यादों में जीवित रखने को खरीद रहे 'मेरी इक्यावन कविताएं'
संजीव गुप्ता, नई दिल्ली पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी अब भले हमारे बीच स:शरीर नहीं र
संजीव गुप्ता, नई दिल्ली
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी अब भले हमारे बीच स:शरीर नहीं रहे, लेकिन उनके प्रशसंक उन्हें यादों में हमेशा जीवित रखना चाहते हैं। यही वजह है कि उनके प्रमुख काव्य संग्रह 'मेरी इक्यावन कविताएं' की मांग एकाएक बढ़ गई है। दो ही दिन में इसकी तीन सौ से अधिक प्रतियां बिक चुकी हैं, जबकि एक हजार से अधिक ऑर्डर पेंडिंग में चल रहे हैं।
अटल ने यूं तो गद्य एवं पद्य में 18 पुस्तकें लिखी हैं, लेकिन शुरू से ही उनकी लिखित 'मेरी इक्यावन कविताएं' पुस्तक ज्यादा लोकप्रिय रही है। किताबघर प्रकाशन द्वारा 1996-97 में प्रकाशित इस पुस्तक की अभी तक करीब 50 हजार से भी अधिक प्रतियां बिक चुकी हैं। बताया जाता है कि बृहस्पतिवार की शाम जैसे ही अटल के देहावसान की सूचना आई, ई- कॉमर्स वेबसाइट अमेजन और फ्लिपकार्ट के पास इस पुस्तक के ऑनलाइन ऑर्डर आने शुरू हो गए। कुछ ऑर्डर उनकी एक दूसरी पुस्तक 'कुछ लेख, कुछ भाषण' को लेकर भी आए हैं। यह पुस्तक भी सन 1996 में किताबघर से ही प्रकाशित हुई है। शुक्रवार की रात तक दोनों ही किताबों के ऑर्डर करीब डेढ़ हजार तक पहुंच चुके थे। किताबघर प्रकाशन के मार्केटिंग हेड राजीव शर्मा ने बताया कि 'मेरी इक्यावन कविताएं' के लिए आमतौर पर कई-कई दिनों में दो चार ही ऑर्डर आते हैं, लेकिन बृहस्पतिवार शाम पांच से रात 11 बजे तक जहां 170 ऑर्डर आए, वहीं शुक्रवार को शाम तक इसके लिए 150 लोगों के ऑर्डर बुक हुए। इनमें 90 फीसद ऑर्डर 'मेरी इक्यावन कविताएं' के हैं, जबकि 10 फीसद 'कुछ लेख, कुछ भाषण के'। उन्होंने बताया कि इतने ही ऑर्डर अमेजन और फ्लिपकार्ट से हमें भेजे जा चुके हैं, जबकि उनके पास करीब 1200 ऑर्डर पेंडिंग हैं। बॉक्स-1
ई कॉमर्स वेबसाइट के अलावा हमारे पास टेलीफोन पर भी लोग अटल जी की किताबों के बारे में जानकारी ले रहे हैं। पूर्व प्रधानमंत्री के प्रति देशवासियों का यह अपनापन और सम्मान देखकर बहुत अच्छा लग रहा है।
-सत्यव्रत, संचालक, किताबघर।