Para Athletics: सड़क को ही रनिंग ट्रैक बना पैरा एशियन चैंपियनशिप के लिए अभ्यास में जुटे अक्षय
पैरा एथलीट अक्षय बताते हैं कि तीन वर्ष की अवस्था में वह पोलियो के शिकार हो गए थे जिसके चलते उनका दाहिना हाथ व पैर कमजोर है लेकिन वह दिव्यांगता को अपने पर हावी होने नहीं देना चाहते।
नई दिल्ली [पुष्पेंद्र कुमार]। कहते हैं जब हौसले बुलंद हों तो संसाधन बहुत मायने नहीं रखते। कम संसाधनों में भी सफलता हासिल की जा सकती है। इस बात को सही साबित करने में जुटे हैं मयूर विहार फेज-तीन निवासी पैरा एथलीट अक्षय। घर की आर्थिक हालत ठीक नहीं है। स्टेडियम की फीस भरने के लिए भी उनके पास पैसे नहीं हैं, इसलिए अक्षय ने सड़क को ही रनिंग ट्रैक बनाकर अभ्यास शुरू कर दिया।
पहले प्रयास में मिली हार तो निराश हो गए थे अक्षय
पहले प्रयास में मिली हार के बाद अक्षय निराश हो गए थे। एक बार तो उन्हें लगा कि शायद वह कभी पदक जीत कर अपने घर वालों को खुशी नहीं दे पाएंगे, लेकिन दो साल के कठिन परिश्रम का नतीजा यह हुआ कि रायपुर में आयोजित 16वीं नेशनल पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप 2020 में रजत पदक हासिल कर यमुनापार ही नहीं, बल्कि दिल्ली का भी नाम रोशन किया।
बीमारी के बाद हाथ-पैर हुए कमजोर
अक्षय बताते हैं कि तीन वर्ष की अवस्था में वह पोलियो के शिकार हो गए थे, जिसके चलते उनका दाहिना हाथ व पैर कमजोर है, लेकिन वह दिव्यांगता को अपने पर हावी होने नहीं देना चाहते। वह मेहनत और जोश के बल पर पैरा ओलंपिक में देश के लिए स्वर्ण पदक जीतना चाहते हैं। उनका पसंदीदा खेल दौड़ है। वह पैरा एशियन चैंपियनशिप के लिए अभी से तैयारी में जुट गए हैं। उन्होंने बताया कि स्टेडियम की फीस भरने के लिए उनके पास पैसे नहीं हैं, इसलिए वह क्षेत्र की सड़क पर ही दौड़ लगाकर अभ्यास कर रहे हैं।
पता नहीं था पैरा एथलीट के बारे में
अक्षय बताते हैं कि उन्हें पैरा एथलीट खेलों के बारे में स्कूल तक कोई जानकारी नहीं थी। उन्होंने 12वीं कक्षा तक की पढ़ाई मयूर विहार के सवरेदय विद्यालय से की है। स्कूल की पढ़ाई पूरी होने के बाद दिल्ली विश्वविद्यालय के फैकल्टी आफ ला से वकालत की पढ़ाई कर रहे हैं। यहीं पर साथी छात्रों ने उन्हें पैरा एथलीट के बारे में बताया। पहली बार उन्होंने 2018 में पैरा रेस में भाग लिया और वे हार गए। फिर दो साल बाद 16वीं नेशनल पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप 2020 में रजत पदक जीता।