हर स्तर पर बरती गई थी घोर लापरवाही
करोलबाग के बहुचर्चित होटल अर्पित अग्निकांड मामले में हर स्तर पर घोर लापरवाही बरती गई थी।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली : करोलबाग के बहुचर्चित होटल अर्पित अग्निकांड में हर स्तर पर घोर लापरवाही बरती गई थी। होटल संचालक सरकारी नियमों की जमकर धज्जियां उड़ा रहा था। मालिक ने होटल में ना केवल अव्यवस्था बना कर रखी थी, बल्कि वह चालाकी से एजेंसियों की आंख में धूल भी झोंक रहा था। होटल में खामियां पाए जाने पर विभाग को शपथ पत्र देकर कमियों को दूर करने का आश्वसान दे देता था। उस वक्त सभी व्यवस्था ठीक कर देता, लेकिन एनओसी मिलते ही दोबारा अवैध गतिविधियां शुरू कर दी जाती थी।
पुलिस जांच के मुताबिक पहली बार होटल अर्पित पैलेस को विभाग ने 2001 में एनओसी दी थी। उस वक्त होटल होटल चार मंजिल था। लेकिन बाद में होटल मालिक ने छत पर अवैध निर्माण करा वहां व्यावसायिक गतिविधियां शुरू कर दीं। लिहाजा उसे सील कर दिया गया। इसके बाद शपथ पत्र देकर मालिक ने होटल की छत से निर्माण हटा दिए, लेकिन एनओसी मिलते ही उसने दोबारा वहां रेस्टोरेंट चलाना शुरू कर दिया था। जिससे बाद में भी दो बार होटल को सील किया गया था। होटल को अंतिम बार अग्निशमन विभाग ने 18 दिसंबर 2017 को एनओसी दी थी। लेकिन घटना के बाद जांच में होटल में काफी खामियां पाई गईं। इसके बाद होटल की एनओसी रद कर दी है।
करोलबाग स्थित होटल अर्पित पैलेस को लाक्षागृह का रूप दे दिया गया था। नियम के विपरीत आकर्षक दिखने के लिए होटल की दीवार और फर्श पर लकड़ी और मोटे फोम का प्रयोग किया गया था। वहीं, कमरों को बांटने के लिए फाइबर के पार्टीशन लगाए गए थे। आग बुझाने के लिए ना तो होटल में लगाए गए अग्निशमन यंत्र ठीक से काम कर रहे थे और ना ही कर्मियों को उन्हें चलाने का प्रशिक्षण मिला था। इससे आग लगते ही बेकाबू हो गई और होटल में रह रहे लोग असमय काल के गाल में समा गए। होटल में बड़े पैमाने पर अवैध निर्माण कराया गया था। होटल के बेसमेंट को पार्टी हाल बना दिया गया था। जबकि छत पर अवैध ओपन रेस्टोरेंट का संचालन किया जा रहा था। वहां एक किचन भी थी। घटना के बाद जांच एजेंसियों को वहां से नौ व्यवसायिक सिलेंडर मिले थे। भीषण आग के बावजूद संयोग से सिलेंडर नहीं फटे।
जांच के पता चला है कि होटल मालिक ने भूतल पर चल रहे बार व रेस्टोरेंट का लाइसेंस ले रखा था। वहां भी कुछ गैस सिलेंडर पड़े थे। आग प्रथम तल से शुरू हुई जो ऊपर की ओर चली गई। नौ व्यावसायिक सिलेंडर में 19 किलो एलपीजी होती है। इस तरह नौ सिलेंडर में करीब 170 किलो गैस थी। होटल पूरी तरह शीशे की खिड़कियों से बंद था। दीवारों पर लकड़ी का काम, कमरों के बीच की दीवार फाइबर से बनी होने और छत पर फाइबर शीट लगाकर किए गए अवैध निर्माण की वजह से आग ने भयावह रूप ले लिया। लिहाजा प्रथम तल में लगी आग से उठा धुआं लोगों के लिए काल साबित हुआ। नीचे के तल पर रह रहे लोगों ने बाहर भागकर जान बचाई, जबकि ऊपर मौजूद लोग आग व धुएं की चपेट में आ गए।
