बर्थडे: सचिन का सम्मान, इनका अपमान
टीम इंडिया के मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर का जन्म जिस तिथि को हुआ था, उसी तिथि को एक और क्रिकेटर का जन्म हुआ था। श्रीलंका के पूर्व क्रिकेटर और वर्तमान अंपायर कुमार धर्मसेना भी 24 अप्रैल को जन्मे थे, लेकिन जहां इस विशेष तिथि पर सचिन के जन्मदिन की धूम मची थी, वहीं धर्मसेना के बारे में किसी को जानकारी ही नहीं थी। कमाल की बात तो यह है कि ये दोनों शख्स एकसाथ मैदान पर भी मौजूद थे।
कोलकाता। टीम इंडिया के मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर का जन्म जिस तिथि को हुआ था, उसी तिथि को एक और क्रिकेटर का जन्म हुआ था। श्रीलंका के पूर्व क्रिकेटर और वर्तमान अंपायर कुमार धर्मसेना भी 24 अप्रैल को जन्मे थे, लेकिन जहां इस विशेष तिथि पर सचिन के जन्मदिन की धूम मची थी, वहीं धर्मसेना के बारे में किसी को जानकारी ही नहीं थी। कमाल की बात तो यह है कि ये दोनों शख्स एकसाथ मैदान पर भी मौजूद थे।
बात यहीं खत्म नहीं हो जाती, कुमार धर्मसेना ने जब पहली पारी की आखिरी गेंद पर नो बॉल जांच करने के लिए तीसरे अंपायर का सहारा लिया तो कोई भी खिलाड़ी मैदान पर रुकना उचित नहीं समझा। धर्मसेना नो बॉल जांच करते रहे और खिलाड़ी पवेलियन लौट गए। क्रिकेट की आचार संहिता के अनुसार भी यह गलत है। धर्मसेना ने उस वक्त राहत की सांस ली जब तीसरे अंपायर ने इसे नो बॉल करार नहीं दिया। अगर वह नो बॉल करार दिया जाता तो मैच में नाटकीय माहौल बन जाता। धर्मसेना के प्रति खिलाडि़यों का यह रवैया उनके लिए किसी अपमान से कम नहीं था।
इसके अलावा जब सचिन तेंदुलकर ने पहली गेंद का सामना किया तो लक्ष्मीपति बालाजी ने पगबाधा की जोरदार अपील की, लेकिन उस वक्त धर्मसेना गौर से गेंद देख रहे थे। उन्होंने जल्दी ही अपील नकार दी, क्योंकि वे जल्दीबाजी में सचिन तेंदुलकर को आउट करार देकर भारतीयों का दुश्मन नहीं बनना चाहते थे। वह काफी करीबी मामला था, लेकिन रीप्ले से पता चल रहा था कि गेंद लेग स्टंप के बिलकुल करीब से गुजर रही थी।
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