दिल्ली वालों की आय राष्ट्रीय औसत की तुलना में 3 गुना
दिल्ली सरकार ने 2016-17 से 20-21 की अवधि के लिए पांचवें वित्त आयोग की सिफारिशों को लागू किया है. दिल्ली ने अपनी राजस्व अधिशेष की स्थिति निरंतर बनाए रखें. जोकि 2017-1
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : दिल्ली वालों की प्रति व्यक्ति आय राष्ट्रीय औसत की तुलना में लगभग 3 गुना है। 2018-19 के दौरान दिल्ली की प्रति व्यक्ति आय राष्ट्रीय स्तर पर 1,25,397 रुपये की तुलना में 3,65,529 पर पहुंच जाने की संभावना है। इसी तरह 2017-18 के दौरान राजस्व कर की वार्षिक वृद्धि दर 14.7 फीसद रही जबकि 2016-17 में यह 3.03 फीसद थी। यह तथ्य सामने आया है वर्ष 2018-19 के उस आर्थिक सर्वेक्षण में, जिसे उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने जारी किया। आर्थिक सर्वेक्षण की प्रमुख बातें इस प्रकार हैं: पांचवें वित्त आयोग की सिफारिशें लागू
दिल्ली सरकार ने 2016-17 से 20-21 की अवधि के लिए पांचवें वित्त आयोग की सिफारिशों को लागू किया है। दिल्ली ने अपनी राजस्व अधिशेष की स्थिति निरंतर बनाए रखी जोकि 2017-18 के दौरान 4913 करोड़ रुपये था। दिल्ली में सामाजिक क्षेत्र पर व्यय वित्तीय वर्ष 2014-15 में 68. 71 फीसद था जो 2017-18 में बढ़कर 74.6 फीसद हो गया है। वित्तीय वर्ष 2018-19 में कार्यक्रमों व परियोजनाओं के लिए आवंटित बजट में सामाजिक क्षेत्र के लिए 83.60 फीसद बजट आवंटित किया गया। शिक्षा मद में सर्वाधिक बजट
दिल्ली सरकार ने चालू वित्त वर्ष 2018-19 में शिक्षा क्षेत्र को प्रथम वरीयता देते हुए इस मद में कुल बजट का 27.63 फीसद आवंटित किया गया। इसके बाद सामाजिक सुरक्षा और कल्याण क्षेत्र में 16. 63 फीसद, चिकित्सा और जन स्वास्थ्य क्षेत्र में 14. 81 फीसद, आवास और शहरी विकास क्षेत्र में 14.12 फीसद, परिवहन व्यवस्था सुधारने के लिए बजट में 11. 67 फीसद जलापूर्ति और स्वच्छता के मध्य में 10. 68 फीसद बजट का प्रावधान किया। पर्यावरण संरक्षण एवं ग्रामीण विकास
पर्यावरण संरक्षण की दिशा में दिल्ली सरकार ने अधिकृत औद्योगिक क्षेत्रों में पाइप वाली प्राकृतिक गैस अपनाने वाले उद्योगों को एक लाख तक का प्रोत्साहन देने का ऐलान किया है। रेस्तराओं में विद्युत या गैस आधारित तंदूर लगाने के लिए पांच हजार रुपये तक सब्सिडी प्रदान किए जाने की घोषणा की है। दिल्ली में कुल वन क्षेत्र पहले की तुलना में बढ़ा है। आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली का हरित क्षेत्र 2015 में करीब 20.2 फीसद था जो 2017 में बढ़कर 20.6 फीसद हो गया है। दिल्ली में अब 305.41 वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र हो गया है। इसी तरह दिल्ली में पिछली दो कृषि गणना के आधार पर कृषि जोतों की संख्या 2010-11 में 20,497 से बढ़कर 2015-16 में 20,675 हो गई। विद्युत और उद्योग
दिल्ली में विद्युत आपूर्ति 2014-15 के दौरान 37,484 मिलियन यूनिट थी जो 2017-18 में बढ़कर 38,510 मिलियन यूनिट हो गई। बिजली उपभोक्ताओं की कुल संख्या 2017-18 में 57.55 लाख थी। पिछले 10 वर्षो में विद्युत उपभोक्ताओं की संख्या में 71.92 फीसद बढ़ोतरी हुई है। दिल्ली में कुल बिजली खरीद पिछले 10 वर्षो के दौरान 55.38 फीसद बढ़ी है। व्यस्ततम घंटों के दौरान बिजली की मांग 2014-15 में 5925 मेगावाट थी, जो 2017-18 में बढ़कर 6526 मेगावाट हो गई। तकनीकी और वाणिज्यिक घाटा
दिल्ली में कुल तकनीकी और वाणिज्यिक घाटा 2017-18 में घटकर 9.15 फीसद रह गया जो सुधार पूर्व अवधि में 52 फीसद था। दिल्ली में चालू फैक्ट्रियों की संख्या 2014 में 8,968 थी। 2017 में बढ़कर 9059 हो गई। इसी तरह इन फैक्ट्रियों में कार्यरत अनुमानित श्रमिक 2014 में 4,16,927 से बढ़कर 2017 में 4,20,156 हो गए। बढ़ रहा निजी वाहनों का इस्तेमाल