होटल में आग की सूचना देने में कर्मियों ने एक घंटे की देरी की। जांच के मुताबिक घटना वाली सुबह 4.35 बजे इसकी सूचना दमकल विभाग को दी गई। इससे पहले करीब एक घंटे तक होटल के कर्मचारी खुद ही आग बुझाने की कोशिश करते रहे। बाद में मौके पर दमकल की 26 गाड़ियों को रवाना किया गया। दमकलकर्मी, पुलिस और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन बल (एनडीआरएफ) की टीम ने बचाव कार्य शुरू किया था। बहुमंजिला इमारत होने के कारण दो हाइड्रोलिक प्लेटफार्म (क्रेन) द्वारा होटल की खिड़कियों के शीशे तोड़कर लोगों को सकुशल निकालने का काम किया गया था। घटना के समय जान बचाने के लिए कई लोग छत से नीचे कूद गए थे। वहीं, होटल में फंसे लोगों सहित अन्य को राम मनोहर लोहिया अस्पताल, बीएल कपूर, लेडी हार्डिंग अस्पताल और सर गंगाराम अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
जांच में पाया गया कि घटना के वक्त होटल के 38 कमरों में विदेशी और भारतीय पर्यटक मौजूद थे। करीब 400 वर्गमीटर में निर्मित होटल में 46 कमरे थे। इनमें 38 में पर्यटक जबकि 12 में होटलकर्मी भी वहां थे। आग से धुआं फैलने पर कमरों में सो रहे लोगों का दम घुटने लगा था। इससे सभी अपने-अपने कमरे से बाहर निकले, लेकिन उन्हें होटल से बाहर निकलने का रास्ता नहीं मिला। लिहाजा सभी भागकर छत पर चले गए थे। तब तक आग की लपटें भी छत तक पहुंच गई थीं। छत पर भी फाइबर की शीट लगी थी। आग से वह धधक उठी। बचने का कोई उपाय न देख तीन लोग होटल की छत से नीचे कूद गए थे, जबकि अन्य नीचे की ओर भागे, लेकिन आग और धुएं की चपेट में आकर अचेत हो गए। दमकल कर्मियों ने क्रेन की मदद से 35 लोगों को सुरक्षित होटल के बाहर निकाला था। इनमें ज्यादातर लोग चौथी मंजिल पर फंसे थे। सुबह 7.10 बजे आग पर काबू पा लिया गया। बाद में दमकल, पुलिस और एनडीआरएफ के सदस्यों ने सर्च अभियान चला शवों को बाहर निकाला।
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ढाई बजे तक चली शराब की पार्टी
पुलिस जांच के अनुसार घटना वाली रात करीब 2.30 बजे तक होटल की पांचवीं मंजिल पर शराब की पार्टी चली थी। छत से पुलिस को शराब की बोतलें व खाने पीने के सामान मिले थे। होटल के कमरे से भी शराब की बोतलें मिली थीं।
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17 लोगों की हो गई थी मौत
12 फरवरी को करोलबाग के होटल अर्पित पैलेस में आग लगने से विदेशी पर्यटक सहित कुल 17 लोगों की मौत हो गई थी। वहीं, दो दर्जन लोग घायल हुए थे। इस मामले में क्राइम ब्रांच ने दायर आरोप पत्र में होटल के मालिक राकेश गोयल, उसके भाई शरद इंदू गोयल सहित होटल के महाप्रबंधक राजेंद्र कुमार और प्रबंधक विकास कुमार को आरोपित बनाया है। उनके खिलाफ गैर इरादन हत्या, सुबूत मिटाना, साजिश रचने सहित धोखाधड़ी की धाराएं लगाई गई हैं। होटल अर्पित पैलेस का मालिक राकेश गोयल उर्फ पटवारी बैंक द्वारा डिफाल्टर घोषित हो चुका है। एक बार इस होटल की नीलामी प्रक्रिया भी हुई थी, लेकिन होटल बिका नहीं। पटवारी की पहले हार्डवेयर के नाम से एक दुकान थी। बाद में रेस्तरां फिर यह होटल अस्तित्व में आया था। होटल का नाम उसने अपने इकलौते बेटे अर्पित के नाम पर रखा था। तब तक सब ठीक चल रहा था, लेकिन जब बेटे ने बिजनेस में पांव पसारने की सोची और बियर प्लांट लगाया तो परिवार के बुरे दिन आ गए। बैंक से कर्ज लेकर यह बिजनेस शुरू हुआ, जिसमें भारी घाटा हो गया। आखिरकार बैंक ने भी डिफाल्टर घोषित कर दिया था।
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