मोदी की विदेश नीति से प्रभावित हैं मतदाता
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली : विदेशी धरती पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बढ़ती लोकप्रियता की गूंज दि
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली : विदेशी धरती पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बढ़ती लोकप्रियता की गूंज दिल्ली विधानसभा चुनाव में भी सुनाई पड़ रही है। बिजली, पानी और सड़क के साथ मतदाताओं की चुनावी चर्चाओं में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विदेश नीति भी शामिल है। मतदाताओं के बीच चर्चा है कि मोदी के आठ माह के कार्यकाल में विदेशी धरती पर देश की साख बढ़ी है।
चांदनी चौक के कारोबारी धर्मेद्र अग्रवाल हों या नई दिल्ली के पिलंजी गांव के वीर सिंह। विधानसभा चुनाव में भाजपा के समर्थन के सवाल पर दोनों तपाक से कहते हैं कि पूरे विश्व में भारत का डंका बज रहा है। ऐसा पहला प्रधानमंत्री देखा है, जिसकी पूरी दुनिया मुरीद हुई हो। दिल्ली विधानसभा चुनाव की धुरी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बनाम दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री व आप संयोजक अरविंद केजरीवाल पर आकर टिकती दिखाई दे रही है। ऐसे में मतदाताओं के बीच जिक्र दोनों के कामकाज को लेकर भी हो रहे हैं। मोदी के जिक्र में विदेश नीति से लेकर स्वच्छता अभियान शामिल है। गुजरात का मुख्यमंत्री रहते हुए उनके कामकाज का भी मूल्यांकन दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान मतदाताओं के बीच हो रहा है।
ओबामा दौरे को भुनाने की कोशिश
वैसे, यह चर्चा गणतंत्र दिवस समारोह में बतौर मुख्य अतिथि अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा के भारत आने के बाद और बढ़ी है। खास बात यह है कि दिल्ली विधानसभा चुनाव में इस मुद्दे को भाजपा के नेता भी भुनाने में जुटे हुए हैं। नई दिल्ली विधानसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी नूपुर शर्मा कहती हैं कि नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में अमेरिका व जापान के साथ ही अन्य देशों से भारत के रिश्ते बेहतर हुए हैं। आगे विश्व के अन्य देशों से भी भारत के रिश्ते बेहतर ही होंगे। उन्होंने कहा कि विदेशी मोर्चे पर देश की यह बढ़त देखकर भी मतदाता भाजपा के पक्ष में मतदान करेंगे।
खास बात यह है कि मोदी की विदेश नीति पर चर्चा तिमारपुर विधानसभा क्षेत्र में मूलभूत सुविधाओं से जूझ रहे गोपालपुर गांव में भी हो रही है। गांव के एसके झा के मुताबिक अगर देश का लोहा विदेशी भी मानने लगे और सम्मान देने लगे तो निश्चित ही उन्हें गर्व होगा और मौजूदा सरकार के प्रति झुकाव बढ़ेगा। चांदनी चौक के कारोबारी धर्मेद्र अग्रवाल कहते हैं कि विदेश से रिश्ते सुधरेंगे तो व्यापार बढ़ेगा। उद्योग-धंधे बढ़ेंगे। उसका फायदा आखिरकार देश के लोगों को ही मिलेगा।