'चेन्नई सुपर किंग्स आइपीएल 2018 के खिताब की प्रबल दावेदार'
चेन्नई इस सत्र में खिताब जीतने की प्रबल दावेदार है क्योंकि मौजूदा तीनों टीमों में इस टीम का टेंपरामेंट गजब का है।
संजय मांजरेकर का कॉलम:
लंबे लीग चरण के बाद जहां टीमों को दूसरा मौका मिलता रहा, अब टूर्नामेंट नॉकआउट चरण में पहुंच गया है। अब तक बिना किसी डर के खेलने वाले खिलाड़ी अचानक अलग तरह से सोचने लगे हैं। वे सोचने लगे हैं कि अगर मैं आउट हो गया तो क्या होगा। इससे बड़ा अंतर पैदा होता है। मिड विकेट पर लगाया गया शॉट अब सीमा रेखा के पास कैच हो सकता है। लीग चरण में यह शॉट छक्के के लिए चला जाता। शायद यही वजह रही कि हमें प्लेऑफ के दो मुकाबलों में तुलनात्मक रूप से कम स्कोर देखने को मिला।
वानखेडे स्टेडियम में सनराइजर्स की बल्लेबाजी ने उन्हें पहले प्लेऑफ में नीचा दिखाया। चेन्नई को भी 139 रन का लक्ष्य आसानी से हासिल कर लेना चाहिए था, लेकिन उन्हें भी काफी परेशानी हुई। चेन्नई के पास हमेशा से ही ऐसे खिलाडिय़ों की भरमार रही है इसीलिए आइपीएल में टीम का इतना शानदार रिकॉर्ड हैरान नहीं करता।
मेरी नजरों में चेन्नई इस सत्र में खिताब जीतने की प्रबल दावेदार है क्योंकि मौजूदा तीनों टीमों में इस टीम का टेंपरामेंट गजब का है। जब स्कोर 150-160 की जद में होता है तो सिर्फ ताकत ही मायने नहीं रखती बल्कि समझदारी से लक्ष्य तक पहुंचना महत्वपूर्ण होता है।
ईडन गार्डेंस में खेले गए दूसरे प्लेऑफ में हमें खेल का एक नया अलग स्तर देखने को मिला। इस मुकाबले में हमें आदर्श पिच देखने को नहीं मिली जिससे बल्लेबाजों को संघर्ष करना पड़ा। लाइन में आकर ताकत से प्रहार करने का विकल्प था, जो कारगर साबित नहीं हुआ। इस मुकाबले में चार बल्लेबाज कॉट एंड बोल्ड आउट हुए। अचानक से इस पावरगेम में धैर्य और समझदारी से मैच आगे बढ़ाने की जरूरत आ पड़ी और जिस तरह शुभमन गिल और दिनेश कार्तिक ने ऐसा किया, उससे मैं बहुत प्रभावित हुआ। लक्ष्य का पीछा करते वक्त उम्मीद अजिंक्य रहाणे से थी, लेकिन दुर्भाग्य से रहाणे वैसे खिलाड़ी नजर नहीं आए जैसे दो साल पहले थे।