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Delhi University: उत्तराखंड आपदा का अध्ययन करेंगे डीयू के विज्ञानी, बनाएंगे ठोस कार्ययोजना

चमोली जिले की नीति घाटी में ग्लेशियर टूटने से ऋषिगंगा और धौलीगंगा नदी में आए सैलाब के कारणों की खोज में दिल्ली विश्वविद्यालय के विज्ञानी भी मदद करेंगे। अध्ययन के दौरान मौसम संबंधी आंकड़े जुटाने का प्रयास किया होगा। हिमालयी क्षेत्र के मौसम के आंकड़ों का बहुत बड़ा अभाव है।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Published: Fri, 26 Feb 2021 12:51 PM (IST)Updated: Fri, 26 Feb 2021 06:47 PM (IST)
Delhi University: उत्तराखंड आपदा का अध्ययन करेंगे डीयू के विज्ञानी, बनाएंगे ठोस कार्ययोजना
ऋषिगंगा और धौलीगंगा नदी में आए सैलाब के कारणों की खोज में दिल्ली विश्वविद्यालय के विज्ञानी भी मदद करेंगे।

संजीव कुमार मिश्र, नई दिल्ली। चमोली जिले की नीति घाटी में ग्लेशियर टूटने से ऋषिगंगा और धौलीगंगा नदी में आए सैलाब के कारणों की खोज में दिल्ली विश्वविद्यालय के विज्ञानी भी मदद करेंगे। डीयू के सेंटर फार हिमालयन स्टडीज के सात विज्ञानी आपदा के कारणों की पड़ताल के साथ ही भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति नहीं हो इसके लिए ठोस कार्ययोजना भी तैयार करेंगे। 

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सेंटर के एडवाइजर प्रो. आरबी सिंह बताते हैं कि अध्ययन के दौरान मौसम संबंधी आंकड़े जुटाने का प्रयास किया जाएगा, क्योंकि हिमालयी क्षेत्र के मौसम के आंकड़ों का बहुत बड़ा अभाव है। ग्लेशियर टूटने की जो घटना हुई है उसके बाद तो हमें और गंभीरता से इसके बारे में सोचने की जरूरत है।

हमें हिमालयी क्षेत्र में सिर्फ सतह ही नहीं, बल्कि ऊपरी वायुमंडल के तापमान पर निगरानी रखनी होगी, क्योंकि असल में यही तापमान ग्लेशियरों के पिघलने के लिए जिम्मेदार होता है। उन्होंने बताया कि हिमालय के जंगल और नदियां पूरे उत्तर भारत के जनजीवन को प्रभावित करती हैं। अध्ययन के दौरान हम पहाड़ी क्षेत्रों के ज्ञान को संरक्षित करेंगे। 

बायोडायवर्सिटी पर भी हम ध्यान देंगे। इस लिहाज से रैनी गांव का जिक्र जरूरी है। ग्लेशियर टूटने की घटना से यह गांव प्रभावित हुआ है। इसी गांव से चिपको आंदोलन की शुरुआत हुई थी। 

उधर दिल्ली विश्वविद्यालय से संबद्ध गुरु नानक देव खालसा कालेज एवं माता सुंदरी कालेज ने छात्रों को शारीरिक फिटनेस, व्यक्तित्व विकास समेत आहार की जानकारी के लिए शार्ट टर्म पाठ्यक्रम शुरू करने की घोषणा की है।

पाठ्यक्रम के तहत एक मार्च से कक्षाएं प्रारंभ हो जाएंगी। 30 घंटे की अवधि वाले इस पाठ्यक्रम में एक मार्च से 14 अप्रैल तक 20 लेक्चर होंगे। आवेदन शुल्क 300 रुपये होगा। कक्षा हफ्ते में तीन दिन सोमवार, बुधवार और गुरुवार को चलेंगी। कालेज प्रशासन ने बताया कि कक्षाएं डा. शीला केएस, डा. सीमा कौशिक, डा. मोनिका दीवान, डा. बीनू गुप्ता व डा. नवदीप जोशी लेंगे। 

दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) का 97वां दीक्षा समारोह शनिवार को आयोजित होगा। कोरोना संकट के कारण डिग्री और पदक पाने वाले छात्रों के साथ उनके अभिभावकों और अतिथियों को प्रवेश नहीं मिलेगा। डीयू प्रशासन ने कहा है कि जिन पीएचडी छात्रों का परीक्षा परिणाम 26 फरवरी की शाम पांच बजे तक जारी होगा उन्हें भी दीक्षा समारोह में भाग लेने दिया जाएगा। हालांकि ऐसे छात्रों को मंच पर सबसे आखिरी में बुलाया जाएगा। छात्रों को दिशानिर्देशों का पालन करना अनिवार्य है। 

आंध्र प्रदेश सरकार के एक पत्र से दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षक खासे नाराज हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के श्री वेंकटेश्वरा कालेज को आंध्र प्रदेश के विश्वविद्यालय से जोड़ने की आंध्र प्रदेश सरकार की मांग के खिलाफ शिक्षक लामबंद होने लगे हैं। बृहस्पतिवार को कालेज परिसर में शिक्षकों ने प्रदर्शन किया। अकादमिक परिषद के सदस्य आलोक रंजन पांडेय ने कहा कि हम आंध्र सरकार के इस मांग की निंदा करते हैं।

यह कालेज डीयू के उत्कृष्ट कालेजों में शुमार है। आंध्र सरकार को चाहिए कि वह नए कालेज खोले, न कि किसी स्थापित कालेज को यूं संबद्ध करे। उन्होंने चेताया कि यदि जरूरत पड़ी तो शिक्षक आंदोलन भी करेंगे, लेकिन कालेज को अन्य विवि से संबद्ध नहीं होने देंगे। 


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