सहमति से अप्राकृतिक यौन संबंध आरोपमुक्त होने का आधार नहीं
जागरण संवाददाता, पूर्वी दिल्ली : कड़कड़डूमा अदालत ने कहा है कि सहमति से बनाए गए अप्राकृतिक यौन संबंध आ
जागरण संवाददाता, पूर्वी दिल्ली : कड़कड़डूमा अदालत ने कहा है कि सहमति से बनाए गए अप्राकृतिक यौन संबंध आरोपों से मुक्ति का आधार नहीं हैं। मामले में एक केबिन क्रू मेंबर द्वारा पायलट पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। इसमें सहमति से अप्राकृतिक यौन संबंध का हवाला देते हुए बचाव पक्ष ने पायलट को आरोप मुक्त किए जाने की मांग की थी।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अनुराधा शुक्ला भारद्वाज ने कहा कि बचाव पक्ष के अधिवक्ता द्वारा जिन तथ्यों का हवाला दिया गया है वह इस मामले में लागू नहीं होते। ऐसे में सहमति से अप्राकृतिक यौन संबंधों को आरोपमुक्ति का आधार नहीं बनाया जा सकता। अदालत ने कहा कि अगर शादी का वादा करने संबंधी आरोपों को अलग रखा जाए तो प्रथमदृष्टया यहां आरोपी के विरुद्ध दुष्कर्म, अप्राकृतिक यौन संबंध एवं आपराधिक धमकी की धाराओं के तहत आरोप तय करने के लिए पर्याप्त आधार उपलब्ध हैं। आरोप तय करने के ¨बदु पर बहस करते हुए अभियोजन पक्ष के अधिवक्ता ने कहा कि महिला एक वरिष्ठ केबिन क्रू मेंबर है। उसने शिकायत में कहा है कि आरोपी ने अपने अधिकारों का गलत उपयोग किया और उसपर शारीरिक संबंध बनाने का दबाव बनाया। पीड़िता को उसका करियर खत्म करने की धमकी भी दी गई। पीड़िता को शादी का झांसा भी दिया गया। पीड़िता आरोपी के इरादों को भांपकर घबरा गई थी। आरोपी आपत्तिजनक तस्वीरें सार्वजनिक करने की धमकी भी दे रहा था। इसी मामले में आरोपी की ओर हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है। आरोपी के वकील की तरफ से कहा गया कि हाई कोर्ट का निर्देश आने तक उसके मुवक्किल के खिलाफ आरोप तय न किए जाएं। इस पर कड़कड़डूमा अदालत ने जुलाई तक आरोप तय नहीं करने का आदेश दिया है।