Move to Jagran APP

मोहम्मद हनीफ को गीता से मिली राह

बिरंचि सिंह, पश्चिमी दिल्ली मोहम्मद का 'म', हनीफ का 'ह' और खान का 'न' शब्द को लेकर मोहम्मद हनीफ ख

By Edited By: Published: Sun, 17 May 2015 01:06 AM (IST)Updated: Sun, 17 May 2015 01:06 AM (IST)
मोहम्मद हनीफ को गीता से मिली राह

बिरंचि सिंह, पश्चिमी दिल्ली

loksabha election banner

मोहम्मद का 'म', हनीफ का 'ह' और खान का 'न' शब्द को लेकर मोहम्मद हनीफ खान ने 'मोहन गीता' लिख डाली। वर्ष 1994 में 'वेद और कुरान से महामंत्र गायत्री और सुरहफातेहा' नामक पुस्तक का लोकार्पण करते समय देश के पूर्व राष्ट्रपति शंकरदयाल शर्मा को उनकी यह रचना इतनी पसंद आई कि उन्होंने अपनी तरफ से उन्हें नाम के आगे शास्त्री लगाने की इजाजत दे दी। इसके बाद मोहम्मद हनीफ ने अपने नाम के आगे से खान हटाकर शास्त्री लगाना शुरू कर दिया। वह दर्जन भर पुस्तकों की रचना कर चुके हैं। कमजोर पारिवारिक आर्थिक और शैक्षणिक पृष्ठभूमि की वजह से दसवीं में फेल होने पर मोहम्मद हनीफ शास्त्री इतना व्यथित हुए थे कि आत्महत्या करने तक की सोच ली थी। इसी बीच उनकी मुलाकात शहर के लखन शास्त्री से हुई। उन्होंने उन्हें गीता की एक पुस्तक दी और रोज एक अध्याय पढ़ने को कहा। मोहम्मद हनीफ शास्त्री बताते हैं कि इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। आज वह जो कुछ भी हैं गीता की वजह से हैं, इसलिए अब उनका उद्देश्य गीता का प्रचार प्रसार करना है। वह अपने जीपीएफ का पैसा निकालकर गीता (छोटी) की छह हजार पुस्तकें बांट चुके हैं, मोहन गीता का छह संस्करण भी प्रकाशित कर चुके हैं। सैकड़ों मंच शेयर कर चुके हैं। हनीफ शास्त्री कहते हैं कि शुरुआती दौर में अपने ही कौम के लोगों के बीच विरोध का सामना करना पड़ा था, लेकिन जब समाज के सामने उन्होंने धार्मिक एकता का रहस्य खोला तो सराहना मिलने लगी। वे ही लोग उनको सम्मान की दृष्टि से देखने लगे।

डॉ. मोहम्मद हनीफ शास्त्री, हरि नगर स्थित राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान में सहायक आचार्य पद पर कार्यरत हैं। वर्ष 1951 में जिला सोनभद्र के शहर दुधी में जन्में 64 वर्षीय मोहम्मद हनीफ शास्त्री ने वर्ष 1990 में पीएचडी की डिग्री हासिल की थी। वर्ष 1970 में गीता के समीप आए। अपनी पुस्तकों के माध्यम से मुस्लिम और ¨हदू समाज को एक धागे में पिरोने केप्रयासों के लिए सम्मानित हो चुके हैं। चार बार उन्हें पुरस्कार भी दिया गया।

कुरान, गीता का दोहराव लगता है

हनीफ शास्त्री का कहना है कि उन्होंने कई जगहों पर गीता पर व्याख्यान दिया। वेद और कुरान में काफी समानता है। ऐसा लगता है कि कुरान, गीता का दोहराव है। गीता की भूख हर समाज में और वैश्विक स्तर की है, लेकिन इस भूख को खत्म करने का प्रयास नहीं किया गया। गीता का रहस्य आम आदमी तक जनभाषा में पहुंचाना चाहिए, इस तरह के प्रयास कभी नहीं किए गए। अगर प्रयास हुआ होता तो वे लोग भी अब तक गीता पढ़ लिए होते जो अब तक नहीं पढ़े हैं। उनका कहना है कि विश्व की आबादी छह अरब है। लोगों को एक अंगूठा दूसरे से मेल नहीं खाता। ऐसे में मानव का यह प्रयास होना चाहिए कि आपस में मेल -जोल बढ़े।

गीता के उपदेश को इस्लामी परंपरा में हदीशकुदसी कहते हैं

गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने उपदेश दिया है। इसे इस्लामी परंपरा में हदीशकुदसी कहते हैं। गीता के 12वें अध्याय में कहा गया है कि वह शख्स ही मुझे पाता है जो सभी प्राणियों के हित में लगा हो। यही भारतीयता है, क्योंकि यह भारतीय संदेश है। यह महाकाव्य व्यास को स्मरण था, उचित मौका देखकर उन्होंने इसे भीष्म पर्व में यथावत रख दिया।

अब तक मिले सम्मान

-वर्ष 1994 में पूर्व राष्ट्रपति डॉ. शंकर दयाल शर्मा ने ' वेद और कुरान से महामंत्र गायत्री और सुरहफतेहा' नाम पुस्तक के लिए सम्मानित किया।

-वर्ष 1996 में पूर्व राष्ट्रपति डॉ. शंकर दयाल शर्मा ने 'गीता और कुरान में सामंजस्य' नामक पुस्तक के लिए सम्मानित किया।

-वर्ष 1998 में उपराष्ट्रपति कृष्णकांत ने 'वेदों में मानव अधिकार' पुस्तक के लिए सम्मानित किया।

-वर्ष 2003 में केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रह चुके मुरली मनोहर जोशी ने उन्हें ' गायत्री मंत्र का वैदिक उपयोग' नामक पुस्तक के लिए सम्मानित किया।

-वर्ष 2011 में केंद्रीय गृह मंत्री रह चुके पी चिदंबरम ने उन्हें 'राष्ट्रीय सद्भावना सम्मान' से सम्मानित किया।

-वर्ष 2011 में कांची कामकोटि पीठाधीश के शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती ने उन्हें 'नेशनल एमिनेंस अवार्ड' दिया।

-अखिल भारतीय विद्वत परिषद, वाराणसी ने उन्हें 'दारा शिकोह पुरस्कार' दिया।

-वर्ष 2013 में डाक्टर कर्ण सिंह ने उन्हें 'वसुंधरा रत्न' से सम्मानित किया।

-----------

मुख्य प्रकाशित रचनाएं

-मोहन गीता

-वेद और कुरान से महामंत्र गायत्री एवं सुरहफतेहा

-गीता व कुरान में सामंजस्य

-वेदों में मानव अधिकार

-बौद्धिक साहित्य में मानव कर्तव्य

-महामंत्र गायत्री में बौद्धिक उपयोग

-मानव अधिकार सुरक्षा का शंखनाद

-मंत्रशास्त्र व उद्योग

-यंत्र महिमा

---

छपने के लिए तैयार

-इस्लामी परंपरा में मानव धर्म

-भागवत गीता और इस्लाम धर्म


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.