हरियाणा के पूर्व सीएम ओपी चौटाला ने HC से मांगी पैरोल, पोते की सगाई का दिया हवाला
ओम प्रकाश चौटाला ने पोते अर्जुन चौटाला की सगाई समारोह में शामिल होने के लिए दिल्ली हाई कोर्ट से पैरोल मांगी है।
नई दिल्ली, जेएनएन। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला ने पोते अर्जुन चौटाला की सगाई में शामिल होने के लिए दिल्ली हाई कोर्ट से पैरोल मांगी है। इसके लिए उन्होंने शुक्रवार को हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की है। याचिका के अनुसार, पोते अर्जुन चौटाला की सगाई 18 जुलाई 2019 को होगी।
शिक्षक भर्ती घोटाले में सजा काट रहे ओपी चौटाला को इसी साल मई महीने में 14 दिन की पैरोल मिली थी। पैरोल खत्म होने के बाद वह फिर से जेल में चले गए थे। अब उन्होंने एक बार फिर पैरोल के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
बता दें कि ओम प्रकाश चौटाला ने लोकसभा चुनाव से पहले दिल्ली हाई कोर्ट में अपनी बढ़ती उम्र और दिव्यांगता के चलते समय से पूर्व सजा माफ करने की अर्जी लगाई थी। हाई कोर्ट ने इस याचिका के निपटारे के लिए दिल्ली सरकार को आदेश दिए थे, मगर यह याचिका दिल्ली सरकार के विचाराधीन है।
10 साल की जेल की सजा काट रहे हैं चौटाला
हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला जेबीटी शिक्षक भर्ती घोटाले में दोषी करार दिये गये थे और वह तिहाड़ में सजा काट रहे हैं। ओम प्रकाश चौटाला और उनके बड़े पुत्र अजय सिंह चौटाला को 16 जनवरी 2013 को दस वर्ष की सजा सुनाई गई थी।
क्या है जेबीटी शिक्षक भर्ती घोटाला?
जेबीटी शिक्षक भर्ती घोटाले को उजागर करने में अहम भूमिका तत्कालीन प्राथमिक शिक्षा निदेशक संजीव कुमार ने निभाई थी। संजीव कुमार ने ही इस मामले में उच्चतम न्यायालय में एक अर्जी दायर की थी। उच्चतम न्यायालय के आदेश पर सीबीआइ ने प्रारंभिक जांच वर्ष 2003 में शुरू की। जांच में शिक्षकों की नियुक्ति में बरती गई अनियमितताओं का मामला सामने आने के बाद सीबीआइ ने जनवरी 2004 में राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला, उनके पुत्र अजय सिंह चौटाला, मुख्यमंत्री के तत्कालीन विशेष कार्य अधिकारी आइएएस विद्याधर, मुख्यमंत्री के राजनीतिक सलाहकार रहे शेर सिंह बड़शामी, राज्य के प्राथमिक शिक्षा निदेशक संजीव कुमार सहित कुल 62 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था।
सबसे ताज्जुब की बात यह रही कि मामले को उजागर करने में अहम भूमिका निभाने वाले संजीव कुमार को भी सीबीआइ ने इस मामले में आरोपी बनाते हुए उनके खिलाफ भी मामला दर्ज किया। सीबीआइ के अनुसार संजीव कुमार भी इस घोटाले में बराबर शामिल रहे थे। सीबीआइ के अनुसार उनका अन्य लोगों से विवाद होने पर ही उन्होंने घोटाले के खिलाफ आवाज उठाई।
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