Move to Jagran APP

Red Fort Name Change Issue: पढ़िये- कैसे लाल किले से रहा है नेताजी सुभाष चंद्र बोस का गहरा नाता

Red Fort Name Change Issue लाल किला का नाम नेताजी सुभाष चंद्र बोस के नाम पर रखे जाने की मांग उठी है नेताजी के प्रपौत्र व भाजपा सांसद चंद्र कुमार बोस ने यह मांग प्रधानमंत्री को पत्र लिख कर की है। इसे लेकर विद्वानों के अलग अलग मत हैं।

By Jp YadavEdited By: Published: Mon, 19 Jul 2021 10:07 AM (IST)Updated: Mon, 19 Jul 2021 02:31 PM (IST)
Red Fort Name Change Issue: पढ़िये- कैसे लाल किले से रहा है नेताजी सुभाष चंद्र बोस का गहरा नाता
Red Fort Name Change Issue: पढ़िये- कैसे लाल किले से रहा है नेताजी सुभाष चंद्र बोस का गहरा नाता

नई दिल्ली [वीके शुक्ला]। Red Fort Name Change Issue:  देश की राजधानी दिल्ली में स्थित लाल किला का नाम नेताजी सुभाष चंद्र बोस के नाम पर रखे जाने की मांग उठी है, नेताजी के प्रपौत्र व भाजपा सांसद चंद्र कुमार बोस ने यह मांग प्रधानमंत्री को पत्र लिख कर की है। इसे लेकर विद्वानों के भले ही अलग अलग मत हैं, लेकिन लाल किले से सुभाष चंद्र बोस का गहरा नाता रहा है। दरअसल इसी किले में नेताजी के सबसे वफादार तीन सैन्य अधिकारी बंद रहे थे। उनका अंग्रेजों की सरकार ने कोर्ट मार्शल किया था। हालांकि, पंडित जवाहर लाल नेहरू ने एक वकील की हैसियत से पैरवी कर तीनों को रिहा करा लिया था।लाल किले में नेताजी के नाम से संग्रहालय बनाया गया है।

loksabha election banner

नेताजी को सम्मान देते हुए भारत सरकार 23 जनवरी यानी नेताजी की जयंती को पराक्रम दिवस के रूप में मनाती है। नेताजी की फौज के तीन सैन्य अधिकारियों को लाल किला की बावली में कैद करके रखा गया था। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) की ओर से इस बावली में पर्यटकों को जाने की इजाजत नहीं है, मगर जिन पर्यटकों को इस बावली के बारे में जानकारी है, वे इसे देखने जरूर जाते हैं और बाहर से देखकर लौट जाते हैं। उनके लिए इस बावली को लेकर सम्मान है। लालकिला की इस बावली को लेकर अभी स्थिति स्पष्ट नहीं है कि इसे लालकिला के साथ बनाया गया था या फिर पहले की बनी है।

लालकिला के स्मारकों में इस बावली का जिक्र नहीं है, हालांकि एएसआइ भी मान रहा है कि यह एक महत्वपूर्ण बावली है। लालकिला में प्रवेश करने के बाद छत्ता बाजार से जैसे ही आगे बढ़ते हैं। बाईं तरफ मुड़ने पर करीब 40 मीटर दूर जाने पर दाहिनी ओर बावली है, जिसमें जेल बनी है। कुछ साल पहले तक नेताजी पर आधारित एक छोटा संग्रहालय सलीमगढ़ किले में था। जिसे बंद कर दिया गया है। वहां प्रदर्शित नेताजी से जुड़े सामान को लालकिला के संग्रहालय में लाकर प्रदर्शित किया गया है।

जानकारों के मुताबिक अंग्रेजों के खिलाफ बगावत करने पर ब्रिटिश आर्मी ने बर्मा में जनरल शाहनवाज खान और उनके दल को ब्रिटिश आर्मी ने 1945 में बंदी बना लिया था। नवंबर 1946 में मेजर जनरल शाहनवाज खान, कर्नल प्रेम सहगल और कर्नल गुरुबक्श सिंह को भी बंदी बनाकर इसी बावली में लाया गया था। यहां इन्हें लंबे समय तक रखा गया था। इन पर अंग्रेजी हुकूमत ने मुकदमा चलाया था। बाद में तीनों सैन्य अधिकारियों को कोर्ट ने अर्थदंड का जुर्माना लगाकर छोड़ दिया था। लाल किला के एक संग्रहालय में कुछ साल पहले तक अदालत का वह सीन उपलब्ध था, जिसमें कैदी के रूप में तीनों सैन्य अधिकारियों को दिखाया गया था।

‘नेताजी को लेकर किसी मामले में राजनीति न हो’

इंदिरा गांधी ओपन विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफसर कपिल कुमार लाल किला का नाम सुभाष चंद्र बोस के नाम पर रखे जाने की मांग से सहमत नहीं हैं। उनका कहना है कि नेताजी को लेकर किसी मामले में राजनीति नहीं होनी चाहिए। नेताजी का बहुत सम्मान है। हर देश वासी के मन में उनके प्रति आदर है। अगर हम कहें कि लाल किला का नाम सुभाष चंद्र बोस फोर्ट रख दिए जाने से नेताजी का सम्मान बढ़ जाएगा तो यह ठीक नहीं है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.