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मुंबई ट्रेन ब्लास्ट के दोषी की याचिका पर केंद्र से मांगा जवाब

केंद्रीय सूचना आयोग (सीआइसी) के फैसले को चुनौती देने वाली वर्ष 2006 के मुंबई ट्रेन बम विस्फोट मामले में दोषी एहतेशाम कुतुबुद्?दीन सिद्?दीकी की याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने सूचना और प्रसारण मंत्रालय से जवाब मांगा है। मुफ्त

By JagranEdited By: Published: Mon, 16 Sep 2019 08:04 PM (IST)Updated: Tue, 17 Sep 2019 06:37 AM (IST)
मुंबई ट्रेन ब्लास्ट के दोषी की याचिका पर केंद्र से मांगा जवाब
मुंबई ट्रेन ब्लास्ट के दोषी की याचिका पर केंद्र से मांगा जवाब

- वर्ष 2006 मुंबई ट्रेन ब्लास्ट का दोषी है एहतेशाम कुतुबुद्दीन सिद्दीकी

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- सीआइसी के फैसले को दी हाई कोर्ट में चुनौती

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली :

वर्ष 2006 के मुंबई ट्रेन बम विस्फोट मामले में दोषी एहतेशाम कुतुबुद्दीन सिद्दीकी की याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय से जवाब मांगा है। मुफ्त किताब उपलब्ध कराने से इन्कार करने के संबंध में मांगी गई जानकारी देने से इन्कार करने के केंद्रीय सूचना आयोग (सीआइसी) के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर न्यायमूर्ति जयंत नाथ की पीठ ने मंत्रालय को नोटिस जारी कर दो सप्ताह में जवाब मांगा है। याचिका पर अगली सुनवाई 15 नवंबर को होगी। सिद्दीकी ने याचिका में आरोप लगाया है कि सूचना के अधिकार के तहत उनके द्वारा मांगी गई जानकारियों को सीआइसी ने देने से इन्कार कर दिया था।

नागपुर सेंट्रल जेल में बंद सिद्दीकी को 11 जुलाई 2006 हुए सिलसिलेवार बम धमाके मामले में मौत की सजा सुनाई गई थी। सजा का मामला अभी बांबे हाई कोर्ट में लंबित है। लोकल ट्रेनों में हुए इस धमाके में 189 लोगों की मौत हुई थी और 829 लोग घायल हो गए थे। याचिका में सिद्दीकी ने कहा कि उसने इग्नू के माध्यम से मुफ्त में कई पाठ्यक्रम पूरे किए हैं और अब वह अन्य किताबों को पढ़ना चाहता है। उसने कहा कि उक्त किताबें जेल पुस्तकालय में उपलब्ध नहीं हैं, ऐसे में उसे किताबें मुफ्त में उपलब्ध कराई जाएं। सिद्दीकी के अधिवक्ता अर्पित भार्गव ने कह कि याचिकाकर्ता गरीबी रेखा से नीचे का जीवन यापन कर रहा है ऐसे में वह मुफ्त में किताबें पाने का हकदार है। हालांकि, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने मुफ्त में किताबें उपलब्ध कराने से इन्कार कर दिया है। अधिवक्ता ने बताया कि इस संबंध में सीआइसी ने भी उसके आवेदन को रद कर दिया है। अधिवक्ता ने कहा कि यह एक कैदी का मौलिक अधिकार है कि उसे शिक्षा का हक मिले।


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