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भारतीय क्रिकेट की खोई कहानी हैं पठान बंधु

[रवि शास्त्री] छवि और धारणा से ऊपर जाने के लिए कुछ असाधारण करने की जरूरत होती है। चेतेश्वर पुजारा को हम एक विशेष शैली के बल्लेबाज के रूप में देखते हैं, जबकि हम सभी जानते हैं कि अपना दिन होने पर वह कुछ भी कर सकते हैं।

By Edited By: Published: Sat, 13 Apr 2013 03:05 PM (IST)Updated: Sat, 13 Apr 2013 03:05 PM (IST)
भारतीय क्रिकेट की खोई कहानी हैं पठान बंधु

[रवि शास्त्री] छवि और धारणा से ऊपर जाने के लिए कुछ असाधारण करने की जरूरत होती है। चेतेश्वर पुजारा को हम एक विशेष शैली के बल्लेबाज के रूप में देखते हैं, जबकि हम सभी जानते हैं कि अपना दिन होने पर वह कुछ भी कर सकते हैं। कम ही लोगों ने सोचा होगा कि राहुल द्रविड़ वनडे क्रिकेट के शीर्ष बल्लेबाजों में से एक होंगे, या सौरव गांगुली अपने करियर में 100 टेस्ट मैच खेल सकेंगे। वीरेंद्र सहवाग के बारे में क्या कहेंगे.. कितने लोगों ने सोचा होगा कि क्रीज पर रनों के लिए भूखे बल्लेबाज के रूप में उतरने वाला यह बेसब्र खिलाड़ी दो तिहरे शतक ठोंक देगा।

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600 विकेट का जादुई आंकड़ा पार करने के कुछ दिनों बाद ही अनिल कुंबले संन्यास ले लेंगे, इस बारे में सोचने वाले भी बहुत कम ही लोग होंगे। इस बारे में आप क्या कहेंगे, कि लगभग हर तरह की चोटों से जूझने वाले सचिन तेंदुलकर अपने 25वें अंतरराष्ट्रीय सत्र में प्रवेश करने की दहलीज पर खड़े हैं। यहां हमें युवराज सिंह के हौसले को नहीं भूलना चाहिए।

इन लोगों ने ठीक वैसा ही किया। खुद पर दागे गए सवाल के बदले हर बार ये मजबूत जवाब के साथ सामने आए। हाथ से बहते खून और पैरों में पड़े छालों की परवाह करते हुए ये लोग अडिग इरादों के साथ शिखर पर पहुंचने में कामयाब रहे। आपको यह भी जानना चाहिए कि मैं भी अपने पहले टेस्ट में दसवें नंबर पर बल्लेबाजी के लिए उतरा मगर अपने करियर के खत्म होते-होते हर स्थान पर बल्लेबाजी की। एक सलामी बल्लेबाज के तौर पर ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ दोहरा शतक भी लगाया। कुल 11 शतक ठोंके, जो एक ऐसे खिलाड़ी के लिए इतना खराब भी नहीं है, जो धीरे-धीरे लेफ्ट आर्म स्पिनर बन गया।

यह सब बातें इसलिए की जा रही हैं क्योंकि मैंने कुछ उन खिलाडि़यों की प्रगति का अध्ययन किया है, जो टीम इंडिया के भविष्य के तौर पर जाने जाते हैं। यूसुफ पठान के लंबे छक्के दिखाई नहीं दे रहे हैं और मनोज तिवारी का भाग्य साथ नहीं दे रहा है। इरफान पठान, पीयूष चावला, आरपी सिंह, पॉल वॉल्थटी, सौरभ तिवारी और मनीष पांडे जैसे युवा कुछ कदम पीछे खिसक गए हैं। इनमें से कई को इस साल अपनी फ्रेंचाइजी के साथ बने रहने के लिए भी संघर्ष करना पड़ा। पठान बंधु भारतीय क्रिकेट की खोई हुई कहानी हैं। एक बेहतरीन स्ट्राइकर इरफान कभी अगला कदम नहीं बढ़ा सके। मनोज तिवारी को निश्चित रूप से और मौके मिलने चाहिए। कुल मिलाकर यह खिलाड़ी उनके खिलाफ बनी धारणा को तोड़ने में सक्षम नजर नहीं आ रहे हैं। इनके पास अगले कुछ हफ्तों में अपनी असफलताओं को पीछे छोड़ते हुए खुद को साबित करने के मौके हैं। चुनाव उनके हाथ में है। (टीसीएम)

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