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Delhi Metro: दुनिया में पहली बार दिल्ली मेट्रो के ओएचई में लगाया जा रहा बर्ड डिस्क

डीएमआरसी का कहना है कि पक्षी घोंसला बनाने के लिए कूड़े के ढेर व छतों पर पड़े कबाड़ से कई बार धातु का सामान उठा लाते हैं। इसके ओएचई पर गिरने से शॉर्ट सर्किट होता है।

By Mangal YadavEdited By: Published: Mon, 24 Feb 2020 01:08 PM (IST)Updated: Mon, 24 Feb 2020 01:08 PM (IST)
Delhi Metro: दुनिया में पहली बार दिल्ली मेट्रो के ओएचई में लगाया जा रहा बर्ड डिस्क
Delhi Metro: दुनिया में पहली बार दिल्ली मेट्रो के ओएचई में लगाया जा रहा बर्ड डिस्क

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। दिल्ली मेट्रो रेल निगम (डीएमआरसी) ने पक्षियों से ओएचई (ओवर हेड इक्विपमेंट) को बचाने के लिए खास तरह का बर्ड डिस्क तैयार कराया है। डीएमआरसी का दावा है कि दुनिया में पहली बार दिल्ली मेट्रो में ओएचई की सुरक्षा के लिए इस तरह के डिस्क लगाए जा रहे हैं। दिल्ली मेट्रो के नेटवर्क में करीब 20 ऐसे इलाकों की पहचान की गई है, जहां पक्षियों के कारण ओएचई टूटने की घटनाएं होती हैं। योजना के अनुसार कुल आठ हजार बर्ड डिस्क लगाए जाने हैं। इसमें से पांच हजार डिस्क लगाए जा चुके हैं। डीएमआरसी का कहना है कि इस साल यह काम पूरा कर लिया जाएगा।

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वैसे पहले एमवीएलसी (मीडियम वोल्टेज लाइन कवर) व बाइपास जंपर इत्यादि उपकरणों का इस्तेमाल किया गया है। वह प्रयोग ज्यादा सफल नहीं हुआ। इसके बाद डीएमआरसी ने एक अध्ययन कराया, जिसमें 20 इलाकों की पहचान की गई। इनमें से ज्यादातर ऐसे इलाके हैं जहां कूड़े के ढेर, मकान की छतों पर लोगों के पक्षियों को दाना डालने के कारण मेट्रो नेटवर्क के ओएचई पर पक्षियों की मौजूदगी अधिक होती है।

बाज व गिद्ध के कारण ओएचई टूटने की घटनाएं अधिक होती हैं

अध्ययन में यह भी पाया गया कि बाज व गिद्ध के कारण ओएचई टूटने की घटनाएं अधिक होती हैं। इसके अलावा कबूतर व कौवे भी इसका कारण बनते हैं। इसलिए पक्षियों के आकार व भार के अनुसार बर्ड डिस्क तैयार कराकर लगाने का काम शुरू हुआ है। यह डिस्क एक्रिलिक का बना होता है, जो गोल होता है। उसमें नुकीले स्पाइक निकले होते हैं। ये डिस्क ओएचई के कैंटिलिवर के इंसुलेटर के पास लगाया जाता है, जिससे पक्षी वहां बैठ नहीं पाते।

डीएमआरसी का कहना है कि इंसुलेटर की जगह जहां करंट नहीं होता, वहां एक पक्षी बैठे तो कोई दिक्कत नहीं होती, लेकिन दो पक्षी बैठकर जब अठखेलियां करते हैं तो दोनों का पैर हाई वोल्टेज तार पर पड़ जाता है। इस वजह से शॉर्ट सर्किट होने के कारण वायर टूट जाता है। इस वजह से सोचा गया कि पक्षियों को इंसुलेटर के पास बैठने ही न दिया जाए। इस मकसद से अपनी जरूरत के मुताबिक बर्ड डिस्क डिजाइन किया गया। इसके लगने से ओएचई टूटने की घटनाओं में कमी आई है। इसे लगाने के लिए जिन जगहों का चयन किया है उनमें ब्लू लाइन पर करोल बाग से झंडेवालान, मयूर विहार, आनंद विहार से कड़कड़डूमा व रेड लाइन पर शाहदरा से वेलकम का मेट्रो नेटवर्क शामिल है।

लगाए गए दो हजार पीवीसी नेट

डीएमआरसी का कहना है कि पक्षी घोंसला बनाने के लिए कूड़े के ढेर व छतों पर पड़े कबाड़ से कई बार धातु का सामान उठा लाते हैं। इसके ओएचई पर गिरने से शॉर्ट सर्किट होता है। इसके मद्देनजर दो हजार पीवीसी नेट भी लगाए गए हैं। इसी क्रम में डीएमआरसी ने 79 मेट्रो स्टेशनों पर एंटी बर्ड स्पाइक लगाने की प्रक्रिया भी शुरू की है, ताकि स्टेशनों पर पक्षियों के बीट से गंदगी न हो।

छत पर पक्षियों को न डालें दाना

लोगों का छत पर पक्षियों के लिए दाना डालना भी मेट्रो के लिए मुसीबत बन रहा है। इसके मद्देनजर मेट्रो के कर्मचारियों ने कई इलाकों में घर-घर जाकर सैकड़ों लोगों को चिट्ठी दी है। इसमें मेट्रो नेटवर्क के आसपास के घरों के छत पर पक्षियों के लिए दाना न डालने की अपील की गई है। इसमें पंजाबी बाग व सीलमपुर सहित कई इलाके शामिल हैं। डीएमआरसी का कहना है कि आने वाले दिनों में इसको लेकर जागरूकता अभियान भी चलाया जाएगा।


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