दिल्ली में वाहन प्रेमियों की संख्या कम होने का नाम नहीं ले रही है। सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था को तवज्जो न देकर निजी वाहनों का इस्तेमाल बढ़ रहा है। इसी का नतीजा है कि आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट में सरकार ने बताया है कि 31 मार्च 2018 तक दिल्ली में कुल 109.86 लाख वाहनों की संख्या पिछले वर्ष की तुलना में 5.81 फीसद अधिक है। 31 दिसंबर तक मेट्रो के फेस तीन के तहत कुल 327 किलोमीटर लाइन पर मेट्रो चल रही है। बसों में कॉमन मोबिलिटी कार्ड सुविधा
डीटीसी के बेड़े में नई बसें भले ही नहीं शामिल हुई, लेकिन यात्रियों की सुविधा के लिए डीटीसी और क्लस्टर बसों में कॉमन मोबिलिटी कार्ड सुविधा लागू की गई है। सरकार नए वित्त वर्ष में तकरीबन तीन हजार नई बसें खरीदने जा रही है तो इसके लिए दिचाऊ कला, बवाना, रानी खेड़ा, द्वारका में बस डिपो का निर्माण कार्य शुरू हो चुका है। रेवला खानपुर और खड़खड़ी नाहर में भी बस डिपो का निर्माण कार्य अंतिम चरण में है। आवास और जलापूर्ति
आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली के करीब 83.42 फीसद परिवारों को पाइपलाइन से पानी की आपूर्ति की जा रही है। रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली में 675 झुग्गी बस्तियां हैं, जिनमें करीब 3.06 लाख लोग रह रहे हैं। पुरानी दिल्ली क्षेत्र के मूल धरोहर स्वरूप को बनाए रखने और पर्यावरण में सुधार लाने के लिए शाहजहानाबाद पुनर्विकास निगम के माध्यम से एक व्यापक पुनर्विकास योजना तैयार की गई है। शिक्षा स्तर में सुधार
दिल्ली सरकार के अंतर्गत 1227 सरकारी और सरकार से सहायता प्राप्त स्कूल हैं जो दिल्ली में संचालित कुल स्कूलों का 21.3 फीसद है। जबकि सरकारी और सरकार से सहायता प्राप्त स्कूलों की दाखिला में हिस्सेदारी 2017-18 के दौरान कुल दाखिलों में 37.24 फीसद थी। दिल्ली में सरकार द्वारा प्रति छात्र प्रति वर्ष शिक्षा व्यय 2014-15 में 35,580 रुपये था जो 2018-19 में बढ़कर 66,038 हो गया है। मौजूदा सरकारी स्कूलों में अतिरिक्त 8,095 क्लास रूम बनाए और संचालित किए गए हैं। सरकारी स्कूलों में दाखिले बढ़े
2018 में 301 सरकारी स्कूलों में नर्सरी की कक्षाएं शुरू की गई। शिक्षा विभाग के सभी 1024 स्कूलों में हैप्पीनेस पाठ्यक्रम लागू किया गया। दिल्ली में स्कूलों की संख्या 2012-13 में 5155 थी जो 2017-18 में बढ़कर 5760 हो गई। दिल्ली के स्कूलों में छात्रों के दाखिले की संख्या 2012-13 में 42.68 लाख थी जो 2017-18 में बढ़कर 43.93 लाख हो गई। दिल्ली में स्वास्थ्य पर प्रति व्यक्ति खर्च 2014-15 में 2,116 रुपये था जो 2017-18 में बढ़कर 2,493 हो गया। बदली परिवहन की सुविधा
दिल्ली में परिवहन की सूरत पूरी तरह से बदल गई है। राजधानी में 1.09 करोड़ से अधिक वाहन हैं। सरकार ने मेट्रो फेस 4 को मंजूरी दे दी है। लोगों की सुविधा के लिए कॉमन मोबिलिटी कार्ड सुविधा शुरू की। सड़कों व फ्लाईओवर में सुधार किया। बसों की संख्या बढ़ाने के लिए नए डिपो बनाए गए। 3000 बसों की संख्या बढ़ाई जा रही है। सड़कों को सुरक्षित बनाने की दिशा में प्रयास शुरू कर दिया गया है। महिलाओं को सुरक्षित सफर देने के लिए मार्शल तैनात किए गए हैं। बसों में सीसीटीवी कैमरे लगाए गए।
सामाजिक क्षेत्र में बदलाव
सरकार ने सामाजिक क्षेत्र में बदलाव करते हुए काफी सुधार किए। वरिष्ठ नागरिकों के पेंशन को बढ़ाकर 2000-2500 रुपये कर दिया। वर्ष 2018-19 (दिसंबर तक) में दिल्ली में करीब 4.42 लाख वरिष्ठ नागरिकों को मासिक वृद्धा पेंशन दी गई। जबकि वर्ष 2017-18 में 4.38 लाख वृद्धा पेंशन दी गई थी। इसके अलावा 2.35 लाख महिलाओं को वित्तीय सहायता दी गई। इसके अलावा दिव्यांग व अन्य को भी विभिन्न मदों में वित्तीय सहायता दी गई। आर्थिक रूप से कमजोर एससी-एसटी समुदाय के युवाओं को जय भीम मुख्यमंत्री प्रतिभा योजना के तहत आर्थिक मदद दी जा रही है। इसके अलावा विभिन्न योजनाओं के तहत भी सामाजिक सुविधाएं उपलब्ध करवाई जा रही है।