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World Cup 2019: आखिर क्यों अपने बल्ले पर ये खास चिप लगाकर खेल रहे हैं डेविड वार्नर

World cup 2019 बेंगलुरु की कंपनी स्मार्ट क्रिकेट ने बल्ले के सेंसर के लिए एक खास चिप तैयार की है जिसका उपयोग वार्नर कर रहे हैं।

By Sanjay SavernEdited By: Published: Mon, 10 Jun 2019 05:42 PM (IST)Updated: Mon, 10 Jun 2019 09:12 PM (IST)
World Cup 2019: आखिर क्यों अपने बल्ले पर ये खास चिप लगाकर खेल रहे हैं डेविड वार्नर

लंदन, प्रेट्र। ऑस्ट्रेलिया के सलामी बल्लेबाज डेविड वार्नर विश्व कप के लिए कड़े मुकाबलों की तैयारियों में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते हैं और इसके लिए वह अपने बल्ले पर नए उपकरण का उपयोग कर रहे हैं, जो कि एक सेंसर है। इसमें बैकलिफ्ट के कोण से लेकर बल्ले की अधिकतम गति जैसे आंकड़े दर्ज होते रहते हैं।

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अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आइसीसी) ने 2017 में बल्ले पर सेंसर लगाने के लिए मंजूरी प्रदान की थी, लेकिन ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज को छोड़कर पिछले दो वर्षो में किसी ने इसका उपयोग नहीं किया। बेंगलुरु की कंपनी 'स्मार्ट क्रिकेट' ने बल्ले के सेंसर के लिए एक खास चिप तैयार की है, जिसका उपयोग वार्नर कर रहे हैं, ताकि उन्हें जसप्रीत बुमराह जैसे गेंदबाजों का सामना करने में मदद मिले। सेंसर चिप बल्ले के हैंडल के ऊपर लगाई जाती है।

बल्लेबाज जब तक बल्लेबाजी कर रहा होता है, तब तक के चिप जो भी आंकड़े हासिल करती है वे 'क्लाउड स्टोरेज' के जरिये मोबाइल एप में इक्कठे हो जाते हैं। वार्नर को बल्ले के सेंसर से मिले आंकड़ों से बुमराह जैसे गेंदबाजों का सामना करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां मिली हैं। जैसे कि बुमराह की यॉर्कर का सामना करने के लिए बल्ले की अधिकतम गति कितनी होनी चाहिए। उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार बल्ले की गति 70 से 75 किमी होनी चाहिए, लेकिन वार्नर अपने बल्ले को 85 से 90 किमी की गति से उठाने का प्रयास कर रहे हैं।

बुमराह जैसे स्लिंगर के लिए बैकलिफ्ट का कोण लगभग 120-125 के आसपास होना चाहिए और बल्ला पहली स्लिप की तरफ से नीचे आना चाहिए, लेकिन भुवनेश्वर कुमार के सामने बैकलिफ्ट विकेटकीपर की लाइन में होनी चाहिए। स्पिनरों के लिए बैकलिफ्ट का कोण न्यूनतम 160 डिग्री तथा अधिकतम 175 डिग्री होना चाहिए। भारत के पूर्व विकेटकीपर बल्लेबाज दीप दासगुप्ता ने कहा कि पहले कोच बैकलिफ्ट के कोण या बल्ले की गति या बल्ले और शरीर के बीच दूरी के लिए अपने नैसर्गिक कौशल का उपयोग करते थे। मेरा मानना है कि अगर सटीक आंकड़े कोच की मदद कर सकते हैं, तो इनका उपयोग किया जाना चाहिए। वर्तमान में भारत का कोई भी खिलाड़ी बल्ले पर सेंसर का उपयोग नहीं कर रहा है, जो निकट भविष्य में बल्लेबाजों के लिए उपयोगी साबित हो सकता है।

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