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IPL 2019 धौनी का गुस्सा कितना जायज, क्या उन जैसे खिलाड़ी के लिए ये करना सही था !

अब सवाल उठ रहे हैं कि अगर यही काम किसी अन्य खिलाड़ी ने किया होता तो क्या उसे इतनी आसानी से छोड़ दिया जाता।

By Sanjay SavernEdited By: Published: Fri, 12 Apr 2019 09:29 PM (IST)Updated: Sat, 13 Apr 2019 12:29 AM (IST)
IPL 2019 धौनी का गुस्सा कितना जायज, क्या उन जैसे खिलाड़ी के लिए ये करना सही था !

अभिषेक त्रिपाठी, नई दिल्ली। भारतीय टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धौनी ने जो कभी नहीं किया था वह चेन्नई सुपरकिंग्स (सीएसके) के लिए कर डाला। जब वह कप्तान थे तो भारतीय टीम के खिलाफ कई फैसले लिए गए लेकिन उन्होंने कभी इस तरह की प्रतिक्रिया नहीं दी लेकिन इंडियन प्रीमियर लीग में चेन्नई सुपरकिंग्स के लिए वह सिर्फ एक गलत फैसले के कारण बाउंड्री से मैदान में घुस आए। निश्चित तौर पर इसकी जितनी आलोचना की जाए वह कम है। उसके अलावा आइपीएल गवर्निग काउंसिल ने उन पर कोई प्रतिबंध लगाए बिना सिर्फ 50 फीसद मैच फीस का जुर्माना लगाकर एक गलत रवायत को जन्म दे दिया है। अब सवाल उठ रहे हैं कि अगर यही काम किसी अन्य खिलाड़ी ने किया होता तो क्या उसे इतनी आसानी से छोड़ दिया जाता।

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चेन्नई सुपरकिंग्स के कोच स्टीफन फ्लेमिंग ने इतना कहकर अपना बचाव किया है कि नोबॉल पर अंपायरों के साथ धौनी के 'असामान्य' टकराव के लिए उनसे पूछताछ की जाएगी, लेकिन उन्होंने यह कहते हुए कप्तान के रवैये का बचाव किया कि वह 'स्पष्टीकरण' की मांग कर रहे थे। इससे साफ है कि जब आइपीएल गवर्निग काउंसिल ने कुछ नहीं किया तो एन. श्रीनिवासन वाली सीएसके क्या करेगी?

राजस्थान रॉयल्स के खिलाफ गुरुवार रात आइपीएल मैच में नोबॉल पर एक फैसले को लेकर धौनी डगआउट से निकलकर अंपायर उल्हास गंधे से बहस करने लगे थे। मैदानी अंपायर ने नोबॉल का इशारा कर दिया था लेकिन लेग अंपायर ने उसे पलट दिया। यहां से मैच बदल सकता था और इसी कारण धौनी मैदान के अंदर आ गए थे। हालांकि लेग अंपायर ब्रूस आक्सनफोर्ड ने रेफरी को बताया है कि धौनी ने हमारे साथ अभद्रता नहीं की।

फ्लेमिंग ने कहा कि वह उस फैसले से नाराज थे कि नोबॉल देकर उसे वापस क्यों लिया गया। वह स्पष्टीकरण चाहते थे। आम तौर पर वह ऐसा नहीं करते हैं और मुझे पता है कि आने वाले समय में उनसे यह सवाल बार-बार पूछा जाएगा।

उधर राजस्थान रॉयल्स के बल्लेबाज जोस बटलर ने कहा कि मैं तब सीमा रेखा पर खड़ा था। ऐसे में मुझे पता नहीं है कि आखिर हुआ क्या था। मुझे पता नहीं है कि ऐसा करना सही है या नहीं। जाहिर तौर पर आइपीएल में तनाव ज्यादा चल रहा है और हर रन मायने रखता है। हां, यह खेल का बड़ा क्षण था, लेकिन क्या पिच पर कदम रखना काफी सही है? शायद नहीं।'

उधर आइपीएल की तरफ से मेल जारी करके कहा गया है कि सीएसके के कप्तान धौनी पर मैच फीस का 50 प्रतिशत जुर्माना लगाया गया है। उन्होंने जयपुर में राजस्थान रॉयल्स के खिलाफ मैच के दौरान आइपीएल आचार संहिता का उल्लंघन किया। धौनी ने आइपीएल की आचार संहिता के लेवल 2 के अपराध 2.20 के तहत सजा स्वीकार कर ली है। फ्रेंचाइजी खिलाडि़यों की जगह जुर्माना भरेगी।

ये हुआ था

राजस्थान रॉयल्स के खिलाफ मैच के अंतिम ओवर की चौथी गेंद बेन स्टोक्स ने मिशेल सेंटनर को कमर की ऊंचाई पर फेंकी। शुरू में ऐसा लगा कि अंपायर गंधे सिर्फ नोबॉल का इशारा करने वाले थे। धौनी इससे एक गेंद पहले ही आउट हुए थे और उन्होंने जब देखा कि अंपायर ने नोबॉल का फैसला वापस ले लिया है तो वह अपना आपा खो बैठे और खेल के दौरान ही मैदान पर आ गए। वह अंपायर से बहस करने लगे। लेग अंपायर ऑक्सनफोर्ड के धौनी को मैदान छोड़कर जाने से कहने से पहले वह गंधे के साथ काफी गुस्से से बातें करते नजर आ रहे थे।

'धौनी का गुरुवार रात मैदान पर आना अंपायरों के खिलाफ सबसे अपरिपक्व विरोध है। मुझे समझ नहीं आता कि खेल के जानने वाले स्थापित सितारों के खिलाफ ईमानदार अभिव्यक्ति से डरते क्यों हैं। यहां तक कि धौनी पर किसी बच्चे की तरह 50 प्रतिशत जुर्माना लगाना शर्मनाक और बुजदिली भरा है।'

--बिशन सिंह बेदी, पूर्व भारतीय कप्तान

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'मेरा मानना है कि कई चीजों में सुधार हुआ है और सुधार के लिए हमेशा गुंजाइश रहती है। अंपायरिंग के स्तर की बात करें तो यह आसान काम नहीं है और आप उन (अंपायरों) पर जितना अधिक दबाव बनाओगे, मुश्किलें उतनी अधिक बढ़ती जाएंगी। आप जानते हैं कि जब तक सही फैसला होगा, तब तक चीजें सही रहेंगी। हां, इस टूर्नामेंट में हमने देखा कि चीजें सीमा से थोड़ा बाहर गई हैं लेकिन अगर पूरे मैच के दौरान अंपायरिंग में निरंतरता हो तो फिर कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए।'

--जहीर खान, मुंबई इंडियंस के क्रिकेट संचालक निदेशक

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'कप्तान (धौनी) का पिच पर आना सही नहीं है। मुझे पता है कि वह एमएस धौनी हैं और इस देश में कुछ भी कर सकते हैं, लेकिन आपको डगआउट से निकलकर अंपायर पर अंगुली उठाने की अनुमति नहीं है। यह पूरी तरह से गलत है। आपने बतौर कप्तान गलत मिसाल पेश की है।'

--माइकल वॉन, पूर्व कप्तान, इंग्लैंड

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'आपको मैदान पर नहीं जाना चाहिए था। यह गांव का क्रिकेट या अंडर-10 क्रिकेट नहीं है। मुझे लगता है कि धौनी कभी-कभी भूल जाते हैं कि वह एक खिलाड़ी हैं। आप अधिकारी नहीं हैं, आप खिलाड़ी हैं। आप अधिकारियों पर नियंत्रण नहीं कर सकते। यह वाकई में विचित्र नजारा था।'

-शॉन टैट, राजस्थान रॉयल्स के पूर्व तेज गेंदबाज

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'आप कभी भी कप्तान को इस तरह से गुस्से में मैदान पर अंपायर के साथ वाद-विवाद करते हुए नहीं देखते हो। यह अविश्वसनीय है।'

-माइकल स्लेटर, पूर्व ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर

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'मुझे पता है कि टीमों पर फ्रेंचाइजी मालिकों और आइपीएल में शामिल बड़ी रकम का दबाव होता है, लेकिन मैं दो घटनाओं से काफी निराश हूं, जिनमें उनके कप्तान शामिल रहे हैं और वे अश्विन (मांकडि़ड विवाद) और एमएस हैं। यह अच्छा नहीं है।'

- मार्क वॉ, पूर्व ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर

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'ऐसा नहीं होना चाहिए था। उनके पास चौथे अंपायर और मैच रेफरी के पास जाने और अपनी बात कहने के हर अधिकार हैं। जब मैच जारी है तो मैदान पर जाना गलत है। सिर्फ इसलिए कि आपके साथ अन्याय हुआ है, आप उन चीजों को नहीं कर सकते जिनकी अनुमति नहीं है।'

-दीप दासगुप्ता, पूर्व भारतीय क्रिकेटर

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'इस आइपीएल में अंपायरिंग का स्तर काफी खराब रहा है। वह निश्चित तौर पर नोबॉल थी, लेकिन विरोधी कप्तान को आउट होने के बाद इस तरह पिच पर आने का कोई अधिकार नहीं है । धौनी ने गलत मिसाल कायम की।'

-आकाश चोपड़ा, पूर्व भारतीय क्रिकेटर

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'उन्होंने सीधे तौर पर लक्ष्मण रेखा पार की है। वह खुशकिस्मत रहे कि बेहद छोटा जुर्माना देकर बच गए।'

-संजय मांजरेकर, पूर्व भारतीय क्रिकेटर

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'अंपायर को अधिकार था कि वह अपने फैसले को बदले। मैं धौनी की प्रतिक्रिया पर हैरान हूं। कैप्टन कूल ने ऐसा कैसे कर दिया ।'

-हेमंग बदानी, पूर्व भारतीय क्रिकेटर

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'इस सत्र में अंपायरिंग काफी खराब रही है। कभी-कभी आपको लगता है कि आप कप के लिए खेलते हो या फेयर प्ले अवॉर्ड के लिए।'

--प्रज्ञान ओझा, पूर्व भारतीय क्रिकेटर


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