्ली में दो विधानसभा उपचुनाव में उतरी, जिसमें से एक में जीत मिली। वर्ष 2017 में दिल्ली में हुए नगर निगम चुनाव में आप भाजपा के बाद दूसरी बड़ी पार्टी जरूर बनी, लेकिन सत्ता में नहीं आ सकी। अब इस लोकसभा चुनाव में भी आप को हार का सामना करना पड़ा।