एक साथ दो पाठ्यक्रम का प्रस्ताव बढि़या, पर छात्रों के लिए बाध्य न हो
जागरण संवाददाता नई दिल्ली विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के एक साथ दो डिग्री (डुअल) के प्र
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली : विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के एक साथ दो डिग्री (डुअल) के प्रस्ताव को शिक्षाविदों ने स्वागत योग्य कदम बताया है। प्रस्ताव के अनुसार यदि कोई छात्र एक रेगुलर माध्यम से डिग्री पाठ्यक्रम कर रहा है तो दूसरा डिग्री पाठ्यक्रम ऑनलाइन या डिस्टेंस एजुकेशन (दूरस्थ शिक्षा) के माध्यम से करना होगा।
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के पूर्व कुलपति प्रो एस.के.सोपोरी ने कहा है कि यूजीसी का कदम अच्छा है। एक साथ दो डिग्री या डिप्लोमा व सíटफिकेट पाठ्यक्रम को करने के लिए छात्रों को विकल्प दिया जाना चाहिए न कि अनिवार्य किया जाना चाहिए। सरकार के जिन भी शिक्षण संस्थानों द्वारा ऑनलाइन व दूरस्थ शिक्षा के पाठ्यक्रम पढ़ाए जाते हैं, वहां रेगुलर की डिग्री पाठ्यक्रम के साथ करना उचित रहेगा। निजी शिक्षण संस्थानों से अगर छात्र यह पाठ्यक्रम करेंगे तो उन्हें ज्यादा फीस देनी पड़ सकती है। ऐसे सरकार निजी शिक्षण संस्थानों के लिए एक नीति तैयार करे जिससे फीस एक सीमा तक निर्धारित की जाए। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि एक साथ दो स्नातक की डिग्री का पाठ्यक्रम करना आसान नहीं होगा। इसकी बजाय तीन साल के रेगुलर पाठ्यक्रम के साथ कोई सíटफिकेट या डिप्लोमा कोर्स करना ज्यादा उचित रहता। उन्होंने कहा कि यूजीसी को इस मामले में मूल संरचना को अच्छे ढंग से तैयार करना चाहिए, जिससे छात्रों को फायदा मिले। अच्छा कदम, विदेश में भी होती है डुअल डिग्री की पढ़ाई
दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के पूर्व कुलपति प्रो. दिनेश सिंह ने कहा कि यूजीसी का यह बहुत अच्छा कदम है। मेरा मानना है कि जिस भी छात्र को एक साथ डुअल डिग्री पाठ्यक्रम को करना है तो वह कर सकता है। हालांकि किसी भी छात्र पर कोई बंदिश नहीं होनी चाहिए। विदेश में भी छात्रों के पास यह विकल्प उपलब्ध है। अपनी क्षमताओं को बढ़ाने के लिए छात्र इस प्रकिया को अपना सकते हैं। नौकरी के लिहाज से भी यह कारगर रहेगा।