पूर्व पति की मौत के 10 साल बाद हाई कोर्ट में अपील मंजूर
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली : पूर्व पति की मौत के 10 साल बाद एक महिला की वह अपील हाई कोर्ट
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली : पूर्व पति की मौत के 10 साल बाद एक महिला की वह अपील हाई कोर्ट ने मंजूर कर ली, जो निचली अदालत के फैसले के खिलाफ दायर की गई थी। निचली अदालत ने आपसी सहमति के आधार पर तलाक मंजूर किया था, जबकि महिला ने इस फैसले को चुनौती देते हुए कहा था कि फैसले के वक्त वह कोर्ट में मौजूद नहीं थी।
न्यायमूर्ति अनु मल्होत्रा की पीठ ने अपील को मंजूर करते हुए कहा कि ¨हदू विवाह कानून के तहत सहमति से तलाक तभी मान्य है, जब अंतिम फैसले तक दोनों पक्ष सहमत हों। इस मामले में महिला निचली अदालत के फैसले के समय कोर्ट में हाजिर नहीं थी। किसी एक पक्ष के गैरहाजिर होने की सूरत में अंतिम फैसले को नहीं माना जा सकता। सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला देते हुए हाई कोर्ट ने महिला की अपील को मंजूर कर लिया।
दरअसल, फरवरी 2001 में शादी के बाद 2005 में पति ने अदालत में तलाक की अर्जी दी थी। इसमें क्रूरता को आधार बनाया था। केस की सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों ने तलाक के लिए सहमति जता दी थी। 15 लाख रुपये में समझौता हुआ और कोर्ट को इससे अवगत कराया गया, लेकिन बाद में महिला 28 लाख रुपये मांगने लगी थी। इस पर निचली अदालत ने कहा कि पति आठ लाख रुपये के डीडी कोर्ट में जमा करा चुका है। ऐसे में महिला द्वारा अतिरिक्त पैसे मांगना दर्शाता है कि वह गलत तरीके से पैसे वसूलना चाहती है। कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया और दोनों के बीच तलाक की अर्जी को मंजूर कर दिया। इस फैसले के खिलाफ महिला हाई कोर्ट चली गई। हाई कोर्ट में केस चलने के दौरान 2008 में पति की मौत हो गई थी।