Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

एफआइआर में फारसी व उर्दू भाषा का इस्तेमाल बंद करने का विरोध

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : दिल्ली पुलिस ने हाई कोर्ट में जवाब दायर कर एफआइआर और पुलिस की कार्रवाई में

By Edited By: Updated: Sun, 25 Oct 2015 11:20 PM (IST)
Hero Image

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : दिल्ली पुलिस ने हाई कोर्ट में जवाब दायर कर एफआइआर और पुलिस की कार्रवाई में फारसी और उर्दू भाषा का इस्तेमाल बंद करने की मांग का विरोध किया है। पुलिस ने अपने जवाब में कहा है कि एफआइआर दर्ज करने के लिए जो भाषा इस्तेमाल की जाती है वह प्राचीन नहीं है। हर व्यक्ति उसे आसानी से समझ सकता है। उस पर रोक लगाए जाने से कई तरह की कानूनी दिक्कतें होंगी।

पुलिस ने यह जवाब हाई कोर्ट में दायर एक याचिका के संबंध में दिया है। उस याचिका में मांग की गई है कि पुलिस की कार्रवाई में इस्तेमाल की जाने वाली पुराने जमाने की भाषा बंद की जानी चाहिए। वकील अमित साहनी की ओर से दायर इस याचिका में आरोप लगाया गया है कि एफआइआर व बयान दर्ज करने में पुलिस पुराने जमाने की भाषा इस्तेमाल करती है। जिससे एफआइआर दर्ज कराने वाले और आरोपी दोनों को भाषा समझने में परेशानी होती है। याचिका में यह भी कहा गया है कि पुलिस को प्रशिक्षण के दौरान ये भाषाएं सिखाई जाती हैं। ये न सिर्फ पुलिस अधिकारियों के लिए बोझिल हैं, बल्कि न्यायिक अधिकारियों और वकीलों के लिए भी उन्हें समझना कठिन है। इनकी जगह ¨हदी व अंग्रेजी भाषा इस्तेमाल की जानी चाहिए। पुलिस ने मुख्य न्यायाधीश जी रोहिणी और न्यायमूर्ति जयंत नाथ के समक्ष अपना जवाब दाखिल किया। जिसमें इन भाषाओं के इस्तेमाल को बंद करने की मांग का विरोध करते हुए उसने कहा कि इसके लिए अधिकारियों को अलग से कोई प्रशिक्षण देने की जरूरत नहीं पड़ती। इसके लिए अलग से पैसा भी खर्च नहीं करना पड़ता। लोग इन भाषाओं को आसानी से समझ सकते हैं।