अग्रलेख दिल्ली
अनुकरणीय उदाहरण राजधानी में ठीक तरीके से हेलमेट नहीं लगाने वाले पुलिसकर्मी को लाइन हाजिर कर विशेष
अनुकरणीय उदाहरण
राजधानी में ठीक तरीके से हेलमेट नहीं लगाने वाले पुलिसकर्मी को लाइन हाजिर कर विशेष पुलिस आयुक्त ने एक अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया है। इस घटना से यह बात सामने आई है कि राजधानी में पुलिसवाले भी यातायात नियमों की अवहेलना करने से बाज नहीं आते। दोषी पुलिसकर्मी को सिर्फ 100 रुपये का चालान काटकर लाइन हाजिर करना काफी नहीं है। एक पुलिसकर्मी ही कानून का उल्लंघन करेगा तो बाकी शहरवासियों से इसकी उम्मीद कैसे की जा सकती है। इस मामले में विशेष पुलिस आयुक्त की नजर इस यातायात पुलिसकर्मी पर पड़ गई और उन्होंने उस पर कार्रवाई की। लेकिन ऐसे कितने ही मामले रोजाना देखने को मिलते हैं जब ये पुलिसवाले ही कानून की धज्जियां उड़ाने से बाज नहीं आते। चूंकि इन पर किसी अधिकारी की नजर नहीं पड़ती, इसलिए ये बच जाते हैं और फिर इस बात के आदी हो जाते हैं। कानून का पालन करना आदत की बात है। एक बार यह अगर छूट जाए तो फिर इसे अमल में लाना आसान नहीं है।
राजधानी में रोजाना सड़क हादसे होते रहते हैं। एक आंकड़े के मुताबिक हर साल इसमें करीब 1700 लोगों की जान जाती है, जबकि करीब 75 हजार लोग घायल होते हैं। इनमें एक बड़ी संख्या दोपहिया वाहन चालकों की होती है। इनमें से कई ऐसे होते हैं जो हेलमेट नहीं लगाते हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए पिछले दिनों दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश पर दिल्ली सरकार ने दोपहिया वाहन के पीछे बैठने वाली महिलाओं के लिए भी हेलमेट लगाना अनिवार्य कर दिया है। इसका अच्छा परिणाम भी देखने को मिला है। इन सबके बावजूद आज भी महिला हो या पुरुष, जैसे ही पुलिस का भय खत्म होता है, हेलमेट उतार लेते हैं। रात के वक्त तो लोग सिर्फ वहीं हेलमेट लगाना पसंद करते हैं, जहां पुलिस चेकिंग करती है। यहां जरूरत यह समझने की है कि यह व्यवस्था वाहन चालकों की जान की सुरक्षा के लिए की जा रही है न कि जुर्माना लगाने के लिए। इसके लिए यातायात पुलिस से लेकर सरकार तक हमेशा जागरूकता अभियान चलाती रहती है, लेकिन आज भी इसका अपेक्षित परिणाम नहीं मिल रहा है। ऐसे में सरकार को इसे सख्ती से लागू करने के लिए कदम उठाने चाहिए और जो कोई भी इसमें लापरवाही दिखाए उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।