दसवीं में फिर बोर्ड किए जाने सेअभिभावक शिक्षक खुश
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली : दसवीं में स्कूल व बोर्ड आधारित परीक्षा की मौजूदा व्यवस्था में बदलाव ल
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली :
दसवीं में स्कूल व बोर्ड आधारित परीक्षा की मौजूदा व्यवस्था में बदलाव लेकर केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावडे़कर के बयान की अभिभावकों व शिक्षकों ने सराहना की है। सभी का कहना है कि दसवीं बोर्ड के शुरू होने से विद्यार्थियों में परीक्षा व्यवस्था के प्रति गंभीरता बढे़गी और उसका फायदा भविष्य में मिलेगा।
माउंट आबू स्कूल, रोहिणी की प्रिंसिपल ज्योति अरोड़ा कहती हैं कि यदि सरकार के स्तर पर दसवीं में बोर्ड की परीक्षा को लागू किया जाता है तो यह सराहनीय कदम होगा। उन्होंने कहा कि इसके पीछे दो प्रमुख कारण है पहला तो विद्यार्थियों में पढ़ाई को लेकर कुछ गंभीरता बढे़गी और दूसरा समग्र सतत मूल्यांकन प्रणाली के चलते अतिरिक्त दबाव से मुक्ति मिलेगी। ऑल इंडिया पैरेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक अग्रवाल कहते हैं कि इस व्यवस्था के लागू होने से शिक्षा के क्षेत्र में स्कूल स्तर पर शुरू हुए व्यवसायीकरण का अंत होगा। उन्होंने कहा कि अभिभावकों की ऐसी शिकायतें आती हैं कि उनके बच्चों को किसी तरह से फेल कर दिया गया है और पास करने के नाम पर उनसे अनुचित मांग की जा रही है। ऐसी शिकायतें निजी स्कूल ही नहीं बल्कि सरकारी स्कूलों के स्तर पर भी सामने आ रही हैं। इसके अलावा अशोक अग्रवाल ने कहा कि दसवीं में बोर्ड व स्कूल आधारित परीक्षा के चलते विद्यार्थियों को दसवीं के बाद उपलब्ध भविष्य के विकल्पों को लेकर फोकस नहीं हो पाते थे लेकिन बोर्ड आधारित परीक्षा की वापसी से यह समस्या भी खत्म होगी।
देशभर के छोटे बजट स्कूलों के प्रमुख संगठन नेशनल इंडिपेंडेंट स्कूल्स अलायंस (नीसा) के कोऑर्डिंनेटर डॉ. अमित चंद्र कहते हैं कि 10वीं कक्षा में बोर्ड परीक्षा को पुन: अनिवार्य किया जाना यह फिर से साबित करता है कि सरकार द्वारा लिए जाने वाले फैसलों में दूरदर्शिता की कितनी कमी रहती है। अब सरकार सरकार द्वारा व्यवहारिक अथवा अन्य कारणों का हवाला देते हुए इसमें बदलाव की बात की जा रही है। साफ है कि विद्यार्थी और स्कूल प्रशासन जबतक पिछली व्यवस्था के साथ समायोजित होते हैं तब तक नई व्यवस्था लागू हो जाती है। यहां बता दें कि इस संबंध में केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) की ओर से भी फीडबैक एकत्र किए गए थे जिसमें भारी संख्या में छात्र-शिक्षकों व अन्य सहभागियों ने कहा था कि मूल्यांकन की एक ही व्यवस्था लागू हो फिर वो चाहे स्कूल आधारित परीक्षा हो या फिर बोर्ड की।