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प्रदूषण से काले होते फेफड़े को लाइव देखेगी दिल्ली

-गंगाराम अस्पताल में लगाया गया हेपा फिल्टर से तैयार कृत्रिम फेफड़े का मॉडल -दो घंटे बाद

By JagranEdited By: Published: Sat, 03 Nov 2018 08:58 PM (IST)Updated: Sat, 03 Nov 2018 08:58 PM (IST)
प्रदूषण से काले होते फेफड़े को लाइव देखेगी दिल्ली
प्रदूषण से काले होते फेफड़े को लाइव देखेगी दिल्ली

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली :

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प्रदूषण के कारण दिल्ली के लोगों के फेफड़े काले हो रहे हैं यह बात डॉक्टर कहते रहे हैं। यदि इस बात पर यकीन न हो तो गंगाराम अस्पताल पहुंच कर फेफड़े पर प्रदूषण के दुष्प्रभाव को लाइव देखा जा सकता है। असल में इस अस्पताल में हेपा फिल्टर से तैयार कृत्रिम फेफड़े का बड़ा मॉडल लगाया गया। जिसके सफेद रंग पर दो घंटे के भीतर ही भूरे रंग के हल्के धब्बे दिखने लगे। यह फेफड़े की तरह काम करता है। डॉक्टरों का दावा है कि दो-तीन दिन में यह काला पड़ जाएगा। इसे देखकर लोग समझ सकेंगे कि प्रदूषण सेहत को किस तरह नुकसान पहुंचा रहा है।

इसका मकसद लोगों को प्रदूषण आतिशबाजी के दुष्प्रभाव के प्रति जागरूक करना है। एक गैर सरकारी संगठन के साथ मिलकर लंग केयर फाउंडेशन ने कृत्रिम फेफड़े का यह मॉडल लगाया है। गंगराम अस्पताल के चेस्ट सर्जरी के चेयरमैन व लंग केयर फाउंडेशन के संस्थापक डॉ. अरविंद कुमार ने कहा कि अगले तीन महीने तक यहां के विभिन्न अस्पतालों में इसे लगाया जाएगा।

उन्होंने कहा कि हेपा फिल्टर फाइबर का बना होता है, जिसमें बहुत सूक्ष्म छेद होते हैं। जो धूल कण और पार्टिकुलेट मैटर को रोक लेते हैं। ऑपरेशन थियेटर में जाने वाली हवा को साफ करने के लिए इसका इस्तेमाल होता है। कुछ इसी तरह का काम फेफड़ा भी करता है।

उन्होंने कि डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि 15-20 सिगरेट पीने के बराबर हम प्रदूषित हवा सांस के रूप में ले रहे हैं। एक सामान्य व्यस्क आदमी रोजना 24 घंटे में औसतन 25,000 बार सांस लेता है। इस तरह एक व्यक्ति प्रतिदिन करीब 10,000 लीटर ऑक्सीजन सांस के रूप में लेता है। इस आधार पर हेपा फिल्टर के पीछे लगे पंखे की गति निर्धारित की गई है। पंखा चलने पर उसमें हवा पास हो रही है, जैसे हवा फेफड़े में जाती है। इस हवा का जो असर इस फिल्टर पर हो रहा है वही असर फेफड़े पर भी होता है। इसको दो घंटे पहले ऑन किया गया था, इतने कम समय में ही इस पर भूरे रंग के धब्बे दिखने लगे हैं।

किशोर व युवाओं फेफड़े भी हो रहे काले

उन्होंने कहा कि सर्जरी के दौरान पहले धूमपान करने वालों का फेफड़ा काला दिखता था। अब किशोर व युवाओं के फेफड़े पर काले धब्बे दिखते हैं। प्रदूषण के कारण हर कोई धूमपान जैसी हवा सांस के रूप में ले रहा है। इसलिए वायु प्रदूषण राष्ट्रीय इमरजेंसी है। यदि इसे रोका नहीं गया तो यह मौत का बड़ा कारण बनेगा।


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