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तीन दंपत्तियों में हुई किडनी की अदला बदली

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : किडनी की बीमारी से पीड़ित मरीजों के इलाज में किडनी स्वाइप का चलन

By JagranEdited By: Published: Thu, 12 Jul 2018 10:12 PM (IST)Updated: Thu, 12 Jul 2018 10:12 PM (IST)
तीन दंपत्तियों में हुई किडनी की अदला बदली
तीन दंपत्तियों में हुई किडनी की अदला बदली

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : किडनी की बीमारी से पीड़ित मरीजों के इलाज में किडनी स्वाइप का चलन बढ़ रहा है। यह तकनीक उन मरीजों के लिए वरदान भी साबित हो रही है जिनके परिवार में डोनर नहीं मिल पाते। दिल्ली में पहली बार तीन दंपत्तियों के बीच किडनी की अदला बदली का मामला सामने आया है। तीन महिलाओं ने एक दूसरे के पतियों को किडनी दान की। दक्षिणी दिल्ली स्थित पुष्पावती सिंघानिया हॉस्पिटल एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट के डॉक्टरों ने यह किडनी प्रत्यारोपण सर्जरी की है।

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इन तीन परिवारों के बीच पहले से कोई जान पहचान नहीं थी। अस्पताल के डॉक्टरों के अनुसार दिल्ली के रहने वाले उमर युसूफ, अजय शुक्ला व बिहार के मधुबनी के रहने वाले कमलेश मंडल की किडनी खराब हो गई थी। तीनों हाल ही में इलाज के लिए अस्पताल पहुंचे थे। डॉक्टरों ने इन्हें किडनी प्रत्यारोपण की सलाह दी थी। परेशानी यह थी कि अजय शुक्ला व कमलेश मंडल का ब्लड ग्रुप अपनी पत्नी से नहीं मिल पाया। सिर्फ उमर युसूफ की पत्नी सना खातून (26) अपने पति को किडनी दान करने में सक्षम थीं क्योंकि उनका ब्लड ग्रुप ओ पॉजीटिव है। इस दंपत्ति को दिक्कत तब हुई जब उनकी क्रास मैच की जांच रिपोर्ट पॉजीटिव आई। इस जांच में डॉक्टर मरीज व डोनर के ब्लड की क्रास मैचिंग कराते हैं। जांच रिपोर्ट पॉजीटिव होने के करण वह भी अपने पति को किडनी दान करने के लिए योग्य नहीं थी। इसलिए डॉक्टरों ने उन्हें किडनी स्वाइप का सुझाव दिया।

इस तरह सना खातून ने अजय शुक्ला को किडनी दान की। अजय शुक्ला की पत्नी माया शुक्ला ने कमलेश मंडल को किडनी दान की और सना खातून के पति उमर युसूफ को लक्ष्मी छाया ने किडनी दान की। लक्ष्मी छाया कमलेश मंडल की पत्नी हैं। डॉक्टरों का कहना है कि इस किडनी प्रत्यारोपण सर्जरी के बाद तीनों महिलाओं के बीच अच्छी दोस्ती हो गई है। लोग धर्म व जाति की बात करते हैं। इन महिलाओं ने साबित किया है कि हम सभी सिर्फ इंसान हैं। साथ ही उन्होंने इलाज का खर्च भी बचाया। यदि किडनी की अदला बदली नहीं होती तो ब्लड से एंटिबॉडी हटाने की प्रक्रिया से गुजरना पड़ता। इसलिए बेमेल डोनर प्रत्यारोपण में खर्च अधिक आता है।


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