पक्षाघात से पीड़ित मरीजों को बचाने के लिए शुरू होगा अभियान
-लक्षण और उसके जोखिम भरे कारकों की जानकारी दी जाएगी -ज्यादातर मरीजों को समय पर नहीं मिल पाता इलाज
-लक्षण और उसके जोखिम भरे कारकों की जानकारी दी जाएगी
-ज्यादातर मरीजों को समय पर नहीं मिल पाता इलाज
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली: पक्षाघात देश में मौत व विकलांगता का एक बड़ा कारण बनकर उभर रहा है। चिंताजनक बात यह है कि दूर दराज के क्षेत्रों में चिकित्सा सुविधाओं के अभाव में ज्यादातर मरीजों को समय पर इलाज नहीं मिल पाता है। जब तक मरीज दिल्ली जैसे बड़े शहरों के अस्पतालों में इलाज के लिए पहुंचते हैं तब तक काफी देर हो चुकी होती है। जबकि पक्षाघात होने पर आधे घंटे के अंदर चिकित्सा सुविधा मिलने पर ही इस बीमारी को बहुत हद तक ठीक किया जा सकता है। ऐसे में इंडियन स्पाइन इंजरी सेंटर के डॉक्टर लोगों को जागरूक करने पर जोर दे रहे हैं।
इसके लिए अस्पताल जागरूकता अभियान शुरू करेगा। इसके तहत वॉलेंटियर घर-घर जाकर सर्वे करेंगे। इसके अलावा लोगों को पक्षाघात के लक्षण और उसके जोखिम भरे कारकों की जानकारी देंगे। अस्पताल के न्यूरो विज्ञान के प्रमुख डॉ. एके साहनी ने कहा कि उच्च कोलेस्ट्रॉल, हाइपरटेंशन, डायबिटीज, शराब के सेवन व हृदय रोग व तनाव हो तो पक्षाघात होने का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा मोटापे के चलते भी पक्षाघात होने की आशंका रहती है। पक्षाघात होने पर मरीज को जल्द अस्पताल पहुंचाकर उसकी जान बचाई जा सकती है। लेकिन, ज्यादातर मरीज इलाज के लिए देर से पहुंचते हैं।
ये हैं शुरुआती लक्षण
साफ आवाज नहीं निकलना, भूलने की समस्या, आख से अचानक दिखाई नहीं देना और कुछ देर बाद स्वयं रोशनी वापस आना आदि पक्षाघात होने के शुरुआती लक्षण होते हैं। कुछ लोगों को अचानक तेज सिरदर्द शुरू हो सकता है। ये लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टरों से संपर्क किया जाना चाहिए।