नशे की लत से उबरकर फैला रहे जागरूकता
ऐसी कोई लत नहीं हो सकती, जिसे छोड़कर सामान्य जीवन न जिया जा सके। इस बात को पूरी तरह सार्थक करने के साथ स्वयं को नशे की गर्त से बाहर निकालकर अब लोगों को दौड़ के माध्यम से नशे के प्रति जागरूक कर रहे हैं मुम्बई के डोंबीवली के रहने वाले राहुल जाधव। डी-एडिक्शन रन 2019 के तहत बुधवार को राहुल जाधव 20 दिन में गेटवे ऑफ इंडिया से 1475 किलोमीटर की दौड़ पूरी करके इंडिया गेट पहुंचे। यहां उन्होंने लोगों को नशे से दूर रहने के लिए जागरूक किया। दिल्ली पहुंचने पर राहुल को पदक और स्मृति चिन्ह देकर अल्ट्रामैराथन धावक अरुण भारद्वाज ने सम्मानित किया।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली :
ऐसी कोई लत नहीं हो सकती, जिसे छोड़कर सामान्य जीवन न जीया जा सके। इस बात को पूरी तरह सार्थक करने के साथ स्वयं को नशे की गर्त से बाहर निकालकर अब लोगों को दौड़ के माध्यम से नशे के प्रति जागरूक कर रहे हैं मुंबई के डोंबीवली के रहने वाले राहुल जाधव। डी-एडिक्शन रन 2019 के तहत बुधवार को राहुल जाधव 20 दिन में गेटवे ऑफ इंडिया से 1475 किलोमीटर की दौड़ पूरी करके इंडिया गेट पहुंचे। यहां उन्होंने लोगों को नशे से दूर रहने के लिए जागरूक किया। दिल्ली पहुंचने पर राहुल को पदक और स्मृति चिन्ह देकर अल्ट्रा मैराथन धावक अरुण भारद्वाज ने सम्मानित किया।
अब तक राहुल ने 22 रन इवेंट्स और तीन एकल रन को पूरा किया है। दिल्ली पहुंचने पर उन्होंने कहा कि नशे की लत से निकलने के लिए मैंने दौड़ना शुरू किया। मैं जितना दौड़ता, उतना ही आत्मग्लानि से दूर होता चला गया। मैं अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचकर अपने अनुभव को साझा करना चाहता हूं, जिससे वे भी सुधार की दिशा में कदम बढ़ा सकें। उन्होंने कहा कि उन्हें नशे की लत से बाहर निकालने और एक धावक बनाने में आशीष, मुक्ता पूनम बेकर, हर्षल मोर्डे और कोच मनोज राणे का बड़ा योगदान है।
मैराथन और एकल रन से पहले राहुल सिर्फ एक धावक नहीं था। वह शराब का आदी होने के कारण नशा मुक्ति केंद्र में रहा था। नशे की लत से बाहर निकलने और उसे दौड़ने के लिए उसके दौड़ के प्रति जुनून, उसकी इच्छा और समर्पण ने प्रेरित किया, जिसने उसे पूरी तरह एक अच्छे इंसान में बदल दिया।