जानिए कैसे 3 छोटी बच्चियों से हुई मुलाकात ने बदल दी इस महिला की जिंदगी, पढ़ें स्टोरी
रेखा अब दिल्ली की झुग्गी बस्तियों में गरीब परिवारों की बच्चियों को शास्त्रीय नृत्य संगीत सिखाती हैं। इससे बच्चियां ना केवल अपनी कला संस्कृति से जुड़ रही है बल्कि खुद के पैरों पर खड़ा भी हो रही है।
नई दिल्ली [संजीव कुमार मिश्र]। रोजमर्रा की भागदौड़ भरी जिंदगी में कई बार एक छोटी सी घटना जिंदगी जीने के मायने बदल देती है। कुछ ऐसा ही हुआ कथक नृत्यांगना रेखा मेहरा के साथ। नौ साल सड़क किनारे तीन छोटी बच्चियों से हुई मुलाकात ने उनकी जिंदगी बदल दी। गरीब घर की बच्चियों ने रेखा को अपनी जिंदगी की व्यथा सुनाई तो ये भावुक हो गई। इन्होने बच्चियों को गरीबी के दलदल से बाहर निकालने का निश्चय किया और इसमें पतवार बना शास्त्रीय संगीत।
गरीब बच्चों को सिखाती हैं नृत्य
रेखा अब दिल्ली की झुग्गी बस्तियों में गरीब परिवारों की बच्चियों को शास्त्रीय नृत्य संगीत सिखाती हैं। इससे बच्चियां ना केवल अपनी कला संस्कृति से जुड़ रही है बल्कि खुद के पैरों पर खड़ा भी हो रही है। रेखा मेहरा कहती हैं कि नौ साल पहले की बात है। मुझे सड़क किनारे तीन बच्चियां मिली। उनकी हालत देख मुझसे रहा नहीं गया। मैंने बच्चियों एवं उनके परिवार के बारे में बातचीत की। बच्चियों ने बताया कि वो तीज त्योहार पर मंदिरों में महिलाओं को मेंहदी रखकर, फूल, पूजा सामग्री बेचकर कुछ पैसे अर्जित कर किसी तरह गुजर बसर करती हैं।
कहानी सुन डबडबा गईं आंखें
रेखा कहतीं हैं कि यह सुनकर मेरी आंख डबडबा गई। मैंने उन बच्चियों से वादा किया कि मैं शास्त्रीय संगीत नृत्य सिखाऊंगी ताकि वो अपने पैरों पर खड़ी हो सकें। बकौल रेखा तभी से बच्चियों को सिखाने का सिलसिला शुरू हुआ। इन बच्चियों की जिंदगी में मुश्किलें कम न थी। किसी के पिता चाय की दुकान चलाते थे तो किसी के कार साफ करते थे। टेलर, सफाई कर्मचारी का काम करने वालों की बच्चियां भी सीखने आयी।
इन इलाके की थी बच्चियां
ये बच्चियां सफदरजंग के पास स्थित अर्जन गढ़, कृष्णा नगर, हुमायूंपुर जैसी झुग्गी बस्तियों में रहती थी। करीब तीन किलोमीटर पैदल चलकर शास्त्रीय संगीत नृत्य सीखने आती थी। बच्चियों के साथ तारतम्य बैठाना भी कम चुनौतीपूर्ण नहीं था, लेकिन रेखा मेहरा ने ना केवल बच्चियों का दिल जीत उन्हें शास्त्रीय संगीत की दीक्षा दी बल्कि उनकी जिंदगी के मायने बदल दिए।
कई बच्चों ने बनाया करियर
कहतीं हैं, राशि, सोनिया, श्वेता, तन्वी, काजल, कोमल, कमलेश। ये चंद नाम उन बच्चियों के हैं, जिन्होने अब शास्त्रीय संगीत नृत्य को अपना करियर बना लिया है। ये बच्चियां दिग्गज कलाकारों के साथ मंच साझा कर रही हैं। रेखा मेहरा बच्चियों को सिखाने के साथ साथ सामाजिक मसलों पर वृतचित्र भी बनाती हैं। कहतीं हैं, कोरोना वारियर्स को समर्पित एक उद्देश्य व बेटियों बचाओ, बेटी पढ़ाओं, एचआइवी एडस समेत ग्लोबल वार्मिंग पर फिल्में बना चुके हैं। इन फिल्मों को संस्कृति मंत्रालय ने भी सराहा है। इनमें झुग्गी बस्तियों की प्रतिभाशाली बच्चियों ने भी काम किया है।