IPL 2020 में छाप छोड़ रहे हैं युवा भारतीय खिलाड़ी: सुनील गावस्कर
दिग्गज सुनील गावस्कर का कहना है कि बीसीसीआइ ने जूनियर क्रिकेट पर काफी मेहनत की है। आइपीएल में युवाओं के प्रदर्शन में यह झलक भी रहा है। भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान ने अपने इस कॉलम में एनसीए और राहुल द्रविड़ के मार्गदर्शन की भी बात की है।
सुनील गावस्कर का कॉलम। आइपीएल के इस सत्र ने एक बार फिर दिखा दिया कि जब जूनियर क्रिकेट की बात आती है तो कोई भी बीसीसीआइ से बेहतर नहीं कर सकता। हाल के वर्षों में बीसीसीआइ ने विभिन्न आयु समूहों में जो टूर्नामेंट और 'ए' टीम के टूर आयोजित किए हैं, वे किसी भी अन्य क्रिकेट बोर्ड से बेहतर हैं और आइपीएल में युवाओं के प्रदर्शन में यह झलक भी रहा है।
सनराइजर्स हैदराबाद और चेन्नई सुपर किंग्स के मैच को ही देखें तो युवा प्रियम गर्ग जब क्रीज पर उतरे थे तो उनके साथ दूसरे छोर पर न्यूजीलैंड के कप्तान और इस खेल के सर्वश्रेष्ठ खिलाडि़यों में से एक केन विलियमसन थे। विलियमसन ने गलत रन की कॉल की थी और उस पर वह रन आउट हो गए। उन्होंने उस रन के लिए प्रियम को कहा जो नहीं था और इसके कारण उन्हें अपना विकेट गंवाना पड़ा। जब कोई विलियमसन जैसा बल्लेबाज रन के लिए बोलता है और रन आउट होकर वापस पवेलियन लौट जाता है तो उसे लगता है कि उसके साथी की गलती से ऐसा हुआ है।
यह ठीक वैसा ही है जैसा कि विलियमसन की अभिव्यक्ति में देखा जा सकता था क्योंकि वह गर्ग की तरफ देखते हुए पवेलियन लौट गए थे। जैसे ही गर्ग ने उनकी ओर देखने की कोशिश की, तो वह डग आउट की ओर चले गए। किसी भी युवा खिलाड़ी ने टीम के प्रमुख बल्लेबाज के उस रन आउट के दबाव को महसूस किया होगा, यह जानने के बावजूद कि वास्तव में उसकी गलती नहीं थी।
गर्ग के लिए सौभाग्य से उनके अच्छे दोस्त अभिषेक शर्मा क्रीज पर आ गए जिनके साथ उन्होंने जूनियर क्रिकेट में कई मैच खेले हैं। फिर उन्होंने उनके साथ शॉट खेलने शुरू किए जिससे उन पर दबाव कुछ कम हो गया। दो युवा आजादी के साथ शानदार तरीके के साथ खेल रहे थे। हैदराबाद को अतिरिक्त रन की जरूरत थी जो उनकी साझेदारी से टीम को मिले और टीम की जीत में यही उपयोगी साबित हुए। इन दो युवाओं ने दिखाया कि वे इस साझेदारी से मैच को बदल रहे हैं।
यह सिर्फ इन दोनों का ही मामला नहीं है, बल्कि हर फ्रेंचाइजी के दूसरे युवाओं का भी हैं जो अपने प्रदर्शन से चमक बिखेर रहे हैं और दिखा रहे हैं कि उनमें निवेश करना सही फैसला है। कोलकाता नाइटराइडर्स के लिए कमलेश नागरकोटी, शुभमन गिल और शिवम मावी खेल रहे हैं तो वहीं रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर के पास देवदत्त पडीक्कल और नवदीप सैनी हैं। उधर, श्रेयस अय्यर, रिषभ पंत और पृथ्वी शॉ दिल्ली कैपिटल्स के पास हैं। मुंबई इंडियंस के लिए ईशान किशन अच्छा कर रहे हैं। राजस्थान रॉयल्स की टीम में भी संजू सैमसन, राहुल तेवतिया शामिल हैं। ये युवा इस साल आइपीएल में फ्रेंचाइजी के लिए मैच विजेता बन रहे हैं और ये सभी बीसीसीआइ के आयु वर्ग के टूर्नामेंटों के माध्यम से आए हैं।
इन युवाओं में से कुछ को राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी (एनसीए) में गंभीर चोटों से ठीक करने के लिए भर्ती करना पड़ा था और बीसीसीआइ ने उन्हें मैदान पर वापस लाने के लिए खूब पैसा खर्चा किया। अंत में एनसीए को वह प्रशंसा मिल रही है जिसके वे हकदार हैं। इन वर्षो में इस खेल ने भारत के कई राज्यों में भी जड़ें जमा ली हैं। शानदार कवरेज और विशेष रूप से स्थानीय भाषाओं में कमेंट्री को धन्यवाद दिया जाना चाहिए। जहां क्रिकेट नंबर-वन खेल नहीं था, अब वहां भी यह खेल प्रतिभाशाली युवाओं के साथ वापस आ रहा है।
राहुल द्रविड़ के मार्गदर्शन में एक चीज साफ है कि उसमें खिलाड़ी को सिर्फ क्रिकेट खेलने के तरीके से देखा जाता है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वह कहां से आता है, वह कौन सी भाषा बोलता है। अगर वह एक अच्छा क्रिकेटर है तो उसे आगे बढ़ाया जाएगा। अब किसी खिलाड़ी को टीम का नेतृत्व करने के लिए इंग्लिश बोलने की जरूरत नहीं है, क्योंकि भारतीय क्रिकेट ही उसके लिए मायने रखता है बाकि और कुछ नहीं।