सड़कों पर फूट रहा लोगों का गुस्सा
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली : राजधानी में रहने वाले लोगों में सहनशीलता कम होती जा रही है। लोग छोटी-छोटी बातों पर एक-दूसरे को मरने-मारने पर उतारू हो रहे हैं। राजधानी में आए दिन होने वाली घटनाओं में यह देखा जा रहा है कि लोगों का गुस्सा सड़कों पर बारूद बनकर फूटा रहा है। गलत जीवनशैली के चलते लोगों में तनाव व निराशा बढ़ रही है। अक्सर यह देखने में आता है कि जिस समस्या का समाधान आपसी बातचीत व समझाने-बुझाने से हो सकता है लोग उस पर खून बहा रहे हैं।
हर माह रोडरेज के तीन मामले
इस वर्ष जुलाई तक दिल्ली में रोडरेज के कुल 22 मामले सामने आए हैं। इसका मतलब हर महीने यहां रोडरेज के तीन मामले होते हैं। यातायात पुलिस के अनुसार सड़कों पर वाहन चालकों के व्यवहार में लगातार गिरावट देखी गई है। हर दिन रात 10 बजे से सुबह 7 बजे के बीच सड़क पर चालकों के बीच मारपीट की एक दर्जन सूचनाएं मिलती हैं, इनमें से कुछ फर्जी भी निकलती हैं।
बिखर रहे हैं परिवार
रोडरेज में जिसकी मौत होती है उसका परिवार तो बर्बाद होता ही है। जिसके खिलाफ मामला दर्ज होता है उसके परिवार का भी चैन और सुकून कोर्ट के चक्कर लगाते-लगाते खत्म हो जाता है। अब सवाल यह उठता है कि सड़क पर चलते समय आखिर हमें गुस्सा क्यों आता है। रोडरेज की वजह क्या है? आखिर क्यों लोग पलभर में ही इतने उत्तेजित हो उठते हैं कि एक-दूसरे की जान के प्यासे हो रहे हैं? गत वर्ष जखीरा फ्लाईओवर पर गलत दिशा में जा रहे कार सवार को रोकने पर चालक द्वारा यातायात पुलिस के सिपाही माना राम को 150 मीटर तक घसीटने के बाद कुचलने का मामला हो या फिर हाल ही में मेरठ में छह युवकों द्वारा दंपती पर हमला किया जाना हो, लोगों का गुस्सा लगातार बढ़ रहा है।
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गलत जीवनशैली के चलते लोगों में तनाव बढ़ रहा है। इसके अलावा नौकरी का तनाव, घर के बारे में चिंता, वाहन चलाते हुए जाम में फंसने के कारण लोग चिड़चिड़े होने लगे हैं। ऐसे में इस सब के बीच अगर कोई दुर्घटना हो जाए तो गुस्सा फूट पड़ता है। खुद को बड़ा दिखाने के चक्कर में लोग मरने-मारने पर उतारू हो जाते हैं। सड़क पर कोई दुर्घटना होने पर हमें शांत मन से इसका हल निकालना चाहिए।
डॉ.ओमप्रकाश प्रजापति, मनोचिकित्सक, मानव व्यवहार एवं संबद्ध विज्ञान संस्थान
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रोडरेज का मामला सामने आने पर स्थानीय पुलिस आरोपी पर मुकदमा दर्ज करती है। इसके लिए समय-समय पर चालकों को संभलकर वाहन चलाने के लिए जागरूक किया जाता है।
अनिल शुक्ला, संयुक्त आयुक्त, यातायात पुलिस
बाक्स के लिए
रोडरेज के कुछ कारण
-टक्कर लगना।
-तेज हॉर्न बजाना।
-नशे में वाहन चलाना।
-तेजी से गाड़ी चलाना।
-दूसरे वाहन को ओवरटेक करना।
यह करती है यातायात पुलिस
-यातायात नियमों के बारे में समय-समय पर जागरूकता अभियान चलाया जाता है।
-परिवहन विभाग से वाहन चालकों को लाइसेंस देने की प्रक्रिया को सख्त करने की सिफारिश।
-लगातार यातायात नियम तोड़ने वालों का लाइसेंस रद करने की सिफारिश।
-चालकों के लिए प्रशिक्षण शिविर का आयोजन।
रोडरेज के आंकड़े
वर्ष संख्या
2014 22 (जुलाई तक)
2013 36
2012 34
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रोडरेज की कुछ घटनाएं
28 फरवरी, 2014 को बवाना में टैंपो व कार चालक के बीच पहले निकलने की बात पर हुए झगड़े में कार सवार राहुल उर्फ काला व रवि नाम के युवकों ने ऑटो सवार दो भाईयों की गोली मारकर हत्या कर दी थी।
26 जून, 2014 वसंत कुंज में सीए व उनकी पत्नी की कार का बंपर एक अन्य कार से छू गया। जिसके बाद कार सवार दो युवकों ने उनकी जमकर पिटाई की।
22 अगस्त, 2014 पटेल नगर में तीन युवकों ने कार से मामूली सी टक्कर लगने पर प्रॉपर्टी डीलर को गोली मार दी।