शादी का वादा करके शारीरिक संबंध बनाना दुष्कर्म नहीं, हाई कोर्ट ने किया आरोपित को बरी
दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि यदि शादी का वादा करके शारीरिक संबंध बनाया जाता है तब भी यह दुष्कर्म की श्रेणी में नहीं आता।
नई दिल्ली[विनीत त्रिपाठी]। शादी का वादा करके शारीरिक संबंध बनाने और फिर दुष्कर्म का आरोप लगाकर प्राथमिक रिपोर्ट दर्ज कराने की वारदात आम हो चुकी है। ऐसे ही एक मामले में निचली अदालत के फैसले को चुनौती देने वाली युवती की याचिका को खारिज करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि यदि शादी का वादा करके शारीरिक संबंध बनाया जाता है तब भी यह दुष्कर्म की श्रेणी में नहीं आता।
न्यायमूर्ति संगीता ढींगरा सहगल व न्यायमूर्ति मनमोहन की पीठ ने कहा कि युवती के बयान में विरोधाभास है और उसके बयान पर भरोसा करके युवक को दोषी नहीं ठहराया जा सकता। दो सदस्यीय पीठ ने कहा कि एक तरफ युवती का कहना है कि युवक ने शादी का वादा करके उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए और दूसरी तरफ वह यह भी आरोप लगा रही है कि युवक ने उसके वीडियो-ऑडियो क्लिप को सार्वजनिक करने की धमकी देकर उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए।
पीठ ने सुबूतों पर टिप्पणी करते हुए कहा कि युवती ने मेडिकल जांच के दौरान डॉक्टर से कहा कि उसने अपनी मर्जी से युवक से शारीरिक संबंध बनाए। इतना ही उसने मेडिकल रेप-किट की जांच कराने से भी इनकार कर दिया। पीठ ने यह भी कहा कि युवती ने कहीं भी घटना का समय और तारीख नहीं बताया। उसने अपने बयान में कहा कि उसके साथ सात महीने तक दुष्कर्म हुआ, जबकि उसके घर के पास सात से आठ परिवार रहते थे। ऐसे में यह मानना संभव नहीं है कि सात महीने तक दुष्कर्म होने के बाद भी युवती किसी से अपनी बात नहीं कह सकती थी।
यह है मामला
वर्ष 2015 में युवती ने सब्जी मंडी थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। युवती का आरोप है कि उसका पति नौकरी नहीं करता था और बीमार रहता था। वह अपनी समस्या पड़ोस के युवक से साझा करती थी। कुछ वक्त में दोनों करीब आ गए और पहले तो युवक ने उससे शादी का वादा कर शारीरिक संबंध बनाए। इसके बाद उससे दूर होने लगा। युवती ने जब शादी के लिए कहा तो उसने उसे धमकी दी कि वह उसकी आपत्तिजनक वीडियो-ऑडियो क्लिप सार्वजनिक कर देगा। तीस हजारी कोर्ट ने 26 मार्च 2019 को युवती के बयान और सुबूतों का परीक्षण करने के बाद युवक को बरी कर दिया था